CTET Political Science Notes in Hindi

CTET Political Science Notes in Hindi

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CTET SST Complete Notes

(सम्पूर्ण नोट्स)

1. Geography Notes in Hindi

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2. History Notes in Hindi

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3. Political Science Notes in Hindi

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Political Science


सामाजिक एवं राजनितिक जीवन
Social And Political Life

ग्रामीण स्वशासन

(Rural Self Government)

गाँवों में सार्वजनिक सुविधाओं का प्रबंध करने के लिए ही ग्रामीण स्वशासन होता है। इन सार्वजनिक सुविधाओं को उपलब्ध कराने व अन्य समस्याओं का निराकरण करने के लिए पंचायत व्यवस्था बनाई गई है।

ग्राम पंचायत व्यवस्था (village panchayat system)

पंचायत व्यवस्था 3 स्तरों पर कार्य करती है:-

  1. ग्राम पंचायत (Village Panchayat)
  2. क्षेत्र पंचायत (Area Panchayat)
  3. जिला पंचायत (District Panchayat)

ग्राम पंचायत समिति का सदस्य होने के लिए योग्यता (Qualification for being a member of Gram Panchayat Samiti)

  1. ग्राम पंचायत समिति का सदस्य होने के लिए व्यक्ति को उस गाँव का निवासी तथा भारत का नागरिक होना आवश्यक है।
  2. उसकी उम्र कम से कम 21 वर्ष की हो।
  3. वह पागल या दिवालिया न हो ।
  4. वह किसी न्यायालय द्वारा कोई सजा न पाया हो ।

जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि (representative elected by the people)

  1. ग्राम प्रधान (Head of Village)
  2. उप प्रधान (Deputy head)
  3. ग्राम पंचायत (Village Panchayat)
  4. समिति के सदस्य (Committee member)

सरकार द्वारा नियुक्त कर्मचारी (Employee Appointed by the Government)

  1. ग्राम पंचायत अधिकारी (Gram Panchayat Officer (Secretary))
  2. ग्राम विकास अधिकारी (village development officer)
  3. लेखपाल (ledger)
  4. बेसिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (basic health worker)
  5. नलकूप चालक (well operator)
  6. प्रधानाध्यापक (the headmaster)
  7. शिक्षक (Teacher)

ग्राम पंचायत के कार्य (Work of Gram Panchayat)

  • ग्राम पंचायत यह देखती है कि गाँव की जनता प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के द्वारा स्वास्थ्य की सुविधा प्राप्त कर रही है या नहीं। यह बच्चों की शिक्षा के लिए विद्यालय की निगरानी करती है।
  • गाँव की गलियों में खड़न्जा बिछवाने, सड़क बनवाने, पानी की निकासी के लिए नाली बनवाने, बिजली, पीने के पानी इत्यादि की व्यवस्था तथा जन्म और मृत्यु का ब्यौरा तैयार करने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होती है।
  • गाँव की सार्वजनिक सम्पत्ति का रख-रखाव एवं इनके खरीदने तथा नीलामी का कार्य ग्राम पंचायत द्वारा ही होता है। पंचायत अपनी आमदनी तथा खर्च का हिसाब-किताब रखती है। वर्ष में दो बार ग्राम पंचायत की बैठक होती हैं।

अन्य महत्वपूर्ण बिंदु (other important points)

  • कम से कम 1000 की आबादी पर एक ग्राम पंचायत होती है। जिन गाँवों की आबादी 1000 से है वहाँ पास के अन्य छोटे-छोटे गाँवों को मिलाकर ग्राम पंचायत बनाई जाती है।
  • पंचायत समिति के सदस्यों की संख्या 09 से 15 तक हो सकती है।
  • ग्राम प्रधान ग्राम शिक्षा समिति का अध्यक्ष होता निशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण तथा विद्यालय में दोपहर के भोजन (Mid Day Meal) की व्यवस्था उसकी देख-रेख में होती है।
  • ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम पंचायत का जनता द्वारा चुना नहीं जाता बल्कि सरकार द्वारा नियुक्त कर्मचारी होता है |

क्षेत्र पंचायत (Area Panchayat)

इसे ‘ब्लॉक आफिस’ या ‘ब्लॉक का दफ्तर’ भी कहते हैं। क्षेत्र पंचायत सदस्यों को B. D. C मेम्बर भी कहते हैं। विकासखण्ड के सभी गाँवों के प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्यों को मिलाकर क्षेत्र पंचायत है।

क्षेत्र पंचायत समितियाँ (Area Panchayat Samitis)

  1. क्षेत्र की निर्माण समिति (Area Construction Committee)
  2. क्षेत्र की जल समिति (Area Water Committee)
  3. क्षेत्र की शिक्षा समिति (Area Education Committee)
  • हर एक समिति के सदस्यों की संख्या 10 से 15 तक हो सकती है।
  • क्षेत्र पंचायत के सदस्य की उम्र कम से कम 21 वर्ष की होती है ।

जिला पंचायत

  • विकेन्द्रीकृत पंचायती राज व्यवस्था के अन्तर्गत जिस तरह हर गाँव में ग्राम पंचायत व हर विकासखण्ड में एक क्षेत्र पंचायत काम करती है, उसी तरह उत्तर प्रदेश के हर जिले) जनपद (में जिला पंचायत काम करती है।
  • जिले की सभी क्षेत्र पंचायतों को मिलाकर जिला पंचायत बनती है। जिला पंचायत के सदस्य क्षेत्र पंचायत के सभी प्रमुख जिला पंचायतों के सदस्य हैं। जिले के सांसद व विधायक भी जिला पंचायत के सदस्य होते हैं।
  • जिला पंचायत के सदस्य अपने बीच में से एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष चुनते हैं। जिले का मुख्य विकास अधिकारी) C.D.O) जिला पंचायत का सचिव होता है।

चुनाव की प्रक्रिया

  • जिला पंचायत के सदस्य भी पाँच साल के लिये चुने जाते हैं।
  • 21 वर्ष से कम उम्र का व्यक्ति जिला पंचायत का सदस्य नहीं बन सकता।
  • जिला पंचायत की एक बैठक तीन महीने में जरूर होनी चाहिए, ऐसा नियम है।
  • विकासखण्ड का काम-काज देखने के लिए जिला पंचायत अपने सदस्यों की छोटी-छोटी समितियाँ बनाती है। जैसे शिक्षा समिति, सिंचाई व्यवस्था समिति, पशु-पालन समिति, भूमि विकास समिति आदि ।

नगरीय स्वशासन

  • बहुत छोटे शहरों में नगर पंचायतें हैं, कुछ बड़े शहरों में नगर परिषदें हैं और बहुत बड़े शहरों में नगर निगम हैं। सरकारी नियम है कि जिस शहर या कस्बे की आबादी 5 हजार से एक लाख के बीच हो, वह नगर पंचायत बना सकता है।
  • पांच हजार से एक लाख की आबादी वाले शहर में नगर पंचायत का गठन होता है। नगर पंचायत में सदस्यों की संख्या 10 से 24 के बीच होती है।
  • एक लाख से पांच लाख की आबादी वाले शहर में एक नगरपालिका परिषद का गठन किया जाता है। नगर परिषद में सदस्यों की संख्या 25 से 55 के बीच भिन्न होती है।
  • 5 लाख से अधिक आबादी वाले शहर में एक नगर निगम का गठन किया जाता है। नगर निगम में सदस्यों की संख्या 60 से 110 के बीच होती है।
  • राज्य सरकार नगर परिषद या नगर निगम को भंग कर सकती है।
  • नगर पंचायत, नगर परिषद और नगर निगम के कुछ नियम कानून हैं। ये नियम और कानून राज्य सरकार द्वारा बनाए गए हैं।
  • नगर पंचायत, नगर परिषद या नगर निगम! वर्षों से बना है।
  • प्रत्येक नगर पंचायत, नगर परिषद या नगर निगम में कम से कम एक तिहाई महिला सदस्य और कुछ अनुसूचित जाति के सदस्य होंगे।
  • नगर निगम का अध्यक्ष एक अध्यक्ष होता है जिसे मेयर या मेयर कहा जाता है। महापौर जनता द्वारा चुना जाता है।
  • प्रत्येक नगर परिषद में एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी होता है और प्रत्येक नगर निगम में एक आयुक्त होता है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी और आयुक्त जनता द्वारा चुने नहीं जाते बल्कि सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
  • यदि नगर पंचायत, नगर परिषद, या नगर निगम किसी भी कारण से भंग कर दिया जाता है, तो सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासक उसका काम देखता है।

वार्ड :- नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद् अथवा नगर निगम के सदस्यों के चुनाव के लिए नगर क्षेत्रको खण्डों या भागों में विभाजित कर दिया जाता है, इस खण्ड या भाग को वार्ड कहते हैं

जिला प्रशासन

  • अधिकारी व कर्मचारी :- यह जनप्रतिनिधियों की तरह जनता द्वारा निश्चित समय के लिए नहीं चुने जाते हैं बल्कि ये विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं एवं चयन प्रक्रिया द्वारा चयनित किए जाते हैं। ये 60 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्यरत रहते हैं।
  • राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियम-कानून और योजनाओं को जिलाधीश, तहसीलदा और लेखपाल जिले में लागू करते हैं। वे राज्य सरकार द्वारा दिए गए आदेशों का पालन करते हैं। वे स्वयं कोई नियम-कानून या नीति नहीं बदल सकते हैं, न ही कोई नया कानून या योजना बना सकते हैं।

जिला प्रशासन के कार्य

  • जिले में शांति व्यवस्था बनाए रखना।
  • भू – प्रबंधन
  • नागरिक सुविधाएं और सभी के लिए विकास के समान अवसर

भारत की विदेश नीति

(India’s Foreign Policy)

किसी भी देश की विदेश नीति का उद्देश्य अपने देश के हितों की रक्षा करना है। सबसे पहले वह अपने पडोसी देशों की ओर देखता है और उनके साथ मित्रता एवं सहयोग क भाव रखना चाहता है इससे वह विश्व के सभी देशों की स्थिति को जानने का प्रयास करत है। उसी के आधार पर अपनी विदेश नीति निश्चित करता है।

Ctet-Political-Science-Notes-In-Hindi
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1947 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से भारत की विदेश नीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। समय के साथ देश की विदेश नीति के उद्देश्य इसके आर्थिक, सुरक्षा और सामरिक हितों को प्रतिबिंबित करने के लिए विकसित हुए हैं। भारत की विदेश नीति के कुछ प्रमुख पहलू इस प्रकार हैं:

  • गुटनिरपेक्षता (Non-alignment): भारत की विदेश नीति की विशेषता गुटनिरपेक्षता के प्रति प्रतिबद्धता है। इसका मतलब यह है कि भारत सभी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखना चाहता है और किसी एक शक्ति गुट के साथ गठबंधन करने से बचना चाहता है। इस नीति को शुरू में भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने शीत युद्ध काल के दौरान अपनाया था, और आज भी भारत की विदेश नीति की आधारशिला बनी हुई है। भारत ने शांतिपूर्ण एवं स्वतंत्र विदेश नीति अपनाने का निश्चय किया। शांतिपूर्ण और स्वतंत्रता की यह विदेश नीति ही गुट निरपेक्षता की नीति में बदल गई। गुट निरपेक्षता का अर्थ है कि भारत न तो किसी गुट में शामिल होगा और न किसी देश के साथ सैनिक संधियाँ करेगा।
  • क्षेत्रवाद (Regionalism): भारत ने अपनी विदेश नीति में क्षेत्रीय सहयोग के महत्व पर भी बल दिया है। देश ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) में अग्रणी भूमिका निभाई है और लुक ईस्ट पॉलिसी और एक्ट ईस्ट पॉलिसी जैसी पहलों के माध्यम से अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को मजबूत करने की मांग की है।
  • आर्थिक कूटनीति (Economic Diplomacy): भारत ने अपनी विदेश नीति के प्रमुख घटक के रूप में आर्थिक कूटनीति पर तेजी से ध्यान केंद्रित किया है। देश ने मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया अभियान जैसी पहलों के माध्यम से विदेशी निवेश को आकर्षित करने और अन्य देशों के साथ व्यापार बढ़ाने की मांग की है।
  • सामरिक भागीदारी (Strategic Partnerships): भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और रूस सहित दुनिया भर के प्रमुख देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी विकसित की है। ये साझेदारी सुरक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में साझा हितों पर आधारित हैं।
  • बहुपक्षवाद (Multilateralism): भारत संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापार संगठन और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों का सदस्य है। विकासशील देशों के हितों की वकालत करने और बहुपक्षवाद को बढ़ावा देने वाले इन संगठनों में भारत ने सक्रिय भूमिका निभाई है।

कुल मिलाकर, भारत की विदेश नीति क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता को बढ़ावा देने, अपने आर्थिक और रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने और विश्व मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने की इच्छा से प्रेरित है।

पंचशील सिद्धान्त

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं० जवाहर लाल नेहरू किसी भी राष्ट्र के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने के विरुद्ध थे। उनके इन्हीं विचारों से 1954 में पाँच सिद्धान्त बनाए गए जिन्हें पंचशील के नाम जाना जाता है। ये हमारी विदेश नीति के आधार हैं।

ये सिद्धान्त इस प्रकार हैं

  • एक दूसरे की राज्य की सीमा एवं उनकी प्रभुसत्ता का सम्मान किया जाए।
  • एक दूसरे के भू-भाग पर आक्रमण न किया जाए।
  • एक दूसरे के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप न किया जाए।
  • समानता और पारस्परिक लाभ को ध्यान में रखा जाए।
  • शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की भावना का पालन किया जाए।

निःशस्त्रीकरण की नीति

विश्व में शांति बनाए रखने के लिए हमारे देश ने निःशस्त्रीकरण) शस्त्रों को कम करना (की नीति का समर्थन किया। शस्त्रों की होड़ में युद्ध की सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं। भारत का विचार है कि यदि शस्त्र एवं सेना में अधिक व्यय न किया जाए तो विश्व में तनाव कम होगा। इसके अतिरिक्त निःशस्त्रीकरण से जितने धन की बचत होगी उसका उपयोग जनकल्याण के कार्यों में हो सकेगा।

  • भारत की विदेश नीति गुट निरपेक्षता, पंचशील, निःशस्त्रीकरण की नीति का समर्थन करती है।

विश्व युद्ध ‘समुदाय एवं भारत (World War ‘Community and India)

  • पहला विश्वयुद्ध सन् 1914 में प्रारम्भ हुआ था जो सन् 1918 तक चला। इसमें भाग लेने वाले देश थे – एक तरफ आस्ट्रिया, हंगरी, जर्मनी, टर्की तथा दूसरी तरफ सर्बिया, इंग्लैण्ड,  फ्रांस, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका ।
  • जर्मनी द्वारा 1 सितंबर, 1939 को पोलैंड पर आक्रमण के दो दिन बाद ब्रिटेन और फ्राँस ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। इस घटना ने द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत कर दी। इस युद्ध में भाग लेने वाले देशों में एक ओर इंग्लैण्ड, फ्रांस और रूस तथा दूसरी ओर जर्मनी, जापान और इटली थे।

यहां विश्व युद्धों और उनके घटित होने के वर्षों के साथ-साथ इसमें शामिल कुछ प्रमुख देशों की एक तालिका है:

World War / Years Countries
World War I

1914-1918

Allied Powers (मित्र राष्ट्र): France, United Kingdom, Russia, United States, and others. Central Powers: Germany, Austria-Hungary, Ottoman Empire, and others.
World War II

1939-1945

Allied Powers (मित्र राष्ट्र): United States, United Kingdom, Soviet Union, China, and others. Axis Powers: Germany, Japan, Italy, and others.

