Jayant Narlikar Biography in Hindi
जयंत नार्लीकर का जीवन परिचय
जयंत नार्लीकर
का जन्म |
19 जुलाई 1938 (उम्र 83)
कोल्हापुर, कोल्हापुर राज्य, ब्रिटिश भारत |
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जयंत नार्लीकर
की शिक्षा |
BHU Cambridge University |
जयंत नार्लीकर
जाने जाते है |
Quasi-steady state cosmology Hoyle-Narlikar theory of gravity |
जयंत नार्लीकर
की पत्नी |
मंगला नार्लीकर |
जयंत नार्लीकर
के बच्चे |
तीन लड़किया
|
जयंत नार्लीकर
के पुरूस्कार |
स्मिथ’स प्राइज (1962) पद्म भूषण (1965) एडम्स प्राइज (1967) पद्म विभूषण (2004) प्रिक्स जूल्स जनसेन (2004) |
जयंत नार्लीकर का वैज्ञानिक जीवन | |
जयंत नार्लीकर
का विशेष छेत्र |
भौतिकी, खगोल विज्ञान, लेखक |
जयंत नार्लीकर –
संस्थानों के नाम |
Cambridge University TIFR IUCAA |
जयंत नार्लीकर –
डॉक्टरेट सलाहकार |
Fred Hoyle |
जयंत नार्लीकर –
डॉक्टरेट छात्र |
Thanu Padmanabhan |
Jayant Narlikar Biography in Hindi
जयंत नार्लीकर की जीवनी
दोस्तों इस आर्टिकल में आज हम बात करने जा रहे हैं दुनिया के प्रसिद्ध इंडियन एस्ट्रो फिजिसिस्ट यानी खगोल भौतिक विद श्री जयंत नारलीकर जी के बारे में जिन्हें अपनी रिचार्ज के लिए 2004 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है जो भारत का दूसरा सबसे बड़ा अवार्ड है तो चलिए दोस्तों इन के बारे में शुरू से जानते हैं पूरी जानकारी के लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े|
जयंत विष्णु नारलीकर जी
दोस्तों जयंत विष्णु नारलीकर जी का जन्म 19 जुलाई 1938 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुआ था इनके परिवार में शिक्षा का स्तर पहले से ही बहुत अच्छा था इनके पिता विष्णु वासुदेव नारलीकर जी बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे और हेड ऑफ डिपार्टमेंट भी रह चुके थे और इनकी मां सुमति नारलीकर जी संस्कृत की स्कॉलर थी | जयंत नारलीकर जी ने भी बीएससी की पढ़ाई बीएचयू से ही की फिर इन्हें इनकी काबिलियत के कारण टाटा से स्कॉलरशिप मिली और आगे की पढ़ाई के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए और मैथमेटिक्स पढ़ने लगे वहीं पर इनकी रुचि एस्ट्रो फिजिक्स में भी जगा और इन्हें अंतरिक्ष में होने वाली गतिविधियों के बारे में और समझने की इच्छा हुई|
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एस्ट्रोनॉमी
1960 में एस्ट्रोनॉमी के लिए टाइसन मेडल से सम्मानित किया गया जो कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में एस्ट्रोनॉमी यानी खगोल शास्त्र के बेस्ट परफॉर्मर को दिया जाता है 1963 में पीएचडी करने के बाद उन्होंने एस्ट्रोनॉमी फिजिक्स में मास्टर्स की डिग्री मिली और फिर 1972 तक कैंब्रिज में ही रिचार्ज करते रहे|
1966 में इन्होंने मैथमेटिक्स के प्रोफेसर मंगला नारलीकर जी से शादी कर ली इनकी तीन बेटियां हैं|
- गीता जी
- गिरिजा जी
- लीलावती जी
1972 में ये इंडिया वापस आ गए क्योंकि उन्हें लगा कि अभी ने अपने देश में ही काम करना चाहिए और यही के विकास में योगदान देना चाहिए यहाँ पर यह मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च में प्रोफेसर बन गए 1988 में पुणे में इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्टॉनोमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स ( IUCAA ) की स्थापना हुई और जयंत जी को इसका डायरेक्टर बनाया गया इसको जयंत जी ने अपनी काबिलियत और मेहनत से वर्ल्ड क्लास इंस्टिट्यूशन बना दिया|
1994 – 1997 तक में इंटरनेशनल एस्टॉनोमिकल यूनियन जो कि 79 देशों के साइंटिस्ट का एक यूनियन है उसके बनाए गए कॉस्मोलॉजी कमीशन के प्रेसिडेंट चुने गए थे यह साइंस और मैथ की एनसीईआरटी की किताबों के लिए बनाई गई सलाहकार समिति के चेयरपर्सन भी रह चुके हैं इन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चुका है भारत में पोषण|
अवार्ड
भारत में इन्हे 1965 में पद्म विभूषण 1981 में महाराष्ट्र के एक चैरिटी ट्रस्ट द्वारा राष्ट्रभूषण 2004 में पद्म विभूषण और 2010 में महाराष्ट्र भूषण अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है साइंस और लिटरेचर के अलावा इन्होंने इंग्लिश हिंदी और मराठी में कई काल्पनिक यानी फिक्शन नोवेल्स लिखी हैं ऐसे साइंटिस्ट जो न सिर्फ विद्वान है बल्कि हमारे देश के विकास में भी सहायक हैं इनका भारत में हो ना हम सब के लिए गर्व की बात है
गैर-काल्पनिक
In English:
- Cambridge University Press, with G. Burbridge, Facts and Speculations in Cosmology. 2008
- Current Cosmological Issues, 2006
- 2005, A Different Approach to Cosmology: From a Static Universe to Reality via the Big Bang
- The Universe of Fred Hoyle, 2003
- Scientific Edge: Indian Scientists from the Vedic to the Modern Era, published in 2003.
- 2002, An Introduction to Cosmology
- G. Burbridge and Fred Hoyle discuss a different approach to cosmology.
- An Introduction to Quasars and Active Galactic Nuclei, 1999
- 1996, From Black Clouds to Black Holes
- The third edition of From Black Clouds to Black Holes was published in 2012.
- 1995’s Seven Wonders of the Cosmos
- Philosophy of Science: Natural and Social Sciences Perspectives, 1992
- Highlights in Gravitation and Cosmology, 1989, with Fred Hoyle and Chandra Wickramasinghe, The Extragalactic Universe: An Alternative View
- 1988’s The Primeval Universe
- The Universe’s Violent Phenomena, 1982
- 1982’s The Lighter Side of Gravity
- The Physics-Astronomy Frontier, co-authored by Sir Fred Hoyle, was published in 1981.
- 1977, The Structure of the Universe
- Anomalous Redshifts and the Creation of Matter, 2002
- Radiation Absorber Theory in Expanding Universes, 2002
मराठी में :
- आकाशाशी जडले नाते
- नभात हसरे तारे.
उपन्यास
अंग्रेजी में :
- 1990 में The Return of Vaman
- The Adventure
- The Comet
मराठी में :
- वामन परत न आला
- यक्षांची देणगी
- अभयारण्य
- व्हायरस
- प्रेषित
- अंतराळातील भस्मासूर
- टाईम मशीनची किमय
- उजाव्या सोंदेचा गणपति
हिंदी में :
- पार नज़र के
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धन्यवाद