CTET Physics Complete Notes Pdf Download

CTET Physics Complete Notes Pdf Download

आज हम आपको CTET Physics Complete Notes Pdf Download or CTET Science Physics के Complete नोट्स देने जा रहे है वो भी फ्री में | नोट्स की क्वालिटी A+ है | आप चाहे तो पेड नोट्स से इसकी तुलना आमने सामने रखकर कर सकते है |

  • यह नोट्स सम्पूर्ण नोट्स है और सभी कोचिंग सेंटर के नोट्स से अच्छे है |
  • आप इन नोट्स को किसी भी भाषा में पढ़ सकते है | वेबसाइट पर अपने Upside + on your right (without scroll) की और देखिये |
  • हम चाहते है की आप इधर उधर न भटके, अपना समय बर्बाद ना करे सिर्फ अपनी पढाई पर ध्यान दे |
  • जैसे हमने आप तक यह नोट्स पहुँचाकर अपना काम पूरा किया है अब आपका फ़र्ज़ बनता है की आप इन नोट्स को अपने दोस्तों के साथ साझा करे, जैसे हमने किया है |
  • हमने लालच व संकोच नहीं किया आप भी ना करें, धन्यवाद |

Note:-

CTET Science के नोट्स बहुत सारे है | सभी एक पेज पर नहीं आ पा रहे है तो हमने CTET Science के नोट्स को 4 भागो में बाट दिया है – 

  1. Biology (जीवविज्ञान)
  2. Physics (भौतिक विज्ञान)
  3. Chemistry (रसायन विज्ञान)
  4. Natural Phenomenon and resources (प्राकृतिक घटनाएँ और संसाधन)

Complete CTET Physics Notes

(NCERT पुस्तक पर आधारित)

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चलिए शुरू करते है इस अनोखी यात्रा को Physics (भौतिक विज्ञान) के नोट्स के साथ |

(मापन)

Measurement

यहाँ एक पूरे साहित्यिकी का टेबल है जिसमें विभिन्न भौतिकीय मात्राएँ और उनके संबंधित मात्रकों के उदाहरण दिए गए हैं:

Physical Quantity Symbol Unit Example
Length Meter (m) 2.5 meters
Mass Kilogram (kg) 0.5 kilograms
Time Second (s) 10 seconds
Electric Current Ampere (A) 3 amperes
Temperature Kelvin (K) 273 Kelvin
Amount of Substance Mole (mol) 0.02 moles
Luminous Intensity Candela (cd) 50 candelas
Speed Meter per Second (m/s) 20 m/s
Acceleration Meter per Second2 (m/s) 9.8 m/s2
Force Newton (N) 15 Newtons
Energy Joule (J) 500 joules
Power Watt (W) 100 watts
Pressure Pascal (Pa) 101325 Pascals
Electric Charge Coulomb (C) 2 coulombs
Voltage Volt (V) 12 volts
Resistance Ohm () 5 ohms

नोट: टेबल में उपयुक्तता के लिए भौतिकीय मात्राओं के सामान्य प्रतीकों का उपयोग किया गया है, और दिए गए उदाहरण को स्पष्टीकरण के लिए प्रदान किया गया है। संदर्भ के आधार पर, विभिन्न प्रतीक और मात्रकों का उपयोग हो सकता है।

मापन का अर्थ किसी अज्ञात राशि की उसी प्रकार ही कुछ ज्ञात राशि से तुलना करना है। इस ज्ञात निश्चित राशि को मात्रक कहते हैं। किसी माप के परिणाम को दो भागों में व्यक्त किया जाता है। एक भाग संख्या है। दूसरा भाग ही गई माप का मात्रक होता है।

मापन के मानक मात्रक:

  • वर्ष 1790 में, फ्रांसीसियों ने मापन ही एक मानक प्रणाली रचना की जिसे ‘मीटरी पद्धति कहते हैं ।
  • आजकल जिस मात्रक प्रणाली का उपयोग हो रहा है | उसे अंतर्राष्ट्रीय मात्रक प्रणाली (S. I.) मात्रक कहते है | लम्बाई का (S. I.) मात्रक मीटर |

प्रत्येक मीटर (m) को 100 बराबर भागों में विभाजित किया जाता है, जिन्हें सेंटीमीटर (cm) कहते हैं। एक सेंटीमीटर के 10 बराबर भाग होते है | जिन्हें मिलीमीटर (mm) कहते हैं। कुछ इस प्रकार,

  • 1m = 100cm
  • 1cm = 10mm

लंबी दूरियों के मापन के लिए मीटर एक सुविधाजनक मात्रक नहीं है। इसके लिए हम एक बड़े मात्रक को परिभाषित करते हैं। इसे किलोमीटर (km) कहते हैं।
eg., 1 km = 1000m होते है |

किसी वक्र – रेखा की लंबाई मापना:

हम किसी वक्र-रेखा की लंबाई सीधे ही मीटर पैमाने का उपयोग करके नहीं माप सकते। वक्र- रेखा की लंबाई मापने के लिए हम धागे का उपयोग कर सकते हैं।

गति

(Motion)

समय के साथ किसी वस्तु की स्थित में परिवर्तन को गति कहा जाता है।

गतिक प्रकार:

  • जो वस्तुएँ सरल रेखा के अनुदिश गति कर रही हैं। इस प्रकार की गति को सरल रेखीय गति कहते हैं।
  • बिजली के पंखें ही पंखुड़ियों पर अंकित किसी चिह्न की गति किसी घड़ी के सेकंड की सुई की गति वर्तुल गति के उदाहरण हैं।
  • कुछ प्रकरणों में कोई वस्तु एक निश्चित समय अंतराल के बाद अपनी गति को दोहराती है। इस प्रकार की गति को आवर्ती गति कहते हैं (periodic motion)
  • लोलक (Pendulum) की गति आवर्ती गति का एक उदाहरण है।

चाल:

  • किसी वास्तु द्वारा एकांक समय में तय की गई दूरी को हम उस वस्तु की चाल कहते हैं
  • तय की गई कुल दूरी’ को ‘लिए गए कुल समय से विभाजित करके चाल – गति को प्राप्त करते हैं।
  • यदि किसी सरल रेखा के अनुदिश गति करने वाली वस्तु की चाल परिवर्तित होती रहती है, तो उस वस्तु की चाल असमान कही जाती है।
  • किसी सरल रेखा के अनुदिश गति वस्तु की नियत चाल से गति एकसमान गति कहलाती है।

समय का माप:

  • सरल लोलक (simple pendulum) एक दोलन (oscillation) पूरा करने में जितना समय लगाता है, उसे सरल लोलक का आवर्तकाल कहते हैं।
  • आजकल अधिकांश घड़ियों में एक या दो cells वाले विद्युत परिपथ होते हैं। इन घड़ियों को क्वार्ट्ज़ घड़ी कहते हैं। इनके द्वारा मापा गया समय पहले उपलब्ध घड़ियों द्वारा मापे गये समय से अधिक यथार्थ होता है।

समय तथा चाल के मात्रक:

  • समय का मूल मात्रक सेकंड है। इसका प्रतीक sec है। समय के बड़े मात्रक मिनट (min) तथा घंटा (h) हैं।
  • चाल का मूल मात्रक (basic unit) m/s है।

चाल मापना:

  • कुछ घड़ियाँ एक सेकंड के दस लाखवें भाग और यहाँ तक की एक अरबवें भाग तक के समय अंतराल माप सकती हैं।
  • एक माइक्रोसेकंड-सेकंड का दसलाखवाँ भाग होता है |
  • एक नैनोसेकंड-सेकंड का एक अरबवा भाग होता है। इतने छोटे समय अंतरालों को, जो घड़ियाँ मापती हैं। उनका उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधानों के लिए किया जाता है।
  • चली गई दूरी = चाल x समय (s=d/t)

छाया

(Shadow)