यह ध्यान देने योग्य है कि कई अन्य देश इन संघर्षों में प्रमुख शक्तियों और छोटे प्रतिभागियों दोनों के रूप में शामिल थे। यह शामिल कुछ सबसे महत्वपूर्ण देशों का एक संक्षिप्त अवलोकन है।

संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations organisation)

  • संसार के अनेक देशों की बर्बादी देखकर यह अनुभव किया गया कि भविष्य में ऐसे युद्ध न हो । संसार में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए विभिन्न राष्ट्रों ने अमेरिका के सेन फ्रान्सिस्को नगर में 24 अक्टूबर 1945 को राष्ट्र संघ की स्थापना की ।
  • दक्षिण सूडान को 193वें देश के रूप में संयुक्त सम्मिलित किया गया।
  • शुरू में इस संघ में केवल 51 राष्ट्र सदस्य थे । जिसमें भारत भी शामिल था। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ में 193 सदस्य हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ ने 10 दिसम्बर, 1948 को मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की इसलिए प्रत्येक वर्ष 10 दिसम्बर को ‘मानवाधिकार दिवस’ (Human Rights Day) मनाया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के अंग

संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 अंग है

  1. महासभा
  2. सुरक्षा परिषद्
  3. आर्थिक एवं सामाजिक परिषद्
  4. न्याय परिषद्
  5. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय
  6. सचिवालय

1. महासभा (General Assembly)

संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्य महासभा के सदस्य होते हैं। प्रत्येक राष्ट्र सदस्य महासभा में अधिक से अधिक पाँच प्रतिनिधि भेज सकता है किन्तु मतदान के समय एक राष्ट्र एक ही मत दे सकता है।

महासभा में 6 भाषाओं में कार्य किया जाता है। ये भाषाएँ हैं –

  1. अंग्रेजी
  2. चीनी
  3. स्पेनिश
  4. रूसी
  5. अरबी
  6. फ्रेंच

हमारे देश की श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित महासभा की अध्यक्ष रह चुकी हैं।

2. सुरक्षा परिषद

  • सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य होते हैं। इनमें से 5 देश स्थाई सदस्य हैं। स्थाई सदस्य राष्ट्र है – 1. चीन, 2. फ्रांस, 3. रूस, 4. संयुक्त राज्य अमेरि 5. ब्रिटेन
  • शेष 10 अस्थाई सदस्य केवल 2 वर्षों के लिए महास से चुने जाते हैं।

3. आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (Economic And Soclal Council)

  • इसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं का समाधान करना है। इसका उद्देश्य यह भी है कि जाति, भाषा, या धर्म के आधार पर कोई भेदभाव न किया जाए । मानव अधिकार के प्रति विश्व का सम्मान हो ।

4. न्याय परिषद् (Trusteeship Council)

  • विश्व युद्ध के बाद ग्यारह ऐसे राज्य थे जिन पर दूसरे देश का शासन था। इस न्यास परिषद् का उद्देश्य ऐसे ग्यारह राज्यों को स्वतंत्र कराने में सहायता देना था जिसमें वह सफल भी हुआ।

5. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice)

  • इस न्यायालय में 15 न्यायाधीश होते हैं जो नौ वर्ष के लिए चुने जाते हैं। यह नीदरलैण्ड के ‘हेग’ नगर में स्थित है।
  • अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारतीय न्यायशास्त्री श्री बी. एन. राउ, श्री नगेन्द्र सिंह एवं श्री RS पाठक रह चुके हैं। वर्तमान में श्री दलबीर भंडारी न्यायाधीश हैं।

6. सचिवालय (Secretariat )

  • ये संयुक्त राष्ट्र का दैनिक कार्य करता है। इसका सर्वोच्च अधिकारी महासचिव कहलाता है जिसे सुरक्षा परिषद की सहमति से महासभा 5 वर्ष के लिए चुनती है। वर्तमान में इसके महासचिव पुर्तगाल के एंटोनियो गुटेरेस हैं।

भारत को संयुक्त राष्ट्र संघ से मिला सहयोग (India got cooperation from United Nations)

  • खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने भारत के तराई प्रदेश को कृषि योग्य बनाने में सहायता की। राजस्थान के भूमि-क्षरण को रोकने का प्रयास कर रहा है।
  • यनेस्को (UNESCO) शिक्षा के प्रसार में सहायता कर रही है।
  • विश्व बैंक (World Bank) ने हमारी पंचवर्षीय योजनाओं के लिए ऋण दिए हैं। जैसे- शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सड़क।सार्वजनिक स्वास्थ्य को उन्नत करने में विश्व वास्थ्य संगठन (WHO) ने अत्यधिक कार्य किया है।
  • मलेरिया, पोलियो उन्मूलन विश्व स्वास्थ्य संगठन की देन है।
  • यूनीसेफ (UNICEF) बच्चों और महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण के लिए कार्य करती है।
  • यूनीफेम (UNIFEM) महिला सशक्तीकरण एवं लैंगिक समानता को प्रोत्साहन के लिए वित्तीय एवं तकनीकी सहायता देने का कार्य करती है।

दक्षेस (SAARC) – South Asian Association for Regional Cooperation (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन)

  • 1985 में दक्षिण एशिया के सात देशों से मिलकर दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) बना। इनका स्थायी कार्यालय काठमाण्डू में है। नवम्बर, 2005 में अफगानिस्तान दक्षेस में सम्मिलित हुआ। अप्रैल 2007 में इसे पूर्ण सदस्य का दर्जा मिला जिससे वर्तमान में सदस्य संख्या आठ हो गई है।

दक्षेस के आठ देश

  • (Afghanistan, Bangladesh, Bhutan, India, Maldives, Nepal, Pakistan, and Sri-Lanka)
    (अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका)

दक्षिणपूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान)

आसियान की स्थापना 1967 में हुई। वर्तमान में इसकी सदस्य संख्या 10 है। आसियान बढ़ता हुआ एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है। भारत इस संगठन का औपचारिक सदस्य नहीं है,

समानता (Equality)

‘समानता, लोकतंत्र की मुख्य विशेषता हैं। भारत जैसे एक लोकतंत्रीय देश में सब वयस्कों को मत देने का अधिकार है चाहे उनका धर्म कोई भी हो, शिक्षा का स्तर या जाति कुछ भी हो, वे गरीब हों या अमीर । इसे, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (Universal adult franchise) कहा जाता हैं।

शासन ने संविधान द्वारा मान्य किए गए समानता के अधिकार को दो तरह से लागू किया है। – पहला, कानून के द्वारा और दूसरा, सरकार की योजनाओं व कार्यक्रमों द्वारा सुविधाहीन समाजों की मदद करके ।

मध्यहन भोजन की व्यवस्था

(Mid-day meal arrangement)

मध्यहन भोजन की व्यवस्था । इस कार्यक्रम के अंतर्गत सभी सरकारी प्राथमिक स्कूलों के बच्चों को दोपहर का भोजन स्कूल द्वारा दिया जाता है। यह योजना भारत में सर्वप्रथ तमिलनाडु राज्य में प्रारंभ की गई और 2001 में उच्चतम न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों को इसे अपने स्कूलो में छह माह के अंदर आरंभ करने के निर्देश दिए।

बी.आर. अंबेडकर (BR Ambedkar)

  • बी. आर. अंबेडकर अपने आत्मसम्मान को दाँव पर लगा कर जीवित रहना अशोभनीय है। आत्मसम्मान (self respect) जीवन का सबसे जरूरी हिस्सा है। इसके बिना व्यक्ति नगण्य है। आत्मसम्मान के साथ जीवन बिताने के लिए व्यक्ति को कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करनी होती है।
  • केवल कठिन और निरंतर संघर्ष से ही व्यक्ति बल, विश्वास और मान्यता प्राप्त कर सकता है मनुष्ये नाशवान है। हर व्यक्ति को किसी-न-किसी दिन मरना है, परंतु व्यक्ति को यह संकल्प लेना चाहिए कि वह अपने जीवन का बलिदान, आत्मसम्मान के उच्च आदर्शों को विकसित करने और अपने मानव जीवन को बेहतर बनाने में करेगा। किसी साहसी व्यक्ति के लिए आत्मसम्मान रहित जीवन जीने से अधिक अशोभनीय और कुछ नहीं है।

दलित (Dalit)

  • दलित वह शब्द है जो नीची कही जाने वाली जाति के लोग अपनी पहचान के रूप में इस्तेमाल करते हैं। वे इस शब्द को ‘अछूत’ से ज्यादा पसंद करते हैं। दलित का मतलब है जिन्हें ‘दबाया गया’, ‘कुचला गया’। दलितों के अनुसार यह शब्द दर्शाता है कि कैसे सामाजिक पूर्वाग्रहों (Social prejudices) और भेदभाव ने दलित लोगों को ‘दबाकर रखा हैं। सरकार ऐसे लोगों को ‘अनुसूचित (scheduled caste)
    वर्ग में रखती है।
  • जाति के आधर पर कक्षा में किसी बच्चे को एक रूप है। बच्चों से अलग बैठाना भेदभाव का एक रूप है |
  • डा. भीम राव अंबेडकर को भारतीय संविधन के पिता एवं दलितों के सबसे बड़े नेता के रूप में जाना जाता है। डा. अंबेडकर ने दलित समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी। उनका महार जाति में जन्म हुआ था जो अछूत मानी जाती थी। महार लोग गरीब होते थे, उनके पास जमीन नहीं होती थी और उनके बच्चों को वही काम करना पड़ता था जो वे खुद करते थे। उन्हें गाँव के बाहर रहना पड़ता था और गाँव के अंदर आने की इजाजत नहीं थी। उन्होंने धर्म परिवर्तन करके बौद्ध धर्म को अपनाया । उनका मानना था कि दलितों को जाति प्रथा के खिलाफ अवश्य लड़ना चाहिए।

ओमप्रकाश वाल्मीकि (Omprakash Valmiki)

ओमप्रकाश वाल्मीकि (1950-2013) एक प्रसिद्ध दलित लेखक हैं। अपनी आत्मकथा जूठन में वे लिखते हैं- स्कूल में दूसरों से दूर बैठना पड़ता था, वह भी जमीन पर। अपने बैठने की जगह तक आते-आते चटाई छोटी पड़ जाती थी। कभी-कभी तो एकदम पीछे दरवाजे के पास बैठना पड़ता था जहाँ से बोर्ड पर लिखे अक्षर धुंधले दिखते थे। कभी-कभी बिना कारण पिटाई भी कर देते थे। इस प्रकार के वयवहारो के कारण ओमप्रकाश के पिता स्कूल मास्टर से कहा

मास्टर हो…इसलिए जा रहा हूँ…पर इतना याद रखिए मास्टर …
यो…यहीं पढ़ेगा…इसी मदरसे में। और यो ही नहीं, इसके बाद और भी आवेंगे पढ़ने कू

रोजा पार्क्स (Rosa Parks)

रोशा पार्क्स, एक अफ्रीकी अमेरिकन औरत, जिनकी एक विद्रोही प्रतिक्रिया ने अमेरिकी इतिहास की दिशा बदल दी। 1 दिसंबर 1955 को दिन भर काम करके थक जाने के बाद बस में उन्होंने अपनी सीट एक गोरे व्यक्ति को देने से मना कर दिया। उस दिन उनके इंकार से अफ़्रीकी अमेरिकनों के साथ असमानता को लेकर एक विशाल आंदोलन प्रारंभ हो गया, जो नागरिक अधिकार आंदोलन (सिविल राइट्स मूवमेंट ) कहलाया। 1964 के नागरिक अधिकार अधिनियम ने नस्ल, धर्म और राष्ट्रीय मूल के आधार पर भदे भाव का निषेध कर दिया।

भारत के संविधान के अनुच्छेद 15 के अंश (Excerpt from Article 15 of the Indian Constitution)

धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध-

(1) राज्य, किसी नागरिक के सिर्फ केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद (Discrimination) नहीं करेगा।

(2) कोई नागरिक केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर

(क) दुकानों, सार्वजनिक भोजनालयों, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों में प्रवेश

या

(ख) पूर्णतः या भागतः (partly) राज्य – निधि (State funds ) से पोषित या साधारण जनता के प्रयोग के लिए समर्पित कुओं, तालाबों, स्नानघाटों, सड़कों और सार्वजनिक समागम के स्थानों के उपयोग, के संबंध में किसी भी निर्योग्यता, दायित्त्व, निर्बंधन या शर्त के अधीन नहीं होगा।

