kya hoga agar humse koi katal ho jaae
क्या होगा अगर हमसे कोई क़त्ल हो जाए
दोस्तों वैसे तो किसी की जान लेना कानूनी जुर्म भी है और इंसानियत के खिलाफ भी लेकिन कई बार हालात ऐसे हो जाते हैं कि हमें ना चाहते हुए भी कुछ खतरनाक कदम लेने पड़ते हैं अगर आप जानबूझकर किसी की जान लेते हैं तो इस जुर्म की सजा आपको किसी भी सूरत में होगी ही | लेकिन कई बार हमारे सामने यह भी सवाल आता है कि क्या यह मुमकिन है कि हमारे यहां तो किसी का कत्ल हो जाए और हमें उसकी सजा ना हो आइए आज हम इसी सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं|
हालात ऐसे हैं कि अनजाने में आपके हाथों किसी का कत्ल हो जाता है या अगर आप अपना बचाव करने के लिए किसी पर गोली चला देते हैं और कोर्ट में यह साबित हो जाता है कि बिना गोली चलाए आप अपनी जान नहीं बचा सकते थे | तो ऐसी कंडीशन में आईपीसी की धारा 100 के तहत आपको कोई भी सजा नहीं होगी अब इस बात को समझने के लिए हम रेफरेंस लेते हैं| ( OSP )
चलिए जाने है की
क्या होगा अगर हमसे कोई क़त्ल हो जाए
kya hoga agar humse koi katal ho jaae
2006 में प्रतीक मेघवानी का केस
यह बात मुरादाबाद 24 अप्रैल 2006 की है प्रतीक नाम का एक लड़का अपने दो दोस्तों के साथ देर रात एक शादी से लौट रहा था बीच में एक सुनसान रास्ते पर उन तीनों को कुछ लोगों ने घेर लिया और उनको लूटने की कोशिश की प्रतीक के दोस्तों ने उन लोगों की बात मानते हुए अपना बटुआ , मोबाइल और बाकी कीमती चीजें उन्हें दे दी लेकिन प्रतीक ने उन लोगों को कुछ भी देने से साफ मना कर दिया इसके बाद वह लोग को चाकू दिखाकर डराने लगे और इस हाथापाई में प्रत्येक के हाथों से चाकू उन लोगों में से किसी एक के पेट में घुस गया और 2 दिन अस्पताल में रहने के बाद उसकी मौत हो गई लेकिन प्रत्येक के दोस्तों की गवाही और बाकी सबूत ने कोर्ट में यह साबित कर दिया कि यह कल की हादसा था और इसके बाद प्रतीक को बा इजात बरी कर दिया गया|
क्या होगा अगर कोई चोर घर में घुस जाए तो?
अगर इस बात को हम अलग अलग नजरिए से देखने की कोशिश करें तो पता चलता है कि अगर कुछ अपराधी हथियारों के साथ किसी के घर में लूट और चोरी के इरादे से घुसते हैं तो ऐसे में जाहिर है कि घर के मालिक की जान को खतरा हो सकता है और घर का मालिक अपनी जान व माल की रक्षा के लिए अपनी लाइसेंसी हथियार से गोली चला दे और उस गोलीबारी में अगर किसी अपराधी की मौत हो जाए तो घर का मालिक अपने सेल्फ डिफेंस की दलील दे सकता है लेकिन तब अदालत यह देखेगी कि क्या हुआ कई अपराधी हथियारों से लैस थे या नहीं हमारे देश का कानून यह कहता है कि अगर कोई चोर चोरी के इरादे से घर में घुसता है तो ऐसी सूरत में उस पर गोली चला ना चल डिफेंस नहीं माना जाएगा क्योंकि ऐसी सूरत में उसे रोकने के लिए उसे डंडे क्या बाकी चीजों से पीट कर भी बचाव हो सकता था | दोस्तों आईपीसी की धारा 96 के तहत सेल्फ डिफेंस की बात कही गई है वहीं आईपीसी की धारा 97 के तहत बताया गया है कि हर इंसान को अपनी जान और माल की रक्षा करने का पूरा हक है|
और इसके लिए सेल्फ डिफेंस में भी अटैक कर सकता है वही धारा 99 से पता चलता है कि सेल्फ डिफेंस रीजनेबल होना चाहिए यानी अपराधी को उतनी ही चोट पहुंचाई जा सकती है जितनी जरूरत हो कुछ कानूनी जानकार यह भी बताते हैं कि धारा 100 के मुताबिक सेल्फ डिफेंस में अगर किसी अपराधी की मौत भी हो जाए तो भी बचाव हो सकता है बशर्ते कानूनी शर्तों के तहत ऐसा एक्ट किया गया हो |
अगर गंभीर चोट पहुंचने का खतरा हो जैसे रेप होने या फिर जान जाने का तो ?
तो ऐसी सूरत में सेल्फ डिफेंस में किए गए अटैक में अगर अपराधी की मौत भी हो जाती है तो उसको सजा नहीं होगी लेकिन कोर्ट में यह बात साबित करना होगा कि बिना अटैक किए बचाव करना मुमकिन नहीं था बहुत बार हमारे सामने ऐसे भी केस आते हैं जिनमें लोग चोर को पकड़ कर इतना मारते है कि वह मर जाता है अगर हम इस घटना को कानूनी नजर से देखें तो जब गली मोहल्ले में चोर झपटमार या छेड़छाड़ के आरोपी पकड़े जाते हैं तो लोग गुस्से में उसके साथ मारपीट करते हैं लेकिन कानूनी तौर पर किसी भी ऐसे आरोपी के साथ मारपीट नहीं की जा सकती CRPC की धारा 40 के तहत आम पब्लिक या लोगो को अधिकार है कि वह आरोपी को पकड़कर पुलिस के हवाले कर सकती है लेकिन किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का हक नहीं है किसी भी आरोपी के साथ मारपीट नहीं कर सकती|
अगर पुलिस किसी को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार करती है तो?
आरोपी को सिर्फ कानून के तहत ही सजा दी जा सकती है अगर पुलिस किसी को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार करती है तो यह ना सिर्फ भारतीय दंड प्रक्रिया संगीता मतलब CRPC का उल्लंघन है बल्कि भारतीय संविधान के आर्टिकल 20,21 और 22 में दिए गए मौलिक अधिकारों के विरुद्ध भी है दरअसल किसी भी इंसान की गिरफ्तारी से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख सीआरपीसी के भाग 5 में धारा 41 से धारा 61 के अंदर मिलता है जो हर एक इंसान के अधिकारों से जुड़े हुए हैं इस बात में कोई दो राय नहीं है कि गिरफ्तारी हमेशा कोई अपराध करने या फिर किसी अपराध को होने से रोकने के लिए की जाती है ताकि समाज में विधि का शासन हो और कानून व्यवस्था मौजूद रहे और इस बात का ख्याल रखना पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी है इसलिए पुलिस उस इंसान को गिरफ्तार करती है जिसने कानून का उल्लंघन किया हो या कोई ऐसा काम किया हो जो कानून की नजर में अपराध हो
जान इंसान की हो या जानवर की ऊपर वाले के अलावा किसी को भी हक नहीं है किसी की जान लेने का | लेकिन अगर बात खुद के बचाव की हो तो कभी-कभी ऐसे कदम उठाना जरूरी हो जाते हैं
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