  • छायाओं से हमें वस्तुओं की आकृतियों के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त होती है। कभी-कभी तो छाया हम सभी को वस्तु वी आकृति के बारे में भ्रमित भी कर सकती है।
  • हमें सूर्य को सीधे कदापि नहीं देखना चाहिए। ये हमारी आँखों के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है।
  • प्रकाश में वस्तुओं को देखते हैं। जो वस्तुएँ सूर्य की तरह स्वयं प्रकाश का उत्सर्जन करती हैं उन्हें दीप्त पिंड कहते हैं ।

सूची छिद्र कैमरा

(Aperture camera)

  • प्रकृति में भी एक रोचक सूची छिद्र कैमरा (aperture cameras) है। कभी-कभी हम ऐसे वृक्ष के नीचे से गुजरते हैं, जिसमें ढेरों पत्तियाँ होती हैं, तब हमें उस पेड़ के नीचे सूर्य के प्रकाश के धब्बे दिखाई देते हैं वास्तव में थे वृत्ताकार प्रतिबिंब सूर्य के सूची छिद्र प्रतिबिंब होते हैं।
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दर्पण तथा परावर्तन

(Mirror and Reflection)

यहाँ एक ऐसा सारणी है जिसमें भौतिकी में दर्पण और परावर्तन से संबंधित विभिन्न अवधारणाएँ और उनके उदाहरण दिए गए हैं:

अवधारणा परिभाषा उदाहरण
समतल दर्पण

(Plane Mirror)

एक समतल दर्पण जो प्रकाश को परायी छवि उत्पन्न करने के लिए उपयोग किया जाता है, जिसमें वस्तु का आकार और दिशा एक समान रहता है। बाथरूम के आईने में अपनी छवि देखना।
कक्षीय दर्पण

(Spherical Mirror)

एक कक्षीय सतह के साथ दर्पण जिसमें उत्कृष्ट एवं अवकृष्ट (बाहर की ओर मुड़ी हुई) कर्वी सतह होती है, जिसे विभिन्न आप्तिक अनुप्रयोगों के लिए उपयोग किया जाता है। मेकअप मिरर में एक कक्षीय दर्पण का उपयोग।
परावर्तन

(Reflection)

प्रकाश का वापसी जब यह किसी वस्तु की सतह से टकराता है और वह नहीं बीत सकता है। समुद्र की सतह पर सूर्य की किरण का परावर्तन।
प्रतिक्रमण रे

(Incident Ray)

उस रे को कहा जाता है जो किसी सतह से टकराता है। दर्पण पर पड़े बत्ती से आई रे।
प्रतिच्छाया रे

(Reflected Ray)

उस रे को कहा जाता है जो किसी सतह से वापसी करता है। दर्पण पर पड़ी बत्ती से वापसी करती रे।
सामान्य रेखा

(Normal Line)

उस बिंदु पर सीधी रे पर्पेंडिकुलर होने वाली रेखा, जिसका परावर्तन में कोण मापन के लिए उपयोग किया जाता है। एक दर्पण सतह पर सीधी रेखा जो बिंदुवत होती है।
प्रतिक्रमण कोण

(Angle of Incidence)

प्रतिक्रमण की रे और सामान्य रेखा के बीच कोण। प्रकाश की रे और दर्पण सतह के बीच बनने वाला कोण।
प्रतिच्छाया कोण

(Angle of Reflection)

प्रतिच्छाया रे और सामान्य रेखा के बीच कोण। प्रतिच्छाया रे और दर्पण सतह के बीच बनने वाला कोण।
प्रतिक्रमण का कानून

(Law of Reflection)

प्रतिक्रमण का कोण अथवा प्रतिक्रमण का कानून, जिसके अनुसार प्रतिक्रमण का कोण और प्रतिक्रमण की रे दोनों सामान्य रेखा के साथ मापे जाते हैं, वे बराबर होते हैं। प्रकाश दर्पण सतह पर टकराने और प्रतिक्रमण के कानून के अनुसार प्रतिक्रमण होता है।
आभासी छवि

(Virtual Image)

रोशनी की किरणों की ऐसी आपसी इंटरसेक्शन द्वारा बनने वाली छवि, जो वास्तव में समाप्त नहीं हो सकती है। इस छवि को स्क्रीन पर प्रक्षिप्त नहीं किया जा सकता है। समतल दर्पण द्वारा बनी आभासी छवि।
वास्तविक छवि

(Real Image)

रोशनी की किरणों के वास्तविक संघटन द्वारा बनने वाली छवि। इसे स्क्रीन पर प्रक्षिप्त किया जा सकता है। एक संरेखन लेंस या कक्षीय दर्पण द्वारा बनी वास्तविक छवि।
कक्षीय दर्पण

(Concave Mirror)

एक कूड़े गए सतह के साथ एक कूड़ा गया दर्पण जो प्रकाश की किरणों को एक फोकस बिंदु पर एकत्र करता है। एक कक्षीय दर्पण जिसमें समान किरण संरेखित होती हैं।
उत्कृष्ट दर्पण

(Convex Mirror)

एक बाहर की ओर मुड़े हुए दर्पण जिसमें प्रकाश की किरणें दिखाई देती हैं। एक सड़क के चौराहे पर एक सुरक्षा दर्पण।
फोकस बिंदु

(Focal Point)

वह बिंदु जहां समान किरणों का समाहित होना होता है (कक्षीय दर्पण में) या जिसकी दृष्टि से समान किरण विचलित होती है (उत्कृष्ट दर्पण में)। कक्षीय दर्पण में समान किरणों का एकत्र होने वाला बिंदु।
फोकस लंबाई

(Focal Length)

दर्पण की सतह से इसके फोकस बिंदु तक की दूरी। कक्षीय दर्पण की सतह से इसके फोकस बिंदु तक की दूरी।

Note: सारणी में दी गई शब्दावली और उदाहरण हैं जो भौतिकी में दर्पण और परावर्तन के अध्ययन के लिए सामान्यत: उपयुक्त हैं। उदाहरण चित्रणात्मक हैं और वास्तविक परिस्थितियाँ भिन्न हो सकती हैं।

  • आप दर्पण में अपने चेहरे को देखते हैं। जो आप देखते हैं। वह दर्पण में आपके चेहरे का परावर्तन है।
  • दर्पण अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश की दिशा को बदल देता है।
  • प्रकाश सरल रेखा के अनुदिश गमन करता हुआ दर्पण से परावर्तित हो जाता है।
  • एक दूसरे से किसी कोण पर रखे दर्पणों द्वारा अनेक प्रतिबिबों के बनने ही धारणा का उपयोग बहुमूर्तिदर्शी (kaleidoscope) में भांति-भांति के आकर्षक पैटर्न बनाने के लिए किया जाता है। आप स्वयं भी एक kaleidoscope बना सकते है।

परावर्तन के नियम:

दर्पण से टकराने के पश्चात, प्रकाश किरण दूसरी दिशा में परावर्तित हो जाती है। किसी ‘पृष्ठ पर पड़ने वाली प्रकाश-किरण को आपतित किरण कहते हैं। पृष्ठ से परावर्तन के पश्चात वापस आने वाली प्रकाश- किरण को परावर्तित किरण कहते हैं।

  • I – आपतित किरण
  • i – आपतन कोण
  • N – (अभिलम्ब )
  • R – (परावर्तित किरण)
  • r – परावर्तन कोण

प्रकाश किरण का अस्तित्व एक आदर्शीकरण है। वास्तव में, हमें प्रकाश का एक संकीर्ण किरण पुंज प्राप्त होता है जो अनेक किरणों से मिल कर बना होता है । सरलता के लिए हम प्रकाश के संकीर्ण किरण- पुंज के लिए किरण शब्द का उपयोग करते हैं।

  • आपतित किरण तथा अभिलम्ब के बीच के कोण को आपतन कोण (Zi) कहते परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब के बीच के कोण को परावर्तन कोण ( Z1) कहते हैं।
  • आपतन कोण सदैव परावर्तन कोण के बराबर होता है। यह परावर्तन के नियमों में एक है।
  • आपतित किरण, आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण थे सभी एक तल में होते हैं। यह परावर्तन का एक अन्य नियम है।
  • दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब में वस्तु का बायाँ भाग दाईं ओर तथा दायाँ भाग बाईं ओर दिखाई पड़ता है। इस परिघटना को पार्श्व परिवर्तन कहते हैं।