  • संसद हमारे लोकतंत्र का आधार स्तंभ है और हम अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से उसमें प्रतिनिधित्व पाते हैं।
  • पूरे देश के लिए कानून संसद में बनाए जाते हैं।
  • संचारणीय बीमारियाँ (Communicable diseases) पानी के द्वारा एक से दूसरे को लगती हैं। इन बीमारियों में से 21% जलजनित (Waterborne) होती हैं। जैसे – हैजा, पेट के कीड़े और हैपेटाइटिस

स्वास्थ्य सेवाएँ

(Health)

सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएँ (Public health services)

  • संसार भर में भारत में सर्वाधिक चिकित्सा महाविद्यालय हैं और यहाँ सबसे अधिक डॉक्टर तैयार किए जाते हैं। लगभग हर वर्ष 15000 नए डॉक्टर योग्यता प्राप्त करते हैं।
  • भारत विश्व का दवाइयाँ निर्मित करने वाला तीस बड़ा देश है और यहाँ से भारी मात्रा में दवाइयों का निर्यात होता है।
  • हमारे देश में स्वास्थ्य की स्थिति कितनी खराब है। सकारात्मक विकास के बाद भी हम जनता को उचित स्वास्थ्य सेवाएँ देने में असमर्थ हैं। यह विरोधाभासजनक (paradox) स्थिति है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएँ स्वास्थ्य केन्द्रो व अस्पतालों की एक शृंखला है। जो सरकार द्वारा चलाई जाती है। ये केंद्र व अस्पताल आपस में जुड़े हुए हैं। स्वास्थ्य सेवाओं का अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य है बीमारियों जैसे टी.बी., मलेरिया, पीलिया, दस्त लगना, हैजा, चिकनगुनिया, आदि को फैलने से रोकना ।

निजी स्वास्थ्य सेवाएँ (Private health facilities)

  • हमारे देश में कई तरह की निजी स्वास्थ्य सेवाएँ पाई जाती हैं। बड़ी संख्या में डॉक्टर अपने निजी दवाखाने चलाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी (आर.एम.पी.) मिल जाते हैं। शहरी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में डॉक्टर हैं जिनमें से बहुत-से विशेषज्ञ की सेवाएँ प्रदान करते हैं। निजी रूप से चलाए जा रहे अस्पताल व नर्सिंग होम भी हैं। काफी संख्या में प्रयोगशालाएँ
    (laboratories) हैं, जो परीक्षण करती हैं व विशिष्ट सुविधाएँ उपलब्ध कराती हैं, जैसे- एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, आदि। ऐसी दुकानें भी हैं, जहाँ से हम दवाइयाँ खरीद सकते हैं।

केरल का अनुभव

1996 में केरल सरकार ने राज्य में कुछ महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किए। राज्य के पूरे बजट का 40 प्रतिशत पंचायतों को दे दिया गया। इससे पंचायतें अपनी आवश्यकताओं को यूजनाबद्ध कर उनकी पूर्ति कर सकती थीं।

कोस्टारिका

कोस्टारिका को मध्य अमेरिका का सबसे स्वस्थ देश माना जाता है। इसका मुख्य कारण उसके संविधान में निहित है। कई वर्षों पहले कोस्टारिका एक बहुत महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया था कि वे देश में सेना नहीं रखेंगे। इससे उन्हें सेना पर व्यय किए जाने वाले धन को लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य आ रभूत जरूरतो पर खर्च करने में मदद मिली। कोस्टारिका की सरकार मानती देश के विकास के लिए देश का स्वस्थ होना शरूरी है

  • भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद् (The Medical Council of India’s) का आयुर्विज्ञान नैतिक संहिता कहता है जहां तक संभव हो, प्रत्येक चिकित्सक को औषधें के जेनेरिक नाम ही उपचार पर्ची में लिखने चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि यह युक्तियुक्त और उपयुक्त रूप में हों।
  • जेनेरिक नाम दवाइयों के रसायनिक नाम (chemical names)। वे दवाइयों में प्रयुक्त सामग्रियों की पहचान करने में मदद करते हैं। वे विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त हैं। उदाहरण के लिए, एसिटाइल सालिसैलिक एसिड एस्पिरिन का जेनेरिक नाम है।

कर

(Tax)

सरकार कर से प्राप्त धन का उपयोग विभिन्न प्रकार की सार्वजनिक सेवाओं (Public services) को मुहैया करवाने में खर्च करती है, जिससे सभी नागरिकों को फायदा होता है। प्रतिरक्षा, पुलिस, न्यायिक व्यवस्था, राजमार्ग इत्यादि कुछ सेवाओं से सभी नागरिकों को लाभ होता है। अन्यथा, इन सेवाओं की व्यवस्था स्वयं नागरिक नहीं कर सकते। करों से ही कुछ विकासात्मक (Developmental) कार्यक्रम एवं सेवाएँ उपलब्ध होती है जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सामाजिक कल्याण, व्यवसायिक प्रशिक्षण इत्यादि, जिनसे जरूरतमंद नागरिकों को लाभ मिलते हैं। करों से प्राप्त धन का उपयोग कुछ प्राकृतिक आपदाओं (Disasters) जैसे बाढ़, भूकम्प, सुनामी आदि मामलों में राहत एवं पुर्नवास के लिए भी किया जाता है । अन्तरिक्ष, परमाणु एवं प्रक्षेपास्त्रों (Missiles) से सम्बंधित कार्यक्रमों को भी करों के द्वारा प्राप्त राजस्व से ही चलाया जाता है।

विधानसभा (Legislative Assembly)

  • विधानसभा के सदस्य को ‘विधायक’ (एम.एल.ए) कहा जाता है। एम. एल. ए. ‘मेम्बर ऑफ लेजिस्ले असेंबली का संक्षिप्त रूप हिमाचल प्रदेश की विधानसभा में विधायकों के 68 निर्वाचन क्षेत्र हैं।
  • राज्य का प्रमुख ‘राज्यपाल’ (Governor) कहलाता है। उसकी नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए की जाती है राज्य सरकार संविधान के नियमों-अधिनियमों के अनुसार अपना कामकाज चलाए ।
  • चुनाव के बाद राज्य का राज्यपाल मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है। कई बार सत्ताधारी दल किसी एक पार्टी का न होकर कई पार्टियों से मिलकर बनता है। इसे गठबंधन (coalition) सरकार कहते हैं

विधानसभा ऐसा स्थान होता है जहाँ सभी विधायक, चाहे वे सत्ताधारी दल (ruling party ) के हों अथवा विरोधी दल (opposition) के, विभिन्न विषयों पर चर्चा करने के लिए एकत्रित होते हैं। विधानसभा की बहसों में विधायक अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं, संबंधित विषय पर प्रश्न पूछ सकते हैं या सुझाव दे सकते हैं इसके बाद मंत्री प्रश्नों के उत्तर देते हैं और सदन को आशवस्त करते हैं कि जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों को निर्णय लेने होते हैं हालाँकि जो भी निर्णय लिए जाते हैं, उन्हें विधानसभा के सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया जा लोकतंत्र में विधानसभा सदस्य, मंत्रियों व मुख्यमंत्री से पूछ सकते हैं |

सरकार

(Government)

सामान्य भाषा में ‘सरकार’ शब्द से तात्पर्य शासन के विभिन्न विभागों और मंत्रियों से होता है, जो उनके प्रभारी हैं। इन सबका सामूहिक प्रमुख ‘मुख्यमंत्री’ होता है। सही मायने तो यही सरकार का कार्यकारी हिस्सा यानी कार्यपालिका ( executive part) कहलाता है। दूसरी तरफ सारे विधायक, जो विधानसभा एकत्र होते हैं, विधायिका (Legislature ) कहलाते हैं।

  • निर्वाचन क्षेत्र (Constituency) इसका तात्पर्य एक निश्चित क्षेत्र से है, जहाँ रहने वाले सब मतदाता अपना प्रतिनिधि (Representative) चुनते हैं। उदाहरण के लिए, यह कोई पंचायत का वार्ड या वह क्षेत्र हो सकता है, जो विधानसभा सदस्य चुनता है।
  • सामोआ द्वीप प्रशांत महासागर के दक्षिण में स्थित छोटे-छोटे द्वीपों के समूह का ही एक भाग है।
  • हरियाणा व तमिलनाडु की महिलाएँ जिनका सर्वेक्षण किया गया- घर के अंदर व बाहर दोनों जगह काम करती हैं। इसे प्रायः महिलाओं के काम के दोहरे बोझ के रूप में जाना जाता है।
  • पूरे देश के कई गाँवों में शासन ने आँगनवाडियाँ और बालवाडियाँ खोली हैं। शासन एक कानून बनाया है, जिसके तहत यदि किसी संस्था में महिला कर्मचारियों की संख्या 30 से अधिक है, तो उसे वैधनिक रूप से बालवाड़ी (क्रेश) की सुविध देनी होगी ।

महिलाओ के कार्य

  • भारत में 83.6 प्रतिशत महिलाएँ खेतों में काम करती हैं। उनके काम में पोधो रोपना, खरपतवार निकालना, फसल काटना और कुटाई करना शामिल हैं।
  • रेल का इंजन आदमी चलाते हैं। पर झारखंड के एक गरीब आदिवासी परिवार की 27 वर्षीय महिला लक्ष्मी लाकरा इस धरा का रुख बदल दिया है। उत्तरी रेलवे की वह पहली महिला इंजन चालक है।
  • रमाबाई (1858-1922) महिला – शिक्षा की ये योद्धा स्वयं कभी स्कूल नहीं गईं, पर अपने माता-पिता से उन्होंने पढ़ना-लिखना सीख लिया। न्हें पंडिता की उपाधि (title) दी गई, क्योंकि वे संस्कृत पढ़ना-लिखना जानती थीं जो उस समय की औरतों के लिए बड़ी उपलब्धि थी। औरतों को तब यह ज्ञान अर्जित करने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने 1898 में, पुणे के पास खेड़गाँव में एक मिशन स्थापित किया, जहाँ विधवा स्त्रिायों और गरीब औरतों को पढ़ने-लिखने तथा स्वतंत्र होने की शिक्षा दी जाती थी। उन्हें लकड़ी से चीजें बनाने, छापाखाना चलाने जैसी कुशलताये भी सिखाई जाती थीं जो वर्तमान में भी लड़कियों को कम ही सिखाई जाती हैं।
  • राससुंदरी देवी (1800-1890) दो सौ वर्ष पूर्व पश्चिमी बंगाल में पैदा हुई थीं। साठ वर्ष की अवस्था में उन्होंने बांग्ला भाषा में अपनी आत्मकथा लिखी। उनकी पुस्तक आमार जीबोन किसी भारतीय महिला द्वारा लिखित पहली आत्मकथा (Autobiography) है। राससुंदरी देवी एक धनवान जमींदार परिवार की गृहिणी थीं। उस समय लोगों का विश्वास था कि यदि लड़की लिखती – पढ़ती है, तो वह पति के लिए दुर्भाग्य लाती है और विधवा हो जाती है। इसके बावजूद उन्होंने अपनी शादी के बहुत समय बाद स्वयं ही छुप-छुपकर लिखना पढ़ना सीखा

रुकैया सखावत हुसैन और लेडीलैंड का उनका सपना

रुकैया सखावत हुसैन अंग्रेजी भाषा के कौशल का अभ्यास करने के लिए उन्होंने एक उल्लेखनीय कहानी लिखी, जिसका शीर्षक था सुल्ताना का सव्पन कहानी में सुल्ताना नामक एक स्त्री की कल्पना की गई थी, जो लेडीलैंड नाम की एक जगह पहुँचती है। लेडीलैंड ऐसा स्थान था, जहाँ पर स्त्रियों को पढ़ने, काम करने और आविष्कार करने की स्वतंत्राता थी रुकैया सखावत हुसैन उस समय स्त्रिायों के हवाई जहाज और करें च का सव्पन देख रहीं थीं, जब लड़कियों को स्कूल तक जाने की अनुमति नहीं थी । सन् 2006 में एक कानून बना है, जिससे घर के अंदर शारीरिक और मानसिक हिंसा को भोग रही औरतों को कानूनी सुरक्षा दी जा सके

महिला आंदोलन (women’s movement)

  • न्याय के अन्य मुद्दों व औरतों के साथ बंधुत्व व्यक्त करना (Showing Solidarity) भी महिला आंदोलन का ही हिस्सा है।
  • हर साल 14 अगस्त को वाघा में भारत-पाकिस्तान की सीमा पर हजारो लोग इकट्ठा होते हैं और एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित जित करते हैं। 8 मार्च, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को दुनियाभर की औरतें अपने संघर्षों को तजा करने और जश्न मनाने के लिए इकट्ठी होती हैं।
  • महिलाओं द्वारा मताधिकार के लिए किए गए संघर्ष ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान और मजबूती पकड़ी। इस आंदोलन को महिला मताधिकार आंदोलन कहते हैं और अंग्रेजी में इसे ‘सफ्रेज मूवमेंट’ कहते हैं। ‘सफ्रेज’ का
  • मतलब होता है वोट देने का अधिकार ।
  • अमरीका में औरतों को वोट देने का अधिकार 1920 में मिला, जबकि इंग्लैंड की औरतों को यह अधिकार कुछ सालों बाद 1928 में मिला।