नियमित तथा विसरित परावर्तन:

  • नियमित परावर्तन
  • अनियमित परावर्तन
  • जब सभी समान्तर किरणें किसी खुरदुरे या अनियमित पृष्ठ से परावर्तित होने के पश्चात् समान्तर नहीं होती, तो ऐसे परावर्तन को विसरित परावर्तन कहते हैं।
  • इसके विपरीत दर्पण जैसे चिकने पृष्ठ से होने वाले परावर्तन को नियमित परावर्तन कहते हैं।

प्रकाश का परावर्तन:

  • जल का पृष्ठ भी दर्पण की भाँति कार्य कर सकता है तथा प्रकाश के पथ को बदल सकता है।
  • दर्पण द्वारा प्रकाश की दिशा का बदलना यह परिवर्तन प्रकाश का परावर्तन कहलाता है।
  • समतल दर्पण द्वारा बनने वाला प्रतिबिंब दर्पण में सीधा तथा बिंब के समान आम (size) का दिखाई देता है।

गोलीय दर्पण:

  • गोलीय दर्पण वक्रित दर्पण का सबसे अधिक सामान्य उदाहरण है।
  • यदि किसी गेतीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ अवतल है, तो इसे अवतल दर्पण कहते हैं। यदि परावर्तक पृष्ठ उत्तल है, तो इसे उत्तल दर्पण कहते हैं ।
  • चम्मच का भीतरी पृष्ठ अवतल दर्पण ही भाँति कार्य करता है, जबकि इसका बाहरी पृष्ठ उत्तल दर्पण की भाँति कार्य करता है।
  • किसी बिंब का समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सकता ।
  • पर्दे पर बनने वाले प्रतिबिंब को वास्तविक प्रतिबिंब कहते हैं ।
  • समतल दर्पण द्वारा बने मोमबती ही है के प्रतिबिंब को पर्दे पर प्राप्त नहीं किया जा सका था। इस प्रकार के प्रतिबिंब को आभासी प्रतिबिंब कहते हैं ।
  • आपने डॉक्टरों को आँख, कान, नाक तथा गले का निरीक्षण करते समय अवतल दर्पण का उपयोग करते देखा होगा। दंत विशेषज्ञों द्वारा अवतल दर्पण (Concave mirrors) का उपयोग दाँतों का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए किया जाता है।
  • टॉर्च, कारों तथा स्कूटरों के अग्रदीप के परावर्तक पृष्ठ की आकृति भी अवतल हैं।
  • वाहनों के पार्श्व दर्पणों (side mirrors) में उपयोग किए जाने वाले उत्तल दर्पण हैं।

लेंसों द्वारा बने प्रतिबिंब:

  • आवर्धक लेंस वास्तव में प्रक प्रकार का लेंस ही हैं।
  • लेंसों का उपयोग व्यापक रूप में चश्मों, दूरदर्शकों (दूरबीनों) तथा सूक्ष्मदर्शियों में किया जाता है।
  • वे लेंस, जो किनारों की अपेक्षा बीच में मोटे प्रतीत होते हैं, उत्तल लेंस (convex lenses) कहलाते हैं।
  • जो किनारों की अपेक्षा बीच में पतले महसूस होते हैं, अवतल लेंस (concave lenses) कहलाते हैं ।
  • लेंस पारदर्शी होते हैं तथा इनमें से प्रकाश गुज़र सकता है।
  • उत्तल लेंस, उस पर पड़ने वाले (आपतित) प्रकाश को अभिसरित (अंदर की ओर मोड़ना) कर देता है । इसीलिए अभिसारी लेंस भी कहते हैं। इसके विपरीत, अवतल लेंस आपतित प्रकाश को अपसरित (बाहर की ओर मोड़ना) करता है। इसे अपसारी लेंस कहते हैं।
  • अवतल लेंस द्वारा बने प्रतिबिंब सदैव आभासी, सीधे तथा बिंब के साइज से छोटे होते हैं।
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नेत्र

(Eyes)

यहां भौतिकी में मानव आंख से संबंधित अवधारणाओं के उदाहरणों वाली एक तालिका दी गई है:

अवधारणा विवरण उदाहरण
कॉरनिया

(Cornea)

आंतरदृष्टि की पहली स्तरी जो प्रकाश को टूटती हुई रूप में करती है और इसे नेत्र की पित्तिका पर समर्थित करने में मदद करती है। नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश का पहले कॉरनिया से होता है।
लेंस

(Lens)

नेत्र में क्रिस्टलीन संरचना जो प्रकाश को और टूटती हुई रूप में करती है ताकि इसे नेत्र की पित्तिका पर समर्थित किया जा सके। लेंस में समायोजन द्वारा विभिन्न दूरियों पर वस्तुओं को स्पष्ट देखने में मदद होती है।
रेटिना

(Retina)

नेत्र की पीठ में प्रकाश-संवेदनशील परत जिसमें प्रकाश को विद्युत सिग्नल में परिणामित करने वाले फोटोरिसेप्टर सेल्स (रॉड्स और कोन्स) होते हैं। रेटिना के फोटोरिसेप्टर सेल्स नेत्र से ब्रेन में दृष्टिगत जानकारी प्रेषित करते हैं।
प्यूपिल

(Pupil)

नेत्र के केंद्र में स्थित समर्थित खिड़की, जिसे आईरिस द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करता है। उज्ज्वल प्रकाश में, प्यूपिल प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को सीमित करने के लिए संकुचित होता है।
आईरिस

(Iris)

प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए प्यूपिल को घेरने वाला नेत्र का रंगीन हिस्सा। आईरिस प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए प्यूपिल का आकार बदलता है।
समर्थन

(Accommodation)

नेत्र की यह क्षमता कि यह लेंस की आकृति बदलकर विभिन्न दूरियों पर वस्तुओं पर फोकस कर सकता है। कई दूरियों से नजर जोड़कर नजर को स्पष्ट देखने के लिए लेंस अपनी आकृति बदलता है।
नजदीकी बिंदु और दूरदृष्टि बिंदु

(Near Point and Far Point)

नेत्र जो बिना तनाव के स्पष्ट रूप से फोकस कर सकता है की सबसे कबड़ा और बहुदूर दूर का दृष्टिक्षेत्र, क्रमशः। नजदीकी बिंदु सामान्यत: लगभग 25 सेंटीमीटर होता है, और दूरदृष्टि व्यक्ति की आयु के साथ बदलता है।
अस्तिगमेटिज्म

(Astigmatism)

नेत्र की कॉरनिया या लेंस में अनियमित आकृति होने की स्थिति, जिससे दृष्टि में कमी या विकृति हो सकती है। अस्तिगमेटिज्म के साथ व्यक्ति को धुंधला दृष्टिक्षेत्र या आँधी या चक्कर आ सकता है।
म्योपिया (नीयरसाइटेडनेस)

(Myopia (Nearsightedness))

दूर स्थित वस्तुओं को ब्लर दिखाई देती है क्योंकि प्रकाश को रेटिना के बजाय उसमें समर्थित किया जाता है। गाड़ी चलाते समय रोड साइन देखने में कठिनाई म्योपिया की संकेत हो सकती है।
हाइपरोपिया (फारसाइटेडनेस)

(Hyperopia (Farsightedness))

करीब स्थित वस्तुओं को ब्लर दिखाई देती है क्योंकि प्रकाश को रेटिना के पीछे उसमें समर्थित किया जाता है। हाइपरोपिया के व्यक्ति को बिना चश्मा के पढ़ाई करना मुश्किल हो सकता है।
प्रेसबायोपिया

(Presbyopia)

लेंस की कम लचीलाई के कारण करीब स्थित वस्तुओं पर फोकस करने में आयु-संबंधित कठिनाई। बहुत लोग अपनी 40s या 50s में प्रेसबायोपिया को महसूस करते हैं।
कैटरैक्ट

(Cataract)

नेत्र की लेंस का कबजा, जिससे दृष्टि में कमी होती है। यह अक्सर बढ़ती आयु के साथ जुड़ी होती है, लेकिन यह चोट या बीमारी से भी हो सकती है। कैटरैक्ट्स को हटाने की कुर्गीकल प्रक्रिया में धुंधले लेंस को एक कृत्रिम से बदला जाता है।
रॉड्स और कोन्स

(Rods and Cones)

रेटिना में फोटोरिसेप्टर सेल्स; रॉड्स कम प्रकाश में संवेदनशील हैं और पिरिफेरल दृष्टि में योगदान करते हैं, जबकि कोन्स रंग को जानकर उज्ज्वल प्रकाश में कार्य करते हैं। रॉड्स रात्रि दृष्टि में मदद करते हैं, जबकि कोन्स रंगीन दृष्टि के लिए जिम्मेदार हैं।
ऑप्टिक नर्व

(Optic Nerve)

रेटिना से ब्रेन तक विजुअल जानकारी को लेकर जाने वाली नसों का गुच्छा। ऑप्टिक नर्व से आई के सिग्नल ब्रेन के दृष्टि कोर्टेक्स में प्रक्रिया होती है।

Note: सारणी में दी गई शब्दावली और उदाहरण हैं जो भौतिकी में मानव नेत्र के अध्ययन से संबंधित हैं। वास्तविक आँख की स्थितियाँ और अनुभव व्यक्ति के बीच भिन्न हो सकती हैं।

  • हमारे नेत्र ही आकृति लगभग गोलाकार है। नेत्र का बाहरी आवरण सफेद होता है। यह कठोर होता है ताकि यह नेत्र के आंतरिक भागों की दुर्घटनाओं से बचाव कर सके। इसके पारदर्शी अग्र भाग को कॉर्निया या स्वच्छ मंडल (Cornea or Clear Circle) कहते हैं। कॉर्निया के पीछे हम एक गहरे रंग ही पेशियों की संरचना पाते हैं जिसे परितारिका (iris) कहते
  • आइरिस (iris) में एक छोटा सा द्वार होता है जिसे पुतली कहते हैं । पुतली के साइज़ को परितारिका से नियंत्रित किया जाता है। परितारिका (iris) नेत्र का वह भाग है जो इसे इसका विशिष्ट रंग प्रदान करती है।
  • परितारिका नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करती है।
  • लेंस प्रकाश को आँख के पीछे एक परत पर फोकस करता है | इस परत को रेटिना (दृष्टि पटल) कहते हैं।
  • रेटिना अनेक तंत्रिका कोशिकाओं का बना होता है। तंत्रिका कोशिकाओं द्वारा अनुभव की गई संवेदनाओं को दृक् तंत्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क तक पहुँचा दिया जाता है। तंत्रिका कोशिकाएँ दो प्रकार की होती हैं।
  1. शंकु, जो तीव्र प्रकाश के लिए सुग्राही होते हैं।
  2. शलाकाएँ, जो मंद प्रकाश के लिए सुग्राही होती है।
  • सामान्य नेत्र द्वारा पढ़ने के लिए सर्वाधिक सुविधाजनक दूरी लगभग 25 cm होती है।
  • कभी-कभी, विशेष रूप से वृद्धावस्था में नेत्रदृष्टि धुंधली हो जाती है। यह नेत्र लेंस के धुंधला हो जाने के कारण होता है । ऐसा होने पर यह कहा जाता है कि क्षेत्र में मोतियाबिंद विकसित हो रहा है। इसके कारण दृष्टि कमजोर हो जाती है।

इंद्रधनुष:

  • इंद्रधनुष में सात वर्ण होते हैं। ये हैं- लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, जामुनी तथा बैंगनी।
  • आप इंद्रधनुष तब ही देख सकते हैं, जब आपनी पीठ सूर्य की ओर हो ।
  • प्रिज़्म सूर्य के प्रकाश ही एक किरणपुंज को सात वर्णों में विभक्त कर देता है
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विद्युत्-सेल

(Electric cell)

  • टॉर्च के बल्ब को विद्युत्, विद्युत्-मेल से मिलती है। विद्युत्-सेल का उपयोग विद्युत् स्रोत के रूप में अलार्म घड़ी, कलाई घड़ी, रेडियो, कैमरा तथा अन्य युक्तियों किया जाता है।
  • विद्युत्-सेल के ऊपर का एक धन (+) तथा एक ऋण चिह्न (-) होता है विद्युत्-सेल में धातु की टोपी धनात्मक सिरा तथा धातु की डिस्क ऋणात्मक सिरा विद्युत् सेल कहलाता है। सभी विद्युत्-सेलों में दो सिरे होते हैं, जिनमें एक धनात्मक (टर्मिनल) सिरा तथा दूसरा ऋणात्मक होता है।
  • विद्युत्-सेल में संचित रासायनिक पदार्थों से सेल विद्युत् उत्पन्न करता है। जब विद्युत्- सेल में संचित रासायनिक पदार्थ इस्तेमाल कर लिए जाते हैं तब विद्युत्-सेल, विद्युत् पैदा ना बंद कर देता है।
  • जनित्र (पोर्टेबल जेनरेटर ) द्वारा उत्पन्न विद्युत् भी इतनी ही खतरनाक है। विद्यत
    संबंधित सभी क्रियाकलापों के लिए केवल साधारण बैटरी का ही उपयोग करना चाहिए।
  • प्रकाश उत्सर्जित करने वाले पतले तार को बल्ब का तंतु कहते हैं। यह तंतु दो मोटे तारों के बीच लगा होता है।
  • विद्युत्-मेल के दो टर्मिनलों से जुड़े तारों को स्विच तथा बल्ब जैसी युक्ति को बीच में जोड़े बिना आपस में कदापि न मिलाएं। यदि आप ऐसा करेंगे, तो विद्युत् सेल के रासायनिक पदार्थ बड़ी तेजी से खर्च हो जाएंगे और सेल कार्य करना बंद कर देगा।

विद्युत परिपथ

(Electric circuit)

  • विद्युत्-सेल के एक टर्मिनल को तार द्वारा बल्ब से होते हुए विद्युत्-सेल के दूसरे टर्मिनल से जेड़ा जाता है | इस प्रकार की व्यवस्था विद्युत् परिपथ का एक उदाहरण है। विद्युत्-परिपथ, विद्युत् सेल के दो टर्मिनलों के बीच विद्युत् प्रवाह (विद्युत्-धारा) के संपूर्ण पथ को दर्शाता है। बल्ब केवल तभी दीप्त होता है जब परिपथ में विद्युत्-धारा प्रवाहित होती है।
  • बल्ब के तंतु से होकर विद्युत्-धारा प्रवाहित होती है यह बल्ब को दीप्तिमान करती है।
  • कभी-कभी विद्युत्-बल्ब, विद्युत्-सेल से जुड़े होने पर भी दीप्त नहीं होता। ऐसा बल्ब के फ़्यूज़ होने के कारण हो सकता है।
  • विद्युत् बल्ब कई कारणों से फ़्यूज हो सकता है। इनमें से एक कारण है, बल्ब के तंतु का खंडित होना है ।

विद्युत्-स्विच

(Electrical switch)

  • स्विच एक सरल युक्ति है जो परिपथ को जोड़ या तोड़ सकती है। घरों में स्विच का उपयोग बल्ब को दीप्तिमान करने तथा अन्य युक्तियों को चलाने के लिए करते हैं। यद्यपि घरों में उपयोग होने वाले स्विच इसी सिद्धांत पर कार्य करते हैं पर उनके डिजाइन जटिल होते हैं ।

विद्युत-चालक तथा विद्युत-रोधक

(Electrical Conductors and Insulators)

  • जो पदार्थ विद्युत्-धारा का प्रवाह होने देते हैं वे विद्युत्-चालक हैं। विद्युत्-रोधक अपने अंदर से विद्युत्-धारा को प्रवाहित नहीं होने देते।
  • विद्युत्-चालक तथा विद्युत्-रोधक हमारे लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। स्विच, विद्युत् प्लग, सॉकेट सुचालक पदार्थों से बनाए जाते हैं। दूसरी ओर विद्युत्-तारों, प्लग के ऊपर के भाग, स्विच तथा विद्युत् उपकरणों के अन्य भाग जिन्हें लोग स्पर्श कर सकते हैं। इनको के लिए रबड़ तथा प्लास्टिक का उपयोग होता है।
  • आपका शरीर विद्युत् का बहुत अच्छा चालक है।