मीडिया

  • मीडिया अंग्रेजी के ‘मीडियम’ शब्द का बहुवचन है और इसका तात्पर्य उन विभिन्न तरीकों से है, जिनके द्वारा हम समाज में विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। मीडियम का अर्थ है, माध्यम । क्योंकि मीडिया का संदर्भ संचार माध्यमों से है, इसीलिए हर चीज, जैसे- फोन पर बात करने से लेकर टी.वी. पर शाम के समाचार सुनने तक को मीडिया कहा जा सकता है।
  • 1940 के दशक में इलेक्ट्रॉनिक टाइपराइटर के आ जाने से पत्राकारिता की दुनिया में एक बड़ा बदलाव आया।
  • यंत्र (televisor), टेलीविजन का प्रारंभिक रूप था। इसका आविष्कार जॉन एल बैर्ड ने किया इस यंत्र के द्वारा उन्होंने रॉयल इंस्टीट्यूट के समक्ष अपने आविष्कार का प्रदर्शन किया था।
  • यदि लोग चाहें, तो इन समाचारों के आधार पर कार्रवाई भी कर सकते हैं। ऐसा वे संबंधित मंत्री को पत्र लिखकर, सार्वजनिक विरोध (Public protest) आयोजित करके, हस्ताक्षर अभियान आदि चलाकर सरकार से पुनः उसके कार्यक्रम पर विचार करने का आग्रह करके कर सकते हैं।
  • संचार माध्यम स्वतंत्र नहीं हैं। इसके मुख्यतः दो कारण हैं। पहला कारण है सरकार का उन पर नियंत्रण । जब सरकार, समाचार के किसी अंश, फिल्म के किसी दृश्य या गीत की किसी अभिव्यक्ति को जनसमुदाय तक पहुँचने से प्रतिबंधित करती है तो इसे सेंसरशिप कहा जाता है। भारत के इतिहास में ऐसे समय भी आए है जब सरकार ने संचार माध्यमों के ऊपर सेंसर लगाया। इसमें सबसे बुरा समय 1975-77 तक, आपातकाल (Emergency) का था। समाचारपत्र संतुलित विवरण देने में असफल रहते हैं। इसके कारण बहुत जटिल हैं। संचार माध्यमों के विषय में शोध करने वाले लोगों का कहना है कि ऐसा इसीलिए है, क्योंकि संचार माध्यमों पर व्यापारिक प्रतिष्ठानों का नियंत्राण हैं। यदि कभी सरकार चाहे, तो संचार माध्यम को किसी घटना की खबर छापने से रोक सकती है। इसे सेंसरशिप कहा जाता है।
  • सरकार व निजी संस्थाएँ ऐसे विज्ञापन भी बनाती हैं, जिनसे समाज में किसी बड़े संदेश का प्रसारण हो सके । ये सामाजिक विज्ञापन (Social advertising) कहलाते है |

व्यापारी (Trader)

लोग, जो वस्तु के उत्पादक और वस्तु के उपभोक्ता के बीच में होते हैं, उन्हें व्यापारी कहा जाता है। पहले थोक व्यापारी (Wholesaler) बड़ी मात्रा या संख्या में सामान खरीद लेता है। जैसे – सब्जियों का थोक व्यापारी कुछ किलो सब्जी नहीं खरीदता है बल्कि वह बड़ी मात्रा में 25 से 100 किलो तक सब्जिया खरीद लेता है। इन्हें वह दूसरे व्यापारियों को बेचता है। यहाँ खरीदने वाले और बेचने वाले दोनों व्यापारी होते हैं। व्यापारियों की लंबी शृंखला का वह अंतिम व्यापारी जो अंततः वस्तुएँ उपभोक्ता को बेचता है, खुदरा या फुटकर व्यापारी (retailer) कहलाता है। यह वही दुकानदार है, जो आपको पड़ोस की दुकानों, साप्ताहिक बाजार या फिर शॉपिंग कॉम्पलेक्स में बेचता मिलता है। * कुरनूल (आंध्र प्रदेश) में है

  • तमिलनाडु में सप्ताह में दो बार लगने वाला का कपड़ा बाजार संसार के विशाल बाजारों में से एक है |

बुनकर (Weaver)

  1. बुनकर जो व्यापारियों के ऑर्डर के अनुसार कपड़ा बनाकर लाते हैं। ये व्यापारी देश व विदेश के वस्त्र निर्माताओं और निर्यातकों (Exporters ) को उनके ऑर्डर के अनुसार कपड़ा उपलब्ध कराते हैं। ये सूत खरीदते हैं और बुनकरों को निर्देश देते हैं कि किस प्रकार का कपड़ा तैयार किया जाना है।
  2. कपड़ा बुनने वाले बुनकर आस-पास के गाँवों में रहते हैं। वे इन व्यापारियों से सूत (Yarn) ले आते हैं। बुनाई करने के करघे रखने के लिए उन्होंने अपने घरों के पास ही व्यवस्था कर रखी है। बुनकर अपने परिवार के साथ करघों पर कई घंटों तक काम करते हैं। बुनाई की अधिकतर ऐसी इकाइयों में 2 से लेकर 8 करघे तक होते हैं, जिन पर सूत से कपड़ा बुनकर तैयार किया जाता है। तरह-तरह की साड़ियाँ, तौलिए, शर्टिंग, औरतों की पोशाकों के कपड़े और चादरें इन करघों पर बनाई जाती हैं।
  3.  बुनकर तैयार किए हुए कपड़े को शहर में व्यापारी के पास ले आते हैं। व्यापारी यह हिसाब रखता है कि उन्हें कितना सूत दिया गया था और बुने हुए कपड़े का भुगत (payment) उन्हें कर देता है।

दादन व्यवस्था (Putting-out system)

व्यापारी और बुनकरों के बीच की यह व्यवस्था ‘दादन व्यवस्था का एक उदाहरण है, जहाँ व्यापारी कच्चा माल देता और उसे तैयार माल प्राप्त है। भारत के अनेक क्षेत्रों में कपड़ा बुनाई के उद्योग में यह व्यवस्था प्रचलित है।
व्यवसायी या व्यापारियों की स्थिति बीच की है। बुनकरों की तुलना में उनकी कमाई अधिक हुई है, लेकिन निर्यातक की कमाई से बहुत कम है। कि दादन व्यवस्था में व्यापारी, बुनकरों को बहुत कम पैसा देते हैं

  • जिनिंग मिल वह फैक्टरी जहाँ रूई के गोलों के बीज अलग किए जाते हैं। यहाँ पर रूई (cotton) को दबाकर गट्ठर भी बनाए जाते हैं।  जो धगा बनाने के लिए भेज दिए
  • इम्पेक्स गारमेंट फैक्टरी में 70 मगार हैं। उनमें से अधिकांश महिलाएँ हैं। इनमें से अधिकतर कामगारों को अस्थाई रूप से काम पर लगाया गया है।
  • भारत में यह एक वास्तविकता है कि जो गरीब हैं, सामान्यतः दलित, आदिवासी और मुस्लिम समुदाय के हैं और इनमें से भी विषेशते महिलाएँ हैं।
  • 2011 की जनगणना (Census) के आँकड़े बताते हैं कि हमारी जनसंख्या में 48.5 प्रतिशत महिलाएँ हैं, 14.2 प्रतिशत मुसलमान हैं, 16.6 प्रतिशत दलित हैं और 8.6 प्रतिशत आदिवासी हैं

‘तवा मत्स्य संघ’ (‘Tawa Fisheries Association’)

  • मध्य प्रदेश का ‘तवा मत्स्य संघ’ इसका उदाहरण है, जहां लोग अपने अधिकारों के लिए एक साथ खड़े हुए। तवा मत्स्य संघ मछुआरों की सहकारी समितियों का एक संघ है और जंगलों से विस्थापित लोगों के अधिकारों के लिए लड़ता रहा है। तवा नदी, जो छिंदवाड़ा जिले की महादेव पहाड़ियों से निकलती है, बैतूल से होते हुए होशंगाबाद में नर्मदा से मिलती है। तवा पर बांध का निर्माण 1958 में शुरू हुआ और 1978 में पूरा हुआ। जंगल के एक बड़े हिस्से के साथ-साथ कई कृषि भूमि भी बांध में डूब गई, जिसके कारण जंगल के निवासियों ने सब कुछ खो दिया। इनमें से कुछ विस्थापित बांध के आसपास बस गए और कुछ खेती करने के अलावा मछली पकड़ना भी शुरू कर दिया। इतना सब करने के बाद भी वह थोड़ा ही कमा पाता था।
  • 1994 में सरकार ने तवा बांध के क्षेत्र में मछली पकड़ने का काम निजी ठेकेदारों को सौंप दिया। इन ठेकेदारों ने स्थानीय लोगों को काम से निकाल दिया और बाहर से सस्ते मजदूर मंगवाए। ठेकेदार भी ग्रामीणों को गुंडे बुलाकर धमकाने लगे, क्योंकि लोग जाने को तैयार नहीं थे। ग्रामवासियों ने एक होकर यह निश्चय किया कि अब समय आ गया है कि अपने अधिकारों की लड़ाई लड़कर संगठन के सामने खड़े हों, इस प्रकार ‘तवा मत्स्य संघ’ नाम का संगठन बना।
  • नवगठित तवा मत्स्य संघ (T.M.S.) ने सरकार से लोगों की आजीविका के लिए बांध में मछली पकड़ने की अनुमति जारी रखने की मांग की। इसी की मांग को लेकर चक्का जाम शुरू किया गया था। उनके विरोध को देखते हुए सरकार ने पूरे मामले की समीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन किया. समिति ने सिफारिश की कि ग्रामीणों को अपनी आजीविका के लिए मछली पकड़ने का अधिकार दिया जाना चाहिए। 1996 में मध्य प्रदेश सरकार ने निर्णय लिया कि तवा बांध के जलाशय से मछली पकड़ने का अधिकार विस्थापितों को ही दिया जाएगा। दो महीने बाद सरकार बांध में मछली पकड़ने के लिए तवा मत्स्य संघ को पांच साल की लीज देने पर राजी हो गई। और इस तरह 2 जनवरी 1997 को तवा क्षेत्र के 33 गांवों के लोगों के लिए सही मायने में ‘नव वर्ष’ की शुरुआत हुई।

बाँध (Dam)

  • नदी पर बाँध ऐसी जगह पर बनाया जाता है जहाँ बहुत मात्रा में पानी इकट्ठा किया जा सके। ऐसा करने से एक जलाशय बन जाता है और जैसे-जैसे उसमें पानी भरता है, जमीन का एक बड़ा क्षेत्र उसमें डूब जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नदी पर बनाए गए बाँध की दीवार ऊँची होती है और उससे रुका हुआ पानी एक बड़े इलाके में फेल जाता है। उत्तराखंड में टिहरी बाँध के बनने से कई इलाके डूब गए इस बाँध के कारण पुराना टिहरी शहर और 100 गाँव जिनमें से कुछ पूरी तरह और कुछ आंशिक रूप में पानी के नीचे समा गए। लगभग एक लाख लोग विस्थापित हो गए।
  • कर्नाटक के कृष्णाराजासागर बाँध में भरा हुआ पानी कई जिलों में सिंचाई के काम आता है। इस पानी से बेंगलूरु शहर की ज़रूरतें भी पूरी होती हैं। तमिलनाडु के मेटूर बाँध में भरे हुए इसी नदी के पानी से राज्य के डेल्टा क्षेत्र में सिंचाई होती है। इन दोनों राज्यों के बीच कावेरी नदी के पानी को लेकर विवाद चल रहा है पिछले तीस सालों से दो राज्यों के बीच विवाद का मुद्दा रहने के वजूद कावेरी शांत भाव से बहती रहती है कर्नाटक का कृष्णाराजासागर बाँध कावेरी नदी के ऊपरी छोर (Upper end) पर है और तमिलनाडु के निचले छोर (Lower end) पर।
  • समता का मूल्य लोकतंत्र  के केंद्र में है।
  • 2001 में लखनऊ में 1500 से ज्यादा लोग महिलाओं के खिलाफ हिंसा का विरोध करने के लिए एक जन सुनवाई में इकट्ठे हुए। इसमें प्रतिष्ठित महिलाओं की एक ज्यूरी बनाई गई और उन्होंने न्यायाधीशों की भूमिका निभाते हुए महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 15 से ज्यादा प्रकरणों की सुनवाई की। लोगों की इस ज्यूरी ने इस सच्चाई को उभारने में मदद की कि कानून व्यवस्था में हिंसा के खिलाफ न्याय की माँग करने वाली महिलाओं को कितना कम सहयोग मिल पाता है।

लद्दाख

लद्दाख जम्मू और कश्मीर के पूर्वी हिस्से में पहाड़ियों में बसा एक रेगिस्तानी इलाका है। यहाँ पर बहुत ही कम खेती संभव है, क्योंकि इस क्षेत्र में बारिश बिल्कुल नहीं होती और यह इलाका हर वर्ष काफी लंबे समय तक बर्फ से ढँका रहता है। यहाँ के लोग एक खास किस्म की बकरी पालते हैं। जिससे पश्मीना ऊन मिलता है। यह ऊन कीमती है, इसीलिए पश्मीना शाल बड़ी महँगी होती है। लद्दाख के रास्ते ही बौद्ध धर्म तिब्बत पहुँचा । लद्दाख को छोटा तिब्बत भी कहते हैं।

केरल

केरल भारत के दक्षिणी-पश्चिमी कोने में बसा हुआ राज्य है। यह एक तरफ समुद्र से घिरा हुआ है और दूसरी तरफ पहाड़ियों से। इन पहाड़ियों पर विविध प्रकार के मसाले जैसे कालीमिर्च (pepper), लौंग (cloves), इलायची ( cardamoms) आदि उगाए जाते हैं। इन मसालों के कारण यह क्षेत्र व्यापारियों के लिए बहुत ही आकर्षक बना। सबसे पहले अरबी एवं यहूदी व्यापारी केरल आए। ऐसा माना जाता है कि ईसा मसीह के धर्मदूत संत थॉमस लगभग दो हजार साल पहले यहाँ आए। भारत में ईसाई धर्म लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है।

  • जवाहरलाल नेहरू ने अपनी किताब भारत की खोज में लिखा कि भारतीय एकता कोई बाहर से थोपी हुई चीज नहीं है, बल्कि यह बहुत ही गहरी है जिसके अंदर अलग-अलग तरह के विश्वास और प्रथाओं को स्वीकार करने की भावना है। इसमें विविधता को पहचाना और प्रोत्साहित किया जाता है। यह नेहरू ही थे जिन्होंने भारत की विविधता का वर्णन करते हुए ‘अनेकता में एकता’ का विचार हमें दिया।
  • रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित हमारा राष्ट्रगान भी भारतीय एकता की ही एक अभिव्यक्ति है।
  • संसार में आठ मुख्य धर्म हैं। भारत में उन आठों धर्मो के अनुयायी यानी मान वाले रहते हैं। यहाँ सोलह सौ से ज्यादा भाषाएँ बोली जाती हैं जो लोगों की मातृभाषाएँ हैं।
  • जिन बच्चो को पहले ‘विकलांग’ (disabled ) कहा जाता था। इस शब्द को बदलकर आज उनके लिए जो शब्द प्रयोग किए जाते हैं – ‘ख़ास जरूरतो वाले बच्चें (Children with special needs)।
  • जब हम सभी लोगों को एक ही छवि में बाँध देते हैं या उनके बारे में पक्की धरणा बना लेते हैं, तो उसे रूढ़िबद्ध ( stereotypes) धरणा कहते हैं।
  • राजतंत्रीय सरकार (Monarchy) उसे कहते है जिसमे राजा या रानी के पास निर्णय लेने और सरकार चलने की शक्ति होती
  • 1931 में यंग इंडिया पत्रिका लख गांधी जी ने कहा था, ” में यह विचार सहन नहीं कर सकता कि जिस आदमी के पास संपत्ति है वह वोट दे सकता है, लेकिन वह आदमी जिसके पास चरित्र है पर संपत्ति या शिक्षा नहीं, वह वोट नहीं दे सकता या जो दिनभर अपना पसीना बहाकर ईमानदारी से काम करता है वह वोट नहीं दे सकता क्योंकि उसने गरीब आदमी होने का गुनाह किया है….।”

ग्राम पंचायत (Village Panchayat)

एक ग्राम पंचायत कई वार्डों (छोटे क्षेत्रों) में बँटी हई होती है। प्रत्येक वार्ड अपना एक प्रतिनिधि चुनता है जो वार्ड पंच के नाम से जाना जाता है। इसके साथ पंचायत क्षेत्र के लोग मिलकर सरपंच को चुनते हैं, जो पंचायत का मुखिया होता है। वार्ड पंच और सरपंच मिलकर ग्राम पंचायत का गठन पाँच साल के लिए करते हैं। ग्राम पंचायत का एक सचिव (Secretary) होता है जो ग्राम सभा का भी सचिव होता है। सचिव का चुनाव नहीं होता, उसकी सरकार द्वारा नियुक्ति की जाती है। सचिव का काम है ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत की बैठक बुलाना और जो भी चर्चा एवं निर्णय हों उनका रिकॉर्ड रखना ।

  • ग्राम पंचायत पूरे गाँव के हित में निष्पक्ष रूप से काम कर सके इसमें ग्राम सभा की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
  • ग्राम सभा की बैठक में ग्राम पंचायत अपनी योजनाएँ लोगों के सामने रखती है। ग्राम सभा पंचायत को मनमाने ढंग से काम करने से रोक सकती है। साथ ही, पैसों का दुरुपयोग एवं कोई गलत काम न हो, इसकी निगरानी भी करती है।

ग्राम पंचायत के काम

  • सड़कों, नालियों, स्कूलों, भवनों, पानी के स्रोतों भवनों का निर्माण और रख-रखाव
  • स्थानीय कर (Tax) लगाना और इकट्ठा करना
  • गाँव के लोगों को रोजगार देने संबंधी सरकारी योजनाएं लागू करना

ग्राम पंचायत की आमदनी के स्त्रोत

  • घरों एवं बाज़ारों पर लगाए जाने वाले कर से मिलने वाली राशि
  • विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा चलायी गई योजनाओं की राशि जो जनपद एवं जिला पंचायत द्वारा आती है।
  • समुदाय के काम के लिए मिलने वाले दान

ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत लोकतांत्रिक सरकार ( Democratic government) का पहला स्तर है। ग्राम पंचायत ग्राम सभा के प्रति जवाबदेह होती है क्योंकि ग्राम सभा के लोग ही उसको चुनते हैं। पंचायती राज व्यवस्था में लोगों की भागीदारी दो और स्तरों पर होती है। ग्राम पंचायत के बाद दूसरा स्तर विकासखंड का होता है। इसे जनपद पंचायत या पंचायत समिति कहते हैं। एक पंचायत समिति में कई ग्राम पंचायतें होती हैं। पंचायत
समिति के ऊपर के जिला पंचायत या जिला परिषद होती है। यह तीसरा स्तर होता है। जिला परिषद एक जिले के स्तर पर विकास की योजनाएँ बनाती है।

पटवारी

जमीन को नापना और उसका रिकॉर्ड रखना पटवारी का मुख्य काम होता है। अलग-अलग राज्यों में इसको अलग – अलग नाम से जाना जाता है कहीं पटवारी, कहीं लेखपाल, कहीं कर्मचारी, कहीं ग्रामीण अधिकारी तो कहीं कानूनगो कहते हैं। पटवारियों के पास खेत नापने के अलग-अलग तरीके होते हैं। कई जगहों पर वह एक लंबी लोहे की जंजीर का इस्तेमाल करते हैं। इसे जरीब कहते हैं।

  • नगर निगम का काम यह सुनिश्चित करना होता है कि शहर में बीमारियाँ न फैलें। यह स्कूल स्थापित कर और उन्हें चलाता है। शहर में दवाखाने और अस्पताल चलाता है।
  • 1994 में सूरत शहर में भयंकर प्लेग (plague) फैला था। सूरत भारत के सबसे गंदे शहरों में एक था। प्लेग हवा के जरिये फैलता जिन लोगों को प्लेग हो जाए उन्हें दूसरों से अलग रखना पड़ता है। सूरत में • साल बहुत से लोगों ने अपनी जान गँवाई। प्लेग के डर ने यह अनिवार्य कर दिया कि नगर निगम मुस्तैदी से काम करे। सारे शहर की अच्छी तरह से साफ़-सफाई हुई। अब सूरत का चंडीगढ़ के बाद भारत के सबसे साफ शहरों में दूसरा स्थान है।

तमिलनाडु

तमिलनाडु में समुद्र तट के पास एक गाँव है कलपट्टु । गाँव छोटी-छोटी पहाडियों से घिरा हुआ है। सिंचित जमीन पर मुख्यतः धान की खेती होती है। ज्यादातर परिवार खेती के द्वारा अपनी आजीविका कमाते हैं। यहाँ आम और नारियल के काफी बाग हैं। कपास, गन्ना और केला भी उगाया जाता है। खेतिहर मजदूर ऐसे सभी परिवार अपनी कमाई के लिए दूसरों के खेतों पर निर्भर रहते हैं। इनमें से कई भूमिहीन होते हैं और बहुत से के पास जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं।

  • चिजामी यह नागालैंड के फेक जिले मे एक गाँव है यहाँ के रहने वाले लोग चखेसंग समुदाय के हैं। वे ‘सीढ़ीनुमा ‘खेती करते हैं।
  • ‘कैटामरैन’ मछुआरों की एक खास तरह की छोटी नाव होती है।

नेपाल में लोकतंत्र

(Democracy in Nepal)

नेपाल एक राजतंत्र था। राजा का शासन था। 1990 में बना नेपाल का पिछला संविधान इस सिद्धांत पर आधारित था कि शासन की सर्वोच्च शक्ति राजा के पास होगी। नेपाल के लोग कई दशकों से लोकतंत्र की स्थापना के लिए जन आंदोलन चला रहे थे। इस संघर्ष के फलस्वरूप अंततः 2006 में उन्हें राजा की सत्ता को समाप्त करने में सफलता प्राप्त हुई। नेपाल के लोग लोकतंत्र के रास्ते पर चलना चाहते थे और इसके लिए उन्हें एक नए संविधान की जरूरत थी। वे पिछले संविधान को नहीं अपनाना चाहते थे क्योंकि इसमें वे आदर्श नहीं थे जो वे नेपाल के लिए चाहते थे और जिसके लिए वे लड़ते रहे थे। अप्रैल 2006 में, राजा को तीसरी संसद को बहाल करना पड़ा और राजनीतिक दलों को सरकार बनाने का मौका देना पड़ा। 2008 में राजशाही को समाप्त कर नेपाल एक लोकतंत्र बन गया। नेपाल के लोगों ने 2015 में अपने देश के लिए एक नया संविधान अपनाया है।

  • अल्पसंख्यकों पर बहुसंख्यकों की निरंकुशता (Autocracy) या दबदबे पर प्रतिबंध लगाना भी संविधान का महत्त्वपूर्ण कार्य है। यह दबदबा एक समुदाय द्वारा दूसरे समुदाय के ऊपर भी हो सकता है जिसे अंतर – सामुदायिक (inter community) वर्चस्व कहते हैं, या फिर एक ही समुदाय के भीतर कुछ लोग दूसरों को दबा सकते हैं, जिसे अंतःसामुदायिक (intra community) वर्चस्व कहते हैं

भारत का संविधान

(The Constitution of India)

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  • भारत में संविधान कैसे बनाया जाए यह किसी एक व्यक्ति के वश में नहीं था। इसमें लगभग 300 लोगों का योगदान था, जो 1946 में गठित संविधान सभा के सदस्य थे। संविधान सभा ने भविष्य के संविधान की रूपरेखा तैयार करने के लिए अगले तीन वर्षों तक बैठक की।
  • बाबासाहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है। डॉ. भीम राव अंबेडकर का मानना था कि संविधान सभा में उनकी भागीदारी के कारण अनुसूचित जातियों को संविधान के मसौदे में कुछ सुरक्षात्मक प्रावधान मिले।

अनुच्छेद 17 (Article 17)

  • संविधान के अनुच्छेद 17 के अनुसार अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया गया है। इसका मतलब है कि दलितों को पढ़ने, मंदिरों में जाने और सार्वजनिक सुविधाओं का इस्तेमाल करने से कोई नहीं रोक सकता. इसका अर्थ यह भी है कि अस्पृश्यता गलत है और एक लोकतांत्रिक सरकार इस तरह के आचरण को बर्दाश्त नहीं करेगी। तो अब अस्पृश्यता अब दंडनीय अपराध है।

अनुच्छेद 15 (Article 15)

  • अनुच्छेद 15 में कहा गया है कि भारत के किसी भी नागरिक के साथ धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।

अनुच्छेद 21 (Article 21)

  • संविधान के अनुच्छेद 21 की व्याख्या के बाद कहा गया कि जीवन के अधिकार में भोजन का अधिकार भी शामिल है। इसीलिए कोर्ट ने राज्य को मध्याह्न भोजन योजना सहित सभी लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया।
  • अनुच्छेद 21 द्वारा दिए गए जीवन के अधिकार का दायरा बहुत व्यापक है। ‘जीवन’ का अर्थ केवल जैविक अस्तित्व को बनाए रखने से कहीं अधिक है। इसका केवल यह अर्थ नहीं है कि कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अलावा किसी को भी नहीं मारा जा सकता है, जैसे कि मृत्युदंड देना और अमल करना। यह जीवन के अधिकार का एक आयाम है। इस अधिकार का एक समान रूप से महत्वपूर्ण पहलू आजीविका का अधिकार है क्योंकि कोई भी व्यक्ति जीवनयापन के साधन यानी आजीविका के बिना जीवित नहीं रह सकता है।
  • पानी के अधिकार को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का एक हिस्सा माना जाता है।
  • उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय ने कई मामलों में कहा है कि सुरक्षित पेयजल का अधिकार भी मौलिक अधिकारों में से एक है। 2007 में, आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने महबूबनगर जिले में एक किसान द्वारा लिखे गए पत्र के आधार पर पानी में मैलापन के सवाल पर हुई सुनवाई में इस बिंदु को दोहराया।
  • सुभाष कुमार बनाम बिहार राज्य (1991) में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जीवन का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है और इसमें प्रदूषण मुक्त हवा और पानी का अधिकार शामिल है। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह प्रदूषण को रोकने के लिए कानून और प्रक्रियाएं बनाए, नदियों को साफ रखे और दोषी लोगों पर भारी जुर्माना लगाए।
  • वाहनों से निकलने वाला धुआं पर्यावरण प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है। 1998 के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्णयों में आदेश दिया कि दिल्ली में सभी डीजल से चलने वाले सार्वजनिक वाहन संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) ईंधन का उपयोग करते हैं। इन प्रयासों से दिल्ली जैसे शहरों में वायु प्रदूषण में काफी कमी आई है। लेकिन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (नई दिल्ली) की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि हवा में जहरीले पदार्थों का स्तर बहुत अधिक है। ये जहरीले पदार्थ पेट्रोल की जगह डीजल से चलने वाली बसों/कारों के कारण पैदा हो रहे हैं।

अनुच्छेद 22 (Article 22)

  • संविधान के अनुच्छेद 22 के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को एक वकील के माध्यम से अपना प्रतिनिधित्व करने का मौलिक अधिकार है।
  • संविधान के अनुच्छेद 22 और आपराधिक कानून ने प्रत्येक गिरफ्तार व्यक्ति को निम्नलिखित मौलिक अधिकार दिए हैं-
  • गिरफ्तारी के समय उसे यह जानने का अधिकार है कि गिरफ्तारी किस कारण से की जा रही है।
  • गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने का अधिकार
  • गिरफ्तारी या हिरासत में दुर्व्यवहार या यातना से मुक्त होने का अधिकार
  • पुलिस हिरासत में किए गए इकबालिया बयान को आरोपी के खिलाफ सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
  • 15 साल से कम उम्र के किसी भी बच्चे और किसी भी महिला को सिर्फ सवाल पूछने के लिए थाने नहीं बुलाया जा सकता.
  • सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने, हिरासत में लेने और पूछताछ करने के लिए पुलिस और अन्य एजेंसियों के लिए कुछ शर्तें और प्रतिक्रियाएँ निर्धारित की हैं। डी.के. बसु दिशानिर्देश। इनमें से कुछ दिशानिर्देश इस प्रकार हैं
  • गिरफ्तारी या जांच करने वाले पुलिस अधिकारी की पहचान, नेमप्लेट और रैंक उसकी पोशाक पर स्पष्ट और सटीक रूप से अंकित होनी चाहिए।
  • गिरफ्तारी के समय गिरफ्तारी मेमो के रूप में गिरफ्तारी से संबंधित पूरी जानकारी वाला एक कागज तैयार किया जाए। इसमें गिरफ्तारी का समय और तारीख का उल्लेख होना चाहिए। इसके सत्यापन के लिए कम से
  • कम से कम एक गवाह होना चाहिए। वह गिरफ्तार सदस्य के परिवार का सदस्य भी हो सकता है। अरेस्ट मेमो पर गिरफ्तार किए जाने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर होने चाहिए।
  • किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, हिरासत में रखा गया है, या जिससे पूछताछ की जा रही है, उसे अपने किसी रिश्तेदार या दोस्त या शुभचिंतक को जानकारी देने का अधिकार है।
    जब गिरफ्तार किये गये व्यक्ति का मित्र या सम्बन्धी उस जिले से बाहर रहता है तो गिरफ्तारी के 8-12 घण्टे के अन्दर समय, स्थान एवं निरोध के स्थान की जानकारी उसे भेज देनी चाहिये।