विद्युत बैटरी

(Electric battery)

  • एक सेल का धन टर्मिनल दूसरे सेल के ॠण टर्मिनल से संयोजित किया जाता है। दो या अधिक सेलों के इस प्रकार के संयोजन को बैटरी कहते।

विद्युत धारा का तापीय प्रभाव

(Thermal Effect of Electric Current)

  • जब किसी तार से कोई विद्युत धारा प्रवाहित होती है | तो वह तप्त हो जाता है। इसे विद्युत धारा का तापीय प्रभाव कहते हैं।
  • किसी तार में उत्पन्न ऊष्मा का परिमाण उस तार के पदार्थ (धातु जिससे यह बना है), लंबाई तथा मोटाई पर निर्भर करता |
  • यदि किसी तार से बड़े परिमाण ही विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो तार इतना अधिक तप्त हो सकता है कि वह पिघलकर टूट जाएगा ।
  • प्रतिदीप्त नलिकाओं तथा सीएफएल में पारे का वाष्प होता है जो कि विषैला होता है। अतः खराब प्रतिदीप्त नलिकाओं तथा सीएफएल का निपटारा सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।
  • ‘कुछ’ ‘विशेष पदार्थों के बने तारों से जब अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तब वे शीघ्र ही पिघलकर टूट जाते हैं। इन तारों का उपयोग विद्यत फ़्यूज़ बनाने में किया जाता है।
  • फ़्यूज़ सुरक्षा युक्ति है, जो विद्युत परिपथ क्षति तथा संभावित आग के प्रति सुरक्षा प्रदान करता है।

विद्युत धारा का रासायनिक प्रभाव

(Chemical effect of electrical current)

  • जब हम आसुत जल (Distilled water) में नमक घोलते हैं तो हमें नमक का घोल प्राप्त होता है। यह विद्युत का अच्छा चालक है।
  • आसुत जल लवणों से मुक्त होने के कारण हीन चालक होता है |
  • विद्युत द्वारा किसी पदार्थ पर किसी वांछित धातु की परत निक्षेपित करने की प्रक्रिया को विद्युतलेपन कहते हैं। यह ‘ विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव का एक सर्वाधिक सामान्य उपयोग है।

विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव

(Magnetic Effect of Electric current)

  • जब किसी तार से विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो वह चुंबक की भाँति व्यवहार करता है। इसे विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव कहते हैं। वास्तव में, विद्युत धारा का उपयोग चुंबकों के निर्माण में किया जाता है।
  • विद्युत धारा प्रवाहित करने पर कुंडली, चुंबक ही भाँति व्यवहार करती है। जब विद्युत धारा का प्रवाह समाप्त हो जाता है, तो कुंडली का चुंबकत्व सामान्यतः नष्ट हो जाता है। इस प्रकार कुंडली को विद्युत चुंबक कहते हैं। विद्युत चुंबकों को अति प्रबल बनाया जा सकता है। ये अत्यन्त भारी बोझ उठा सकते हैं।
  • विद्युत चुंबकों का उपयोग कबाड़ से चुंबकीय पदार्थों को पृथक् करने के लिए भी किया जाता है।

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चुंबक

(Magnet)

यहां भौतिकी में चुम्बकों से संबंधित अवधारणाओं के उदाहरणों वाली एक तालिका दी गई है:

Concept Description Example
Magnet एक वस्तु जो चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है और लोहा, कोबाल्ट और निकल जैसी सामग्रियों को आकर्षित करती है। छड़ चुम्बक या घोड़े की नाल चुम्बक।
Magnetic Field चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र जहाँ अन्य चुम्बकीय पदार्थों पर उसके प्रभाव या बल का पता लगाया जा सकता है। लोहे का बुरादा चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के साथ संरेखित होता है।
Magnetic Poles चुंबक पर वे बिंदु जहां चुंबकीय क्षेत्र केंद्रित होता है और या तो उत्तर की ओर (N) या दक्षिण की ओर (S) की ओर होता है। एक बार चुंबक के सिरों को उत्तर (N) और दक्षिण (S) के रूप में लेबल किया गया है।
Magnetic Force चुम्बकों के बीच या चुम्बक और चुंबकीय पदार्थ के बीच आकर्षण या प्रतिकर्षण का बल। दो चुम्बकों को एक दूसरे के करीब लाना और बल महसूस करना।
Magnetic Domains चुंबकीय सामग्री के भीतर सूक्ष्मदर्शी क्षेत्र जहां परमाणुओं के चुंबकीय क्षण एक ही दिशा में संरेखित होते हैं। एक अचुंबकीय लोहे की छड़ में यादृच्छिक रूप से उन्मुख चुंबकीय डोमेन।
Electromagnet एक चुंबकीय कोर के चारों ओर लिपटे तार के कुंडल के माध्यम से विद्युत धारा प्रवाहित करके बनाया गया एक अस्थायी चुंबक। विद्युत प्रवाह के साथ एक कील और तार का उपयोग करने वाला एक साधारण विद्युत चुंबक।
Magnetic Induction किसी सामग्री को बाहरी चुंबकीय क्षेत्र में रखे जाने पर उसमें चुंबकीय क्षेत्र बनाने की प्रक्रिया। किसी मजबूत चुंबक के पास मुलायम लोहे की कील को पकड़कर रखने से कील में चुंबकत्व उत्पन्न हो जाता है।
Magnetic Declination पृथ्वी की सतह पर एक विशिष्ट स्थान पर वास्तविक उत्तर और चुंबकीय उत्तर के बीच का कोण। चुंबकीय झुकाव का पता लगाने के लिए चुंबकीय कंपास का उपयोग करना।
Magnetic Resonance Imaging (MRI) एक चिकित्सा इमेजिंग तकनीक जो शरीर की आंतरिक संरचनाओं की विस्तृत छवियां उत्पन्न करने के लिए मजबूत चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों का उपयोग करती है। MRI तकनीक का उपयोग कर चिकित्सा निदान।
Gauss (G) चुंबकीय प्रवाह घनत्व की इकाई, प्रति वर्ग सेंटीमीटर एक मैक्सवेल का प्रतिनिधित्व करती है। गॉस में चुंबकीय क्षेत्र की ताकत को मापना।
Magnetic Levitation वह घटना जहां कोई वस्तु चुंबकीय बलों के कारण हवा में लटक जाती है, अक्सर मैग्लेव ट्रेनों में उपयोग की जाती है। मैग्लेव ट्रेनें (Maglev trains) चुंबकीय उत्तोलन का उपयोग करके पटरियों के ऊपर तैरती हैं।
Magnetic Hysteresis जब किसी चुंबकीय सामग्री को बदलते चुंबकीय क्षेत्र के अधीन किया जाता है तो चुंबकीय बल के पीछे चुंबकीय प्रेरण का विलंब होना। चुंबकीय हिस्टैरिसीस के दौरान चुंबकीयकरण वक्र में लूप।
Curie Temperature वह तापमान जिस पर कोई सामग्री अपने चुंबकीय गुण खो देती है और गैर-चुंबकीय हो जाती है। लोहे के लिए क्यूरी तापमान 770°C (1,418°F) है।
Magnetic Field Lines चुंबकीय क्षेत्र की दिशा और शक्ति को दर्शाने के लिए काल्पनिक रेखाओं का उपयोग किया जाता है। एक बार चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचना।

Note: सारणी में दी गई शब्दावली और उदाहरण हैं जो भौतिकी में चुंबक और चुंबकीय क्षेत्रों के अध्ययन से संबंधित हैं।