अनुच्छेद 39-ए (Article 39A)

संविधान का अनुच्छेद 39-ए राज्य पर उन नागरिकों को वकील प्रदान करने की जिम्मेदारी डालता है जो गरीबी या किसी अन्य कारण से वकील रखने में असमर्थ हैं।

आदिवासी (Tribal)

  • भारत की लगभग 8 प्रतिशत जनसंख्या आदिवासियों की है, आदिवासियों को जनजाति भी कहा जाता है। सरकारी दस्तावेजों में आदिवासियों के लिए इसी शब्द का प्रयोग किया जाता है। आदिवासी समुदायों की एक आधिकारिक सूची भी तैयार की गई है। अनुसूचित जनजातियों को कभी-कभी अनुसूचित जातियों के साथ मिश्रित देखा जाता है।
  • उन्नीसवीं सदी में बहुत सारे आदिवासियों ने ईसाई धर्म अपनाया जो आधुनिक आदिवासी इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण धर्म बन गया।
  • आदिवासियों में संथाली बोलने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। उनकी अपनी पत्र- पत्रिकाएँ निकलती हैं। इंटरनेट पर भी उनकी पत्रिकाएँ मौजूद हैं।
  • औपनिवेशिक शासन से पहले आदिवासी समुदाय शिकार और चीजे बीनकर आजीविका चलाते थे। वे स्थानांतरित खेती (Shifting Cultivation) के साथ-साथ लंबे समय तक एक स्थान पर भी खेती करते थे।
  • 1830 के दशक के बाद से, झारखंड और आसपास के क्षेत्र बड़ी संख्या में भारत और दुनिया के अन्य क्षेत्रीय बस्तियों, कैरेबियन और यहां तक कि ऑस्ट्रेलिया में जा रहे हैं। असम में भारत का चाय उद्योग उनके श्रम के कारण अपने पैरों पर खड़ा हो पाया है। आज अकेले असम में 70 लाख केबल हैं। इस विस्मृति की कहानी भीषण खोज और मौत की कहानी बनती जा रही है।
  • उन्नीसवीं सदी में ही इन भूस्खलनों से मरने वाले 5 लाख लोगों की जुबान टूट गई थी.
  • उड़ीसा के कालाहांडी जिले में स्थित न्यामगिरी पहाड़ी यह डोंगरिया कोंड नामक आदिवासी समुदाय का इलाका है। न्यामगिरी इस समुदाय का पवित्र पर्वत है। एक बड़ी एल्यूमीनियम कंपनी यहाँ खान और शोधक संयंत्र (Purifier plant) लगाना चाहती है। यह योजना इस आदिवासी समुदाय को विस्थापित कर देगी । इस समु के लोगों ने इस प्रस्तावित योजना का जमकर विरोध किया है। पर्यावरणवादी भी उनका समर्थन कर रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय में कंपनी के खिलाफ मुकदमा रहा है।
  • आदिवासी लगभग 10,000 तरह के पौधों का इस्तेमाल करते हैं। उनमें से लगभग 8,000 प्रजातियाँ (species) दवाइयों के तौर पर 325 प्रजातियाँ कीटनाशकों (pesticides) के तौर पर 425 प्रजातियाँ गोंद (gums), रेशिन (resins) और डाई के तौर पर और 550 प्रजातियाँ रेशों (fibres ) के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। इनमे से 3500 प्रजातियाँ भोजन के रूप में इस्तेमाल होती है जब आदिवासी समुदाय वन भूमि पर अपना अधिकार खो देते हैं तो यह सारी ज्ञान संपदा भी खत्म हो जाती है |
  • भारत में 104 राष्ट्रीय पार्क 0,501 वर्ग लोमीटर) और 543 वन्य जीव अभयारण्य (1,18,918 वर्ग किलोमीटर) ये ऐसे इलाके हैं जहाँ मूल रूप से आदिवासी रहा करते थे। अब उन्हें वहाँ से उजाड़ दिया गया है। अगर वे इन जंग में रहने की कोशिश करते हैं तो उन्हें घुसपैठिया ( encroachers) कहा जाता है।
  • आदिवासी कार्यकर्ता C.K जानू का आरोप है कि विभिन्न राज्यों की सरकारें भी आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन करने में पीछे नहीं हैं. यही ताकतें हैं जो गैर-आदिवासी घुसपैठियों को इमारती लकड़ी के व्यापारियों, पेपर मिलों आदि के नाम पर आदिवासियों की जमीनों का दोहन करने और आदिवासियों के पारंपरिक जंगलों को नष्ट करने की अनुमति देती हैं। इसके अलावा वनों को आरक्षित या अभ्यारण्य घोषित करने के बाद भी लोगों को बेदखल किया जा रहा है। जान का यह भी कहना है कि जो आदिवासी पहले ही बेदखल हो चुके हैं और जो अब वापस नहीं लौट सकते, उन्हें भी मुआवजा दिया जाना चाहिए. इसका मतलब यह है कि सरकार को ऐसी योजनाएँ बनानी चाहिए जिनकी मदद से वे नई जगहों पर रह सकें और काम कर सकें। जब सरकार आदिवासियों से छीनी गई भूमि पर औद्योगिक या अन्य परियोजनाओं के निर्माण पर बहुत पैसा खर्च कर सकती है, तो इन विस्थापितों के पुनर्वास के लिए थोड़ी सी राशि खर्च करने से क्यों हिचकिचाती है।
  • केंद्र सरकार ने हाल ही में अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 पारित किया है। इस कानून की प्रस्तावना में कहा गया है कि यह कानून भूमि और संसाधनों पर वन समुदायों के अधिकारों को मान्यता नहीं देता है।
  • इसे ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के लिए पारित किया गया है। कानून ने वन समुदायों के घरों, कृषि और चरागाह भूमि, और गैर-लकड़ी वन उत्पादों के आसपास भूमि के अधिकारों को मान्यता दी।
    कहा गया है कि वनों का संरक्षण और जैव विविधता भी वनवासियों के अधिकार के अंतर्गत आती है।

संघवाद (Federalism)

  • संघवाद इसका मतलब है देश में एक से ज्यादा स्तर की सरकारों का होना। हमारे देश में राज्य स्तर पर भी सरकारें हैं और केंद्र स्तर पर भी। पंचायती राज व्यवस्था शासन का तीसरा स्तर है
  • जब संविधान सभा ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के सिद्धान्त को स्वीकृति दी तो सभा के सदस्य ए. के. अय्यर ने कहा था कि यह कदम आम आदमी और लोकतांत्रिक शासन की सफलता में गहरी आस्था का द्योतक और इस विश्वास पर आधारित है कि वयस्क मताधिकार के जरिये लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना ज्ञानोदय लाएगी। आम आदमी के कुशलक्षेम, जीवन स्तर सुविधा और बेहतर जीव स्थिति को प्रोत्साहन देगी
  • 1934 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने संविधान सभा के गठन की माँग को पहली बार अपनी अधिकृत नीति में शामिल किया।
  • दिसंबर 1946 में संविधान सभा का गठन किया गया।

संसदीय शासन पद्धति

  • संसदीय शासन पद्धति में सरकार के सभी स्तरों पर प्रतिनिधियों का चुनाव लोग खुद करते हैं.

शक्तियों का बँटवारा

  • शक्तियों का बँटवारा- संविधान के अनुसार सरकार के तीन अंग हैं विधायिका (Legislature), कार्यपालिका (Executive) और न्यायपालिका (Judiciary) । विधायिका में हमारे निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं। कार्यपालिका ऐसे लोगों का समूह है जो कानूनों को लागू करने और शासन चलाने का काम देखते हैं। न्यायपालिका कहा जाता है।

मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)

  • मौलिक अधिकारों वाला खंड भारतीय संविधान की ‘अंतरात्मा’ (Conscience) भी कहलाता है। डॉ. अम्बेडकर ने कहा था कि इनका दोहरा उद्देश्य है पहला, हरेक नागरिक ऐसी स्थिति में हो कि वह उन अधिकारों के लिए दावेदारी कर सके और दूसरा, ये अधिकार हर उस सत्ता और संस्था के लिए बाध्यकारी (Compulsive) हों जिसे कानून बना अधिकार दिया गया है। मौलिक अधिकारों के अलावा हमारे संविधान में एक खंड नीति निर्देशक तत्त्वों (Directive Principles) का भी है। संविधान सभा के सदस्यों ने यह खंड इसलिए जोड़ा था ताकि और ज्यादा सामाजिक व आर्थिक सुधार लाए जा सके ।

मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duty)

  • मौलिक कर्तव्यों को 1976 में संविधान में जोड़ा गया, हर माता-पिता या संरक्षक 6 से 14 वर्ष के आयु वर्ग के अपने बच्चों या अपने पाल्य को शिक्षा के लिए अवसर प्रदान करे। यह कर्तव्य 2002 में संविधान में जोड़ा गया। वर्तमान में मौलिक कर्तव्यों की संख्या 11 है।

धर्मनिरपेक्षता (Secularism)

  • एक धर्मनिरपेक्ष राज्य वह है जिसमें राज्य आधिकारिक तौर पर किसी भी धर्म को राज्य धर्म के रूप में बढ़ावा नहीं देता है। भारतीय संविधान कहता है कि भारतीय राज्य धर्मनिरपेक्ष रहेगा। हमारे संविधान के अनुसार
  • एक धर्मनिरपेक्ष राज्य ही अपने उद्देश्यों को साकार करते हुए निम्नलिखित बातों का ध्यान रख सकता है-
  • किसी एक धार्मिक समुदाय को दूसरे धार्मिक समुदाय को नहीं दबाना चाहिए, कुछ लोगों को अपने ही धर्म के अन्य सदस्यों को नहीं दबाना चाहिए और
  • राज्य न तो किसी विशेष धर्म को थोपेगा और न ही लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता को छीनेगा। भारतीय राज्य की बागडोर न तो किसी एक धार्मिक समूह के हाथ में है और न ही राज्य किसी एक धर्म का समर्थन करता है।
  • भारतीय धर्मनिरपेक्षता के पास धार्मिक वर्चस्व को रोकने का एक और तरीका है। अहस्तक्षेप नीति। इसका मतलब यह है कि सभी धर्मों की भावनाओं का सम्मान करने और धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप न करने के लिए राज्य कुछ धार्मिक समुदायों को विशेष छूट देता है। कि विधायिका किसी धर्म को राजकीय धर्म घोषित नहीं कर सकती और न ही विधायिका किसी एक धर्म को अधिक प्राथमिकता दे सकती है।

 

  • संविधान सभा के विभिन्न सदस्यों ने इसकी अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को की थी। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे।
  • फरवरी 2004 में फ्रांस में एक कानून बनाया गया। कानून प्रदान करता है कि कोई भी छात्र धार्मिक या राजनीतिक संकेतों या प्रतीकों, जैसे इस्लामिक हेडस्कार्व्स, यहूदी हेडगियर या बड़े ईसाई क्रॉस को पहनकर स्कूल नहीं जाएगा। फ्रांस में रहने वाले अप्रवासियों ने इस कानून का कड़ा विरोध किया। वे मुख्य रूप से अल्जीरिया, ट्यूनीशिया और मोरक्को जैसे देशों से आए थे जो पहले फ्रांस के उपनिवेश थे। 1960 के दशक में फ्रांस में श्रमिकों की कमी थी। उस समय इन अप्रवासियों को फ्रांस में काम करने के लिए वीजा दिया गया था। इन अप्रवासियों की बेटियां अक्सर सिर पर रुमाल बांधकर स्कूल जाती हैं। लेकिन इस नए कानून के लागू होने के बाद उन्हें सिर पर रुमाल बांधने के आरोप में स्कूल से निकाल दिया गया है |
  • 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ।
  • 1885 की शुरुआत में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मांग की कि विधायिका में निर्वाचित सदस्य होने चाहिए और उन्हें बजट पर चर्चा करने और प्रश्न पूछने का अधिकार दिया जाना चाहिए। 1909 के भारत सरकार अधिनियम ने कुछ हद तक निर्वाचित प्रतिनिधित्व की प्रणाली को मंजूरी दी।
  • 2004 के आम चुनाव में पहली बार देश भर में ईवीएम का इस्तेमाल हुआ। इस चुनाव में ईवीएम के उपयोग से लगभग 150,000 पेड़ों को बचाया गया, क्योंकि मतपत्रों की छपाई के लिए इन पेड़ों से 8,000 टन कागज काटना पड़ा था। .
  • प्रतिनिधि सहमति का विचार लोकतंत्र का प्रारंभिक बिंदु है। सहमति का अर्थ है लोगों की इच्छा, स्वीकृति और भागीदारी।

हमारा संविधान (our constitution)