  • जिन पदार्थों में लोहे को आकर्षित करने का गुण पाया जाता है वे चुंबक कहलाते हैं।
  • प्राकृतिक रूप से मिलने वाले इन पदार्थों को उन्होंने चुंबक कहा। तत्पश्चात् लोहे के टुकड़ों से चुंबक बनाने की विधि का आविष्कार हुआ, इन्हें कृत्रिम चुंबक कहते हैं। आजकल विभिन्न आकृतियों के कृत्रिम चुंबक बनाए जाते है | उदाहरण के लिए छड़ चुंबक, नाल चुंबक, बेलनाकार अथवा गेलात चुंबक ।

चुंबकीय तथा अचुंबकीय पदार्थ:

  • चुंबक कुछ पदार्थों को आकर्षित करता है जबकि कुछ पदार्थ चुंबक ही ओर आकर्षित नहीं होते। जो पदार्थ चुंबक की ओर आकर्षित होते हैं, वे चुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं – जैसे लोहा, निकिल एवं कोबाल्ट | जो पदार्थ चुंबक की ओर आकर्षित नहीं होते, वे अचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं।

चुंबक के ध्रुव:

  • अधिकतर लोहे का बुरादा छड़ चुंबक के दोनों सिरों के पास चिपकता है। चुंबक के ध्रुव इन सिरों के नजदीक होते हैं।
  • उत्तर की ओर निर्देश करने वाले सिरे को चुंबक का उत्तरोन्मुखी सिरा अथवा उत्तरी ध्रुव कहते हैं । दूसरा सिरा दक्षिणोन्मुखी अथवा दक्षिणी ध्रुव कहलाता है। सभी चुंबकों के दो ध्रुव होते हैं चाहे उनका आकार कैसा भी हो। सामान्यतः चुंबकों पर उत्तर (N) तथा दक्षिण (S) ध्रुवों को अंकित किया जाता है।
  • चुंबकों के इस गुण पर आधारित एक युक्ति विकसित हुई। यह कंपास (दिक्सूचक) के नाम से जानी जाती है।
  • एक चुंबकित सुई डिब्बी के अंदर एक धुरी पर कंपास में एक डायल भी होता है जिसपर दिशाएँ अंकित होती है | कंपास को उस स्थान पर रखते हैं जहाँ हमें दिशा निर्धारण करना है |

चुंबको क बीच आकर्षण तथा प्रतिकर्षण:

  • असमान ध्रुव आकर्षित होते है
  • समान ध्रुव में प्रतिकर्षण
  • यदि चुंबक को गर्म किया जाए, हथौड़े से पीटा जाए या ऊँचाई से गिराया जाए तो वह अपने गुण खो देता है
  • छड़ चुंबकों को सुरक्षित रखने के लिए उनके जोड़ों के असमान ध्रुवों को पास-पास रखा जाना चाहिए।
  • चुंबक को कैसेट, मोबाइल, टेलीविजन, म्यूजिक सिस्टम, सीडी तथा कंप्यूटर से दूर रखें।
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बल

(Force)

यहां भौतिकी में बल से संबंधित अवधारणाओं के उदाहरणों वाली एक तालिका दी गई है:

अवधारणा विवरण उदाहरण
बल

(Force)

एक वस्तु पर प्रभाव डालने वाला एक पुश या पुल होता है, जिससे यह अपनी गति की स्थिति या रूप में परिवर्तित हो सकती है। एक कार को आगे बढ़ाने के लिए धक्का देना या एक दरवाज़ा खींचना।
न्यूटन का पहला नियम

(Newton’s First Law)

यह भी इनर्शिया का नियम कहा जाता है, इसमें कहा गया है कि शांत में एक वस्तु शांत रहती है, और एक गतिमान में एक वस्तु वही गति और उसी दिशा में रहती है जब तक इस पर किसी असंतुलित बाह्य बल का प्रभाव न हो। किताब एक मेज़ पर शांती से रहती है जब तक कोई इसे धक्का नहीं देता।
न्यूटन का दूसरा नियम

(Newton’s Second Law)

इसने बल को भार और त्वरण का गुणन के रूप में परिभाषित किया है और इसे समीकरण F = ma द्वारा दिया गया है। एक कार को गैस पैडल पर बल लगाकर तेज़ी से बढ़ाना।
न्यूटन का तीसरा नियम

(Newton’s Third Law)

हर क्रिया का एक बराबर और उलटा प्रतिक्रिया होती है; यदि वस्तु A वस्तु B पर बल का प्रभाव करती है, तो वस्तु B समय-अनुपस्थित में उसी दिशा में बराबर मात्रा में एक प्रतिक्रिया देती है। डाइविंग बोर्ड से कूदना; बोर्ड का बल आपको ऊपर धकेलता है, और आपका बोर्ड पर बल नीचे ले आता है।
गुरुत्वाकर्षण बल

(Gravitational Force)

दो मासों के बीच की आकर्षण शक्ति, जिसमें उनके मास और उनके बीच की दूरी का निर्भर होता है। पृथ्वी और इसकी सतह पर किसी वस्तु के बीच गुरुत्वाकर्षण बल।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक बल

(Electromagnetic Force)

दो आवेशी अणुओं के बीच की बल, जिसमें विभिन्न चार्ज वाले कणों के बीच आकर्षण और समान चार्ज वाले कणों के बीच पुनर्प्रतिक्रिया शामिल है। एक परमाणु और एक इलेक्ट्रॉन के बीच बल।
घर्षणीय बल

(Frictional Force)

दो सतहों के संपर्क में रहने वाली दो वस्तुओं के बीच की गति या ऐसी गति के प्रवृत्ति का प्रतिरोध करने वाली बल। एक मेज़ पर एक किताब को धक्का देना, घर्षणा महसूस करना।
तनाव बल

(Tension Force)

एक रस्से, रोप, केबल या किसी अन्य प्रकार के लचीले जड़ने के माध्यम से संबंधित बल। एक रोप में एक लट्ठी को टेंशन।
सामान्य बल

(Normal Force)

एक सतह द्वारा एक वस्तु पर समर्थित वजन का बल। एक मेज़ पर रखी गई किताब पर मेज़ का सामान्य बल।
स्प्रिंग बल

(Spring Force)

एक स्प्रिंग द्वारा उसकी स्थिति से हटाए जाने या उसे खींचे जाने पर उत्पन्न होने वाला बल। एक ब्लॉक से जुड़े स्प्रिंग को दबाना या खींचना।
लागू बल

(Applied Force)

व्यक्ति या किसी अन्य वस्तु द्वारा एक वस्तु पर लागू किया गया बल। अपने हाथों से एक डिब्बे को आगे बढ़ाने के लिए बल लागू करना।
वायु प्रतिरोध बल

(Air Resistance)

वायु मोलेक्यूलों द्वारा एक वस्तु की गति के प्रति प्रतिरोध द्वारा उत्पन्न बल। एक गिरते हुए पैराशूट के द्वारा महसूस की जाने वाली प्रतिरोध।
भौतिक बल

(Buoyant Force)

एक द्रव्य (तरल या गैस) द्वारा एक वस्तु पर उत्पन्न ऊपरद्रव्य बल। एक तैरती हुई वस्तु जो ऊपरद्रव्य बल को महसूस करती है।
चुंबकीय बल

(Magnetic Force)

दो चुंबकों के बीच या एक चुंबक और एक चुंबकीय सामग्री के बीच बल। दो बार चुंबकों के बीच एक दूसरे को आकर्षित करने वाला बल।
लागू बल

(Applied Force)

व्यक्ति या किसी अन्य वस्तु द्वारा एक वस्तु पर लागू किया गया बल। हवा के माध्यम से एक प्लेन को आगे बढ़ाने के लिए बल लागू करना।

Note: सारणी में दी गई शब्दावली और उदाहरण हैं जो भौतिकी में बल और इसके विभिन्न अनुप्रयोगों से संबंधित हैं।