  • सन् 1946 में एक संविधान सभा बनाई गई। इसमें 389 लोग थे जो भारत के हर प्रान्त से आए थे। कुछ लोग जिनके नाम थे सरोजनी नायडू, विजयलक्ष्मी पंडित, मौलाना अबुल कलाम आजाद, जवाहरलाल नेहरू, एच.वी. कामथ |
  • डॉ. राजेन्द्र प्रसाद इस सभा के अध्यक्ष थे । संविधान सभा की एक प्रारूप समिति भी बनी जिसने संविधान लिखने का काम किया। डॉ. बी. आर. अम्बेडकर इस समिति के अध्यक्ष थे। 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू होने के बाद ही अपने देश में लोगों द्वारा चुनी गई सरकार का शासन शुरू हुआ, इसीलिए हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया है।
  • डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर ने लन्दन में गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया था। उन्होंने दलितों के लिए अलग से निर्वाचन की माँग की जिसके फलस्वरूप विधान मण्डलों में दलितों के स्थान आरक्षित कर दिए गए।
  • भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा एवं लिखित विधान है। इसमें आवश्यकता पड़ने पर संशोधन एवं परिवर्तन किया जा सकता है। मूल संविधान में कुल 22 भाग 395 अनुच्छेद व 8 अनुसूचियाँ थीं। वर्तमान में अनुसूचियों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है।
  • भारत का राष्ट्राध्यक्ष वंशानुगत न होकर निर्वाचित होता है इसलिए भारत को गणराज्य कहा गया है।
  • 10 दिसम्बर, 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा में मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की। पूरा विश्व 10 दिसम्बर को मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाता है। भारत में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए 1993 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया।

मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)

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मौलिक अधिकार के रूप में हमारे संविधान में छ: अधिकार दिए गए हैं जो इस प्रकार हैं –

1. समानता का अधिकार (right to equality)

  • भारतीय नागरिकों के साथ संविधान के अनुसार समान व्यवहार किया जाएगा। किसी भी व्यक्ति को उसके जन्म स्थान, लिंग, लिंग, जाति या धर्म के आधार पर दुकानों, होटलों या सिनेमा हॉल जैसे सार्वजनिक स्थानों पर जाने से नहीं रोका जा सकता है।
  • इसी प्रकार सरकारी नौकरियों में सभी को समान अवसर प्रदान किया गया है, अस्पृश्यता को अपराध घोषित किया गया है। सैन्य या शैक्षणिक खिताब (अस्पृश्यता)

2. स्वतंत्रता का अधिकार (right to freedom)

  • भारत के सभी नागरिकों को विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
  • शांतिपूर्वक सभा करने की स्वतंत्रता।
  • एक समिति या संघ बनाकर उनके अधिकारों के लिए कहीं भी आने-जाने, रहने और बसने की आजादी
  • अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करने की स्वतंत्रता।
  • दोषसिद्धि, जीवन के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से सुरक्षा। शिक्षा का अधिकार – वर्ष 2002 में संविधान के 86वें संशोधन द्वारा शिक्षा के अधिकार को अनुच्छेद 21ए में मौलिक अधिकार में जोड़ा गया है, जिसके अनुसार 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए। शिक्षा। और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना सरकार का कर्तव्य है। इस अधिकार को प्रभावी बनाने के लिए, बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (RTE 009) संसद द्वारा पारित किया गया है।

3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (right against exploitation)

  • शोषण के विरुद्ध अधिकार के तहत किसी भी व्यक्ति को निर्धारित मजदूरी से कम पर या खराब परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।
  • 4 साल से कम उम्र के बच्चों से काम नहीं कराया जा सकता।
  • बंधुआ मजदूरी पर रोक क्योंकि इस प्रथा में मजदूर के इस मौलिक अधिकार का हनन होता है।

4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (right to freedom of religion)

  • भारत में सभी को अपने धर्म का पालन करने की आजादी है। किसी को भी अपने रीति-रिवाजों को व्यक्तिगत रूप से निभाने से नहीं रोका जा सकता है। सभी को अपने धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने की स्वतंत्रता है।

5. संस्कृति एवं शिक्षा का अधिकार (right to culture and education)

  • भारत के प्रत्येक नागरिक को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार है।
  • जिस धर्म या समाज के लोग कम संख्या में हों उनके भी कुछ विशेष अधिकार होते हैं। उन्हें अपने समाज में शिक्षण संस्थान खोलने और अपनी भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने का अधिकार है।

6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (right to constitutional remedies)

  • अगर कहीं मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है तो सीधे सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में केस दायर करने का अधिकार भी मौलिक अधिकार है।
  • मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध :- देश में “बाहरी आक्रमण” या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में आपातकाल लगाया जा सकता है। आपातकाल के दौरान राष्ट्रीय हित में नागरिकों के कुछ मौलिक अधिकारों को भी निलंबित किया जा सकता है।
  • सूचना का अधिकार अधिनियम:- 2 सन् 2005 में संसद ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 पारित किया, जिसे 15 जून, 2005 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली और अंततः 12 अक्टूबर, 2005 को यह कानून पूरे देश में लागू कर दिया गया। जम्मू और कश्मीर को छोड़कर। इसके साथ ही सूचना की स्वतंत्रता विधेयक 2002 को निरस्त कर दिया गया।

मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duty)

  • मौलिक कर्तव्यों को 1976 में संविधान में जोड़ा गया था, प्रत्येक माता-पिता या अभिभावक 6 से 14 वर्ष की आयु के अपने बच्चे या अपने वार्ड को शिक्षा के अवसर प्रदान करेंगे। यह कर्तव्य 2002 के संविधान में जोड़ा गया था। वर्तमान में 11 मौलिक कर्तव्य हैं।

केंद्रीय व राज्य शासन व्यवस्था

(central and state government)

संविधान में विषयों की सूचियां (Lists of subjects in the constitution)

  • संविधान में विभिन्न विषयों को तीन सूचियों में बाँट दिया गया – केंद्रीय सूची (Union List), राज्य सूची (State List ) और समवर्ती सूची (Concurrent List)।
  • केंद्रीय सूची (central list) :- इस सूची के विषयों पर विधि (कानून) बनाने का अधिकार संसद को प्राप्त है, जिनमें से कुछ प्रमुख विषय हैं रेल, जल परिवहन, वाई जहाज, राष्ट्रीय राजमार्ग, बैंक, विदेशी मामले, स्मारक, रक्षा, संचार साध डाक एवं तार आदि ।
  • राज्य सूची (state list) :- इस सूची में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे विषय लिए गए जिनकी ज़िम्मेदारी मुख्य रूप से राज्य सरकारों के ऊपर थी।
  • समवर्ती सूची (concurrent list) :- इस सूची में वन एवं कृषि आदि ऐसे विषयों को रखा गया जिनके बारे में केंद्र और राज्य सरकारें, दोनों संयुक्त रूप से फैसला ले सकते थे।
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संसद

(Parliament)

संघ (केन्द्र) की व्यवस्थापिका को संसद कहते हैं। संसद का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है- देश के लिए कानून का निर्माण करना। भारतीय संसद, राष्ट्रपति और दो सदनों लोकसभा और राज्यसभा से मिलकर बनती है।

लोकसभा

  • लोकसभा संसद का ‘निम्न सदन’ हैं। हर चुनाव क्षेत्र से एक सदस्य चुनकर लोक सभा में आते हैं। लोकसभा की अधिकतम संख्या 552 हो सकती जिनमे राज्यों के मतदाताओं द्वारा निर्वाचित 530 सदस्य । केन्द्र शासित क्षेत्रों के मतदाताओं द्वारा निर्वाचित 20 सदस्य ।
  • 1952 से लेकर 2020 के बीच, भारत सरकार की सलाह पर भारत के राष्ट्रपति, आंग्ल भारतीय समुदाय के 2 अतिरिक्त सदस्यों को मनोनीत कर सकते थे, जिसे 104वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा, जनवरी 2020 में समाप्त कर दिया गया आज लोकसभा में कुल सीटों की संख्या 550 है।

योग्यताएँ

  • भारत का नागरिक हो व मतदाता सूची में उसका नाम हो।
  • 25 साल या उससे अधिक आयु हो |
  • किसी सरकारी लाभ के पद पर न हो
  • पागल या दिवालिया न हो

लोकसभा का कार्यकाल

  • लोक सभा के सदस्य 5 वर्ष के लिए चुने जाते हैं लेकिन प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति इसके पहले भी लोक सभा को भंग कर सकता है।

अधिवेशन

  • लोकसभा के अधिवेशन साल में दो बार अवश्य होने चाहिए। दोनों अधिवेशनों के बीच छः से अधिक का अन्तर नहीं होना चाहिए।

राज्य सभा

  • राज्य सभा संसद का उच्च सदन है। इसके सदस्यों की संख्या अधिक से अधिक 250 हो सकती है। इनमें से 12 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाता है। चूँकि इनका चुनाव सीधे जनता द्वारा नहीं होता है इसलिए इस प्रकार के चुनाव को ‘अप्रत्यक्ष चुनाव’ कहते हैं। राज्य सभा का सदस्य वही व्यक्ति हो सकता है जिसकी आयु 30 वर्ष या उससे अधिक हो। शेष योग्यताएँ वही होती हैं जो लोकसभा के सदस्यों के लिए निश्चित की गई हैं। परन्तु कोई व्यक्ति एक ही समय में संसद के दोनों सदनों का सदस्य नहीं हो सकता |

सदस्यों का कार्यकाल

  • राज्य सभा के सदस्यों का कार्यकाल छः वर्ष है। इसके एक तिहाई सदस्य हर दो वर्ष बाद अवकाश ग्रहण करते हैं और उनके स्थान पर नये सदस्य चुनकर आते हैं।
  • इस प्रकार राज्यसभा कभी भंग नहीं होती है। इसीलिए इसे ‘स्थायी सदन’ कहा जाता है।

राज्यसभा के पदाधिकारी

  • भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। यह राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करता है जब सभापति उपस्थित नहीं रहता तब उसके स्थान पर उपसभापति कार्य करता है।

अधिवेशन (बैठक)

  • राज्यसभा का वर्ष में दो बार अधिवेशन) बैठक (होना आवश्यक है। एक बैठक और दूसरी बैठक के बीच छ: माह से अधिक का अन्तर नहीं होना चाहिए।

कानून निर्माण की प्रक्रिया

  • जिस विषय पर कानून बनाना होता है उसका एक प्रस्ताव तैयार किया जाता है, उसे विधेयक कहते हैं। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद विधेयक कानून बन जाता है।

साधारण विधेयक

  • साधारण विधेयक लोकसभा या राज्यसभा में से किसी में भी पहले पेश किया जाता है। इस विधेयक को कोई भी मंत्री पेश कर सकता है। साधारण विधेयक तीन चरणों में पारित होता है जिसे तीन वाचन कहते हैं।

धन विधेयक

  • धन से सम्बन्ध रखने वाले विधेयक लोकसभा में ही प्रस्तुत ‘किये जा सकते हैं। राज्यसभा में उन पर केवल चर्चा की जाती है। राज्यसभा केवल 14 दिन के लिए धन विधेयक अपने पास रख सकती है।
  • कोई वित्त विधेयक धन विधेयक है या नहीं, इसका निर्धारण लोकसभा स्पीकर (अध्यक्ष) द्वारा किया जाता है।

भारत का राष्ट्रपति (President of India)

  • संघ की कार्यपालिका का प्रधान राष्ट्रपति होता है । वह भारत का प्रथम नागरिक होता है। वह भारत तीनों सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति होता है । समस्त कार्यपालिका शक्तियाँ राष्ट्रपति को प्राप्त
    हैं, परन्तु वास्तविक शक्तियाँ प्रधानमंत्री एवं उसकी मंत्रिपरिषद् में निहित होती हैं। राष्ट्रपति देश का औपचारिक प्रधान होता है ।

राष्ट्रपति का चुनाव

  • राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मण्डल के द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य। राज्यों की विधानसभाओं तथा दिल्ली एवं पुदुच्चेरी संघ राज्य क्षेत्र की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य सम्मिलित होते हैं।

राष्ट्रपति का कार्यकाल

  • राष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है लेकिन राष्ट्रपति की मृत्यु होने, त्यागपत्र देने पर पद रिक्त हो सकता है। वह अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को देता है।
  • इसके अतिरिक्त यदि राष्ट्रपति संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करे तो उसे संसद द्वारा महाभियोग की प्रक्रिया से हटाया जा सकता है। उसे हटाने का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में रखा जा सकता है।

राष्ट्रपति पद के लिए योग्यताएँ

  • वह भारत का नागरिक हो ।
  • 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
  • वह किसी लाभ के पद पर न हो ।
  • लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता

नियुक्ति संबंधी शक्तियाँ

  • राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को नियुक्त करता है।
  • प्रधानमंत्री की सलाह पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है तथा उनके विभागों का बँटवारा करता है।
  • राष्ट्रपति राज्यपालों, उच्चतम व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
  • निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य आयुक्तों, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति भी राष्ट्रपति करता है।
  • राष्ट्रपति मृत्युदण्ड, अन्य दण्ड प्राप्त व्यक्तियों को क्षमा कर सकता है या दण्ड को कुछ समय के लिए स्थगित एवं परिवर्तित कर सकता है।

राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियाँ

  • युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में) राष्ट्रीय आपात (लगा सकता है।
  • राज्यों में संवैधानिक तंत्र विफल होने पर) राष्ट्रपति शासन (लगा सकता है।
  • वित्तीय संकट के समय) वित्तीय आपात (लगा सकता है।

भारत के उपराष्ट्रपति

(Vice President of India)

  • भारत का उपराष्ट्रपति पाँच वर्ष के लिए चुना जाता है। उपराष्ट्रपति को लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य मिलकर चुनते हैं। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति उसके स्थान पर कार्य करता है।
  • उपराष्ट्रपति स्वेच्छा से अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को दे सकता है अथवा राज्यसभा के प्रस्ताव पर लोकसभा की सहमति से हटाया जा सकता है।

उपराष्ट्रपति पद के लिए योग्यताएँ

  • वह भारत का नागरिक हो ।
  • 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
  • वह किसी लाभ के पद पर न हो ।
  • राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो ।

प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद्

  • प्रधानमंत्री के सुझाव पर राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद् के सदस्यों की नियुक्ति करता है। प्रधानमंत्री किसी मंत्री को हटाने अथवा नए मंत्री बनाने की राष्ट्रपति से संस्तुति करता है। सभी मंत्रियों का लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य होना जरूरी है, नहीं तो उसे छ: महीने के अन्दर ही संसद के सदस्य के रूप में नि निर्वाचित होना पड़ता है।
  • मंत्रिपरिषद् के कार्यों पर संसद नियंत्रण करती है। यदि मंत्रिपरिषद् और प्रधानमंत्री ठीक से करें तो उन्हें लोकसभा द्वारा हटाया जा सकता है। इन्हें हटाने के लिए लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जा सकता है।

न्यायालय (Court)

सर्वोच्च न्यायालय

  • यह देश का सर्वोच्च अपीलीय न्यायालय है जो नई दिल्ली में स्थित है। इसके निर्णय देश के सभी न्यायालय को मानने होते हैं।
  • भारत में सर्वोच्च न्यायालय अपील का अन्तिम न्यायालय है। भारत का उच्चतम न्यायालय नागरिकों के मूल अधिकारों का संरक्षक है।
  • यदि संसद कोई ऐसा कानून बनाती है जो संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध हैं तो उच्चतम न्यायालय उस कानून को असंवैधानिक घोषित करके रद्द कर सकता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय भारतीय संविधान का संरक्षक व उसके प्रावधानों की व्याख्या करता है।

न्यायाधीशों की योग्यताएँ

  • भारत का नागरिक हो।
  • वह किसी उच्च न्यायालय में कम से कम 5 वर्ष तक न्यायाधीश के पद पर कार्य कर चुका हो। या उच्च न्यायालय में दस वर्ष तक वकालत कर चुका हो। या भारत के राष्ट्रपति की दृष्टि में कानून का विशेष ज्ञाता हो ।

कार्यकाल (tenure)

  • प्रत्येक न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्य कर सकता है।

उच्च न्यायालय

  • उच्च न्यायालय राज्य में शीर्ष न्यायालय होता है। भारत में कुल 24 उच्च न्यायालय हैं। उत्तर प्रदेश का उच्च न्यायालय इलाहाबाद में स्थित है।

कार्यकाल

  • प्रत्येक न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु तक अपने पद पर कार्य कर सकता है।

कार्य

  • मौलिक अधिकारों की रक्षा करना ।
  • अधीनस्थ न्यायालयों से आए विवादों पर कानून के अनुसार फैसले देना ।
  • जनहित याचिकाओं पर फैसले सुनाना |
  • अधीनस्थ न्यायालयों का निरीक्षण और पर्यवेक्षण करना।

जिला न्यायालय (District Courts)

  • जिला न्यायालय हर जिले में होता है जो दीवानी और फौजदारी मामलों की सुनवाई करता है। जिला न्यायालय उस राज्य के उच्च न्यायालय के अधीनस्थ होता है। जिला न्यायाधीश की नियुक्ति उस राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है।

लोक अदालत (Public Court)

वे विषय और क्षेत्र जिनमे लोक अदालतें विवाद सुलझाती हैं।

  • वाहन दुर्घटना मुकदमा
  • बिजली
  • गृहकर
  • पेंशन संबंधी मुकदमे
  • समझौते योग्य फौजदारी मुकदमा
  • गृहऋण,
  • उद्योगों और बैंको से संबंधित मुकदमे
  • भूमि अधिग्रहण संबंधी मुकदमे,
  • विवाह/पारिवारिक मुकदमे,
  • उपभोगता संबंधित मुकदमे

अन्य महत्वपूर्ण बिंदु

  • फौजदारी मामले :- ऐसा अपराध है जो मारपीट से संबंधित है। मारपीट, चोरी, डकैती, मिलावट करना, रिश्वत लेना, खतरनाक दवाएं बनाना – ये सब फौजदारी मामले हैं।
  • दीवानी मामले :- जमीन-जायदाद के झगड़े या मज़दूर-मालिक के बीच मज़दूरी के झगड़े, किसी के बीच पैसे के लेन-देन या व्यापार आदि के झगड़े होते हैं तो दीवानी मामले दर्ज कराए जाते हैं।
  • परिवार न्यायालय अधिनियम 1984 के तहत विभिन्न राज्यों में परिवार न्यायालयों का गठन हुआ।
  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत हर भारतीय उपभोक्ता को संरक्षण दिया जाता है।
  • 1980 के दशक में सर्वोच्च न्यायालय ने जनहित याचिका व्यवस्था लागू की। इसको प्रारम्भ करने का श्रेय जस्टिस P. N भगवती को जाता है।
  • स्वतंत्र न्यायपालिका लोकतंत्र का तीसरा महत्वपूर्ण आधार है।”
  • वही व्यक्ति विधान सभा का चुनाव लड़ सकता है, जो 25 वर्ष या उससे अधिक आयु का हो विधानसभा के सदस्यों को विधायक या M.L. A कहा जाता है।
  • उत्तर प्रदेश विधान सभा द्विसदनीय विधान मण्डल का निचला सदन है। इसमें 403 निर्वाचित सदस्य तथा राज्यपाल द्वारा मनोनीत एक आंग्ल भारतीय सदस्य होते हैं। > उत्तर प्रदेश विधान परिषद् में 100 सदस्य होते हैं। इसमें 38 सदस्य विधानसभा द्वारा, 36 सदस्य स्थानीय संस्थाओं द्वारा, 8 शिक्षकों द्वारा तथा 8 स्नातकों द्वारा निर्वाचित होते हैं। 10 सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाते हैं।
  • विधान परिषद् के सदस्य अपने बीच में से ही एक सभापति और एक उप सभापति चुनते हैं।
  • उत्तर प्रदेश का विधानसभा भवन लखनऊ में स्थित है।

गठबंधन

(Coalition)

  • इसका मतलब समूहों या दलों के तात्कालिक गठजोड़ से होता है गठबंधन शब्द का इस्तेमाल चुनावों के बाद किसी भी दल को बहुमत न मिलने की स्थिति में बनने वाले गठजोड़ के लिए किया गया है।
  • केंद्रीय सचिवालय (Central secretariat ) की दो मुख्य इमारतें हैं। इनमें से एक का नाम साउथ ब्लॉक और दूसरी का नाम नॉर्थ ब्लॉक है। इनका निर्माण 1930 के दशक में किया गया था।

रॉलेट एक्ट

  • रॉलेट एक्ट अंग्रेजो के मनमानेपन का एक और उदाहरण था । इस कानून के जरिये ब्रिटिश सरकार बिना मुकदमा चलाए लोगों को कारावास में डाल सकती थी। महात्मा गाँधी सहित सभी भारतीय राष्ट्रवादी नेता रॉलेट एक्ट के सख्त खिलाफ थे।
  • भारतीय विरोध के बावजूद 10 मार्च 1919 से रॉलेट एक्ट को लागू कर दिया गया। पंजाब में इस कानून का भारी पैमाने पर विरोध होता रहा ।
  • इसी क्रम में 10 अप्रैल को डॉ. सत्यपाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू को गिरफ्तार कर लिया गया। इन नेताओं की गिरफ्तारियों के विरोध में 13 अप्रैल को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में एक सभा का आयोजन किया गया। जिस समय यह सभा चल रही थी उसी समय जनरल डायर ब्रिटिश फौजी टुकड़ियों के साथ बाग में दाखिल हुआ। उसने बाहर निकलने का रास्ता बंद करके बिना चेतावनी दिए लोगों पर अंधाधुंध गोलियाँ चलवा दीं।
  • इस हत्याकांड में कई सौ लोग मारे गए और असंख्य जख्मी हुए। मरने और घायल होने वालों में बहुत सारी औरतें और बच्चे भी थे।

1870 का राजद्रोह एक्ट

(Sedition Act of 1870)

अंग्रेजी शासन के मनमानेपन की मिसाल था। इस कानून में राजद्रोह की परिभाषा बहुत व्यापक थी। इसके मुताबिक अगर कोई भी व्यक्ति ब्रिटिश सरकार का विरोध या आलोचना करता था तो उसे मुकदमा चलाए बिना ही गिरफ्रतार किया जा सकता था।

  • घरेलू हिंसा कानून, 2005 में महिलाओं की सुरक्षा की परिभाषा ने घरेलू शब्द की समझ को और अधिक व्यापक बना दिया है। अब ऐसी महिलाएँ भी घरेलू दायरे का हिस्सा मानी जाएँगी जो हिंसा करने वाले पुरुष के साथ एक ही मकान में रहती हैं। या ‘रह चुकीं हैं।

न्यायपालिका के कार्य

(Functions Of Judiciary)

न्यायपालिका के कामो को मोटे तौर पर निनलिखित भागों में बाँटा जा सकता है :-

विवादों का निपटारा (settlement of disputes )

  • न्यायिक व्यवस्था नागरिकों, नागरिक व सरकार दो राज्य सरकारों और केंद्र व राज्य सरकारों के बीच पैदा होने वाले विवादों को हल करने की क्रियाविधि मुहैया कराती है।

न्यायिक समीक्षा (judicial review) 

  • संविधान की व्याख्या का अधिकार मुख्य रूप से न्यायपालिका के पास ही होता है।

कानून की रक्षा और मौलिक अधिकारों का किर्यान्वयन (Protection Of Law And Execution Of Fundamental Rights)

  • संविधान के अनुच्छेद 21 में प्रत्येक नागरिक को जीवन का मौलि अधिकार दिया गया है और इसमें स्वास्थ्य का अधिकार भी शामिल है।
  • उच्च न्यायालयों की स्थापना सबसे पहले 186 में कलकत्ता, बंबई और मद्रास में की गई ये तीनों प्रेसिडेंसी शहर थे। दिल्ली उच्चन्यायालय का गठन 1966 में हुआ। आज देश भर में 25 उच्च न्यायालय हैं। बहुत सारे राज्यों के अपने उच्च न्यायालय हैं जब कि पंजाब और हरियाणा का एक साझा उच् न्यायालय चंडीगढ़ में है। दूसरी तरफ चार पूर्वोत्तर राज्यों (Northeast states ) असम, नागालैंड, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश के लिए एक ही उच्च न्यायालय रखा गया है। 1 जनवरी 2019 से प्रदेश (अमरावती) और तेलंगाणा (हैदराबाद) में अलग-अलग उच्चन्यायालय है। ज्यादा से ज्यादा लोगों के नजदीक पहुँचने के लिए कुछ उच्चन्यायालयों की राज्य के अन्य हिस्सों में खण्डपीठ (Bench) भी हैं
  • अधीनस्थ अदालतों (Subordinate courts) को कई अलग-अलग नामों से सम्बोधित किया जाता है। उन्हें ट्रायल कोर्ट या जिला न्यायालय, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, प्रधान न्यायिक मजिस्ट्रेट, मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट, सिविल जज न्यायालय आदि नामों से बुलाया जाता है।

फौजदारी कानून

(Criminal law)

  1. ये ऐसे व्यवहार या क्रियाओ से संबंधित हैं जिन्हें कानून में अपराध माना गया है। उदाहरण के लिए चोरी, दहेज के लिए औरत को तंग करना, हत्या आदि।
  2. इसमें सबसे पहले आमतौर पर प्रथम सूचना रिपोर्ट / प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई जाती है। इसके बाद पुलिस अपराध की जाँच करती है और अदालत में केस फाइल करती है।
  3. अगर व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो उसे जेल भेजा जा सकता है और उस पर जुर्माना भी किया जा सकता है।

दीवानी कानन

(Civil law)

  1. इसका संबंध व्यक्ति विशेष के अधिकारों के उल्लंघन या अवहेलना से होता है। उदाहरण के लिए जमीन की बिक्री, चीजों की खरीदारी, किराया, तलाक आदि से संबंधित विवाद।
  2. प्रभावित पक्ष की ओर से न्यायालय में एक याचिका दायर की जाती है। अगर मामला किराये से सम्बंधित है तो मकान मालिक या किरायेदार मुकदमा दायर कर सकता है।
  3. अदालत राहत की व्यवस्था करती है। उदाहरण के लिए अगर मकान मालिक और किरायेदार के बीच विवाद है तो अदालत यह आदेश सकती है कि किरायेदार मकान को खाली करे और बकाया किराया चुकाए |

 जनहित याचिका (Public interest litigation) (P.I.L.)

  • 1980 के दशक में सर्वोच्च न्यायालय ने जनहित याचिका (P.I.L.) की व्यवस्था विकसित की थी अब सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के नाम भेजे गए पत्र या तार (Telegram) को भी जनहित याचिका माना जा सकता है।

हाशियकरण समुदाय (Marginalization community)

  • 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी में मुसलमानों की संख्या 14.2 प्रतिशत है। उन्हें हाशियाई समुदाय माना जाता है इस बात को ध्यान में रखते हुए कि मुसलमान विकास के विभिन्न संकेतकों पर पिछड़े हुए हैं, सरकार ने 2005 में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। न्यायमूर्ति राजिन्दर सच्चर की अध्यक्षता में बनाई गई इस समिति ने भारत में मुसलिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का जायजा लिया। रिपोर्ट में इस समुदाय के हाशियकरण का विस्तार से अध्ययन किया गया है।
  • समिति की रिपोर्ट से पता चलता है कि विभिन्न सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक संकेतकों (Educational indicators) के हिसाब से मुसलमानों की स्थिति अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति जैसे अन्य हाशियाई समुदायों से मिलती-जुलती है। उदाहरण के लिए, 7-16 साल की उम्र के मुसलिम बच्चे अन्य सामाजिक-धर्मिक समुदायों के बच्चों के मुकाबले औसतन काफी कम साल तक ही स्कूली शिक्षा ले पाते हैं
  • मुसलमानों के इसी सामाजिक हाशियकरण के कार कुछ स्थितियों में वे जिन इलाकों में पहले से रहते आए हैं, वहाँ से निकलने लगे हैं जिससे अकसर उनका ‘घेटोआइजेशन’ (Ghettoisation) होने लगता है। कभी- यही पूर्वाग्रह (Prejudice) घृणा और हिंसा को जन्म देता है।
  • सच्चर समिति रिपोर्ट ने मुसलमानों के