  • किसी वस्तु पर एक ही दिशा में लगाए गए बल जुड़ जाते हैं।
  • यदि किसी वस्तु पर दो बल विपरीत दिशा में कार्य करते हैं तो इस पर लगने वाला कुल (नेट) बल दोनों बलों के अंतर के बराबर होता है।
  • बल की प्रबलता प्रायः इसके परिमाण से मापी जाती है।
  • यदि लगाया गया बल गति की दिशा में है तो वस्तु की चाल बढ़ जाती है। यदि बल वस्तु ही गति की दिशा के विपरीत दिशा में लगाया जाए तो वस्तु की चाल कम हो जाती है।
  • किसी वस्तु की चाल अथवा उसकी गति की दिशा, अथवा दोनों में होने वाले परिवर्तन को इसी गति की अवस्था में परिवर्तन द्वारा व्यक्त किया जाता है। बल द्वारा किसी वस्तु की गति की अवस्था में परिवर्तन लाया जा सकता है।
  • कोई वस्तु बिना बल लगाए, अपने आप गति में नहीं आ सकती, अपने आप दिशा परिवर्तित नहीं कर सकती तथा अपने आप आकृति में परिवर्तन नहीं ला सकती।

सम्पर्क बल:

पेशीय बल

  • हमारी मांसपेशियों के क्रियास्वरूप लगने वाले बल को पेशीय बल कहते हैं।
  • पशु भी अपने शारीरिक क्रियाकलापो तथा अन्य कार्यों को करने के लिए पेशीय बल का उपयोग करते हैं। बैल, घोड़े, गधे तथा ऊँट जैसे पशु हमारे लिए विभिन्न कार्य करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
  1. आरोपित बल
  2. सर्पी बल
  3. घर्षण
  4. वायु प्रतिरोध
  • पेशीय बल तभी लगाया जा सकता है जब पेशियाँ किसी वस्तु के सम्पर्क में हों, इसलिए इसे
    सम्पर्क बल भी कहते हैं ।
  • घर्षण बल भी सम्पर्क बल का एक उदाहरण है।

असम्पर्क बल:

  • एक चुंबक दूसरे चुंबक पर बगैर सम्पर्क में आते ही बल लगा सकता है। चुंबक द्वारा लगाया गया बल असम्पर्क बल का एक उदाहरण है।
  • चुंबक द्वारा किसी लोहे के टुकड़े पर लगाया गया बल भी असम्पर्क बल है।
  1. गुरुत्व बल
  2. विधुत् बल
  3. चुम्बकीय बल
  • एक आवेशित वस्तु द्वारा किसी दूसरी आवेशित अथवा अनावेशित वस्तु पर लगाया गया बल स्थिरवैद्युत बल कहलाता है। वस्तुओं के सम्पर्क में न होने पर भी यह बल कार्य करता है। इसलिए स्थिरवैद्युत बल असम्पर्क बल का एक अन्य उदाहरण है।
  • वस्तुएँ पृथ्वी की ओर इसलिए गिरती हैं क्योंकि यह उन्हें अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इस बल को गुरुत्व बल या केवल गुरुत्व कहते हैं। यह एक आकर्षण बल है । गुरुत्व बल प्रत्येक वस्तु पर लगता है।

दाब

(Pressure)

  • किसी पृष्ठ के प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाले बल को दाब कहते हैं।
  • दाब = बल / क्षेत्रफल जिस पर यह लगता है
  • हमारे चारों ओर वायु है। वायु के इस आवरण को वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडलीय वायु पृथ्वी तल से कई किलोमीटर ऊपर तक फैली है। इस वायु द्वारा लगाए गए दाब को वायुमंडलीय दाब कहते हैं ।

घर्षण

(Friction)

  • घर्षण बल सदैव ही लगाए गए बल का विरोध करता है । घर्षण बल पुस्तक तथा भेज़ के पृष्ठों के बीच कार्य करता है।
  • घर्षण सम्पर्क में आने वाले दो पृष्ठों की अनियमितताओं के कारण होता है।
  • यदि पृष्ठ रूक्ष हो तो घर्षण बल अधिक होता है।
  1. बल
  2. घर्षण
  3. गति
  • किसी रुकी हुई वस्तु को विराम से गति प्रारम्भ करने की स्थिति में घर्षण पर पार पाने के लिए वस्तु पर लगाया जाने वाला बल स्थैतिक घर्षण ही माप होती है। इसके विपरीत, किसी वस्तु को उसी चाल से गतिशील रखने के लिए आवश्यक बल उसके घर्षण की माप होती है।
  • सर्पी घर्षण (Slippery friction) स्थैतिक घर्षण से कुछ कम होता है।
  • यदि घर्षण न हो तो आप पेन अथवा पेंसिल से नहीं लिख सकते।
  • यदि कोई वस्तु गति आरम्भ कर दे तो वह कभी नहीं रुकेगी, यदि वहाँ घर्षण न हो।
  • घर्षण कम करने वाले पदार्थों को स्नेहक कहते हैं।
  • घर्षण कदापि पूर्णतः समाप्त नहीं हो सकता है। कोई पृष्ठ पूर्णत: चिकना नहीं होता उसमें कुछ अनियमितताएँ अवश्य होती हैं।
  • जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु के पृष्ठ पर लुढ़कती है तो उसकी गति के प्रतिरोध को लोटनिक घर्षण कहते हैं। लोटन घर्षण कम कर देता है। किसी वस्तु को दूसरी वस्तु पर की तुलना में लोटन करना सदैव आसान होता है |
  • लोटनिक घर्षण स घर्षण से कम होता है।
  • तरलों द्वारा लगाए गए घर्षण बल को कर्षण भी कहते है |
  • किसी तरल पर लगने वाला घर्षण बल उसकी तरल के सापेक्ष गति पर निर्भर करता है। घर्षण बल वस्तु वी आकृति तथा तरल की प्रकर्ति पर भी निर्भर करता है |
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ध्वनि

(Sound)

यहां भौतिकी में ध्वनि से संबंधित अवधारणाओं के उदाहरणों वाली एक तालिका दी गई है:

Concept Description Example
Sound यांत्रिक कंपन तरंगों के रूप में एक माध्यम से प्रेषित होता है, आमतौर पर हवा के माध्यम से। घंटी बजने की आवाज.
Vibrations किसी माध्यम में कणों की तीव्र आगे-पीछे की गति जो तरंग उत्पन्न करती है और ध्वनि उत्पन्न करती है। गिटार के तार को छेड़ने से कंपन उत्पन्न होता है।
Frequency समय की प्रति इकाई ध्वनि तरंग के दोलनों या चक्रों की संख्या, Hertz (Hz) में मापी जाती है। ऊँचे स्वर की ध्वनि की आवृत्ति अधिक होती है।
Amplitude ध्वनि तरंग में कणों का अधिकतम विस्थापन, ध्वनि की प्रबलता का निर्धारण करता है। उच्च आयाम वाली ध्वनि उत्पन्न करने वाला लाउडस्पीकर।
Wavelength ध्वनि तरंग में दो लगातार बिंदुओं के बीच की दूरी जिसमें विक्षोभ चरण में होता है। लघु तरंग दैर्ध्य उच्च आवृत्तियों के अनुरूप हैं।
Speed of Sound वह गति जिस पर ध्वनि तरंगें किसी माध्यम, जैसे हवा, पानी या ठोस से होकर गुजरती हैं। ध्वनि हवा की तुलना में ठोस पदार्थों में अधिक तेजी से चलती है।
Pitch किसी ध्वनि की अनुमानित आवृत्ति, यह निर्धारित करती है कि यह उच्च या निम्न है। धीमी ढोल की थाप की तुलना में ऊँची आवाज़ वाली सीटी।
Loudness ध्वनि की तीव्रता की व्यक्तिपरक धारणा, उसके आयाम से संबंधित है। स्टीरियो पर वॉल्यूम बढ़ाने से आवाज़ बढ़ती है।
Resonance प्राकृतिक आवृत्तियों के मिलान के कारण ध्वनि तरंगों का सुदृढ़ीकरण या प्रवर्धन। एक ट्यूनिंग कांटा जिसके कारण कांच में प्रतिध्वनि होती है।
Echo किसी सतह से ध्वनि तरंगों का परावर्तन, मूल ध्वनि की एक अलग पुनरावृत्ति बनाता है। घाटी में चिल्लाना और प्रतिध्वनि सुनना।
Doppler Effect गतिमान पर्यवेक्षक के संबंध में ध्वनि तरंग की आवृत्ति या तरंग दैर्ध्य में परिवर्तन। आती हुई एम्बुलेंस का सायरन स्वर बदलता हुआ।
Sound Intensity समय की प्रति इकाई ध्वनि तरंग द्वारा वहन की गई ऊर्जा की मात्रा, डेसीबल (dB) में मापी जाती है। किसी रॉक कॉन्सर्ट में ध्वनि की तीव्रता अधिक हो सकती है।
Sound Wave एक अनुदैर्ध्य तरंग जिसमें संपीड़न और विरलन होते हैं, एक माध्यम से ऊर्जा संचारित करते हैं। Oscilloscope पर ध्वनि तरंग की कल्पना करना।
Sound Reflection जब ध्वनि तरंगें किसी ऐसी सतह से टकराती हैं जो उन्हें अवशोषित नहीं करती है तो उनका वापस उछलना। किसी पहाड़ से तुम्हारी आवाज गूंजती हुई सुनाई दे रही है।
Sound Absorption वह प्रक्रिया जिसके द्वारा ध्वनि तरंगें अवशोषित हो जाती हैं और किसी सतह से वापस परावर्तित नहीं होती हैं। ध्वनि अवशोषण के लिए रिकॉर्डिंग स्टूडियो में ध्वनिक पैनल।
Sound Transmission किसी सामग्री या माध्यम से ध्वनि तरंगों की गति, जिससे उन्हें फैलने की अनुमति मिलती है। किसी भवन में दीवारों के माध्यम से ध्वनि संचरण।
Ultrasound मानव श्रवण की ऊपरी सीमा (20,000 हर्ट्ज) से अधिक आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगें। आंतरिक अंगों की इमेजिंग के लिए मेडिकल अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है।
Infrasound मानव श्रवण की निचली सीमा (20 हर्ट्ज) से कम आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगें। कुछ जानवर इन्फ्रासाउंड का उपयोग करके संचार करते हैं।
Acoustics भौतिकी की वह शाखा जो ध्वनि, उसके उत्पादन, संचरण और प्रभावों का अध्ययन करती है। कॉन्सर्ट हॉल को डिज़ाइन करने में ध्वनिकी के सिद्धांत शामिल होते हैं।

Note: सारणी में दी गई शब्दावली और उदाहरण हैं जो भौतिकी में ध्वनि और ध्वनिकी से संबंधित सामान्यता प्राप्त हैं।

  • मानवों में ध्वनि वाकयंत्र अथवा कंठ (larynx) द्वारा उत्पन्न होती है।
  • जब फेफड़े वायु को बलपूर्वक झिनी से बाहर निकालते हैं तो वाक्-तंतु कंपित होते हैं जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है।
  • पुरुषों के वाक्-तंतुओं की लंबाई लगभग 20mm होती है। महिलाओं में इसकी लंबाई लगभग 15 mm होती है। बच्चों के वाक्-तंतु बहुत छोटे होते हैं। यही कारण है कि पुरुषों, महिलाओं तथा बच्चों की वाक् ध्वनियाँ भिन्न-भिन्न होती हैं।
  • ध्वनि को संचरण (एक जगह से दूसरी जगह जाने) के लिए कोई माध्यम चाहिए। जब किसी बर्तन में से वायु पूरी तरह निकाल दी जाती है तो कहा जाता है कि बर्तन में निर्वात है। ध्वनि निर्वात में संचरित नहीं हो सकती ।
  • ध्वनि बोरियों में भी चल सकती है।
  • कंपायमान वस्तुएँ ध्वनि उत्पन्न कर सकती हैं तथा यह किसी माध्यम में सभी दिशाओं में संचरित हो सकती है। यह माध्यम गैस, द्रव या टोस कोई भी हो सकता है।

कान:

  • कान के बाहरी भाग की आकृति प (फनल) जैसी होती है। जब ध्वनि इसमें प्रवेश करती है तो यह एक नलिका से गुजरती है जिसके सिरे पर एक पतती तानित झिल्ली होती है। इसे कर्ण पटह (eardrum) कहते हैं ।
  • कर्ण पटह एक तानित रबड़ की शीट के समान होता है। ध्वनि के कम्पन कर्ण पटह को कंपित करते हैं। कर्ण पटह कंपनों को आंतर कर्ण (inner ear) तक भेज देता है। वहाँ से संकेतो को मस्तिष्क तक भेज दिया जाता है। इस प्रकार हम ध्वनि को सुनते हैं।

कंपन का आयाम, आवर्तकाल तथा आवृति:

  • किसी वस्तु का बार-बार इधर-उधर गति करना कंपन कहलाता है। इस गति को टोलन गति भी कहते हैं।
  • प्रति सेकंड होने वाले दोलनों की संख्या को टोलन ही आवृत्ति कहते हैं । आवृत्ति को हर्ट्ज़ में मापा जाता | इसका संकेत Hz 1 Hz आवृत्ति एक टोलन प्रति सेकंड के बराबर होती है।
  • आयाम तथा आवृति किसी ध्वनि के दो महत्वपूर्ण गुण हैं ।

प्रबलता तथा तारत्व:

  • ध्वनि की प्रबलता ध्वनि उत्पन्न करने वाले कंपनों के आयाम के वर्ग के समानुपातिक है। उदाहरण के लिए, यदि आयाम दुगुना हो जाए तो प्रबलता 4 के गुणक में बढ़ जाती है। प्रबलता को डेसिबेल (dB) मात्रक में व्यक्त करते हैं।
  • 80 dB से अधिक प्रबल शोर शरीर के लिए कष्टदायक होता है।
  • ध्वनि की प्रबलता इसके आयाम पर निर्भर करती है। जब किसी कंपित वस्तु का
    अधिक होता है तो इसके द्वारा उत्पन्न ध्वनि प्रबल होती है। जब आयाम छोटा होता है तो उत्पन्न ध्वनि मंद होती है।
  • आवृत्ति ध्वनि की तीक्ष्णता या तारत्व को निर्धारित करती है। यदि कंपनी आवृत्ति अधिक है तो हम कहते हैं कि ध्वनि तीखी है। यदि कंपन ही आवृत्ति कम है तो हम कहते हैं कि ध्वनि का तारत्व कम है।

श्रव्य तथा अश्रव्य ध्वनियाँ:

  • तथ्य यह है कि लगभग 20 कंपन प्रति सेकंड 20 Hz से कम आवृत्ति की ध्वनियाँ मानव कान सुन नहीं सकता। यह कह सकते हैं कि 20 Hz से कम आवृत्ति की ध्वनियाँ मानव कान द्वारा संसूचित नहीं की जा सकतीं। ऐसी ध्वनियों को अश्रव्य कहते हैं। उधर लगभग 20,000 कंपन प्रति सेकंड (20 k Hz) से अधिक की आवृत्ति की ध्वनियाँ भी मानव कान द्वारा संसूचित नहीं होती है।
  • मानव कानों के लिए श्रव्य ही आवृत्ति का परास (Range) लगभग 20 Hz से 20,000 Hz तक है। इसका अर्थ यह है कि हम केवल 20 Hz 20k Hz के बीच ही आवृत्ति वाली ध्वनियाँ ही सुन सकते हैं।
  • कुछ जंतु 20,000 Hz से अधिक की आवृत्ति की ध्वनियों को भी सुन सकते हैं। कतों में यह क्षमता है। पुलिसकर्मी उच्च आवृत्ति की ध्वनि उत्पन्न करने वाली सीटियों का उपयोग करते हैं जिसे कुत्ते सुन सकते हैं लेकिन मानव नहीं
    पाते।
  • जाने माने पराश्रव्य ध्वनि (ultrasound) उपकरण जो चिकित्सा के क्षेत्र में अनेक समस्याओं अनुसंधान एवं निदान के लिए प्रयोग होते हैं, 20,000 Hz से अधिक ही आवृत्ति पर कार्य करते हैं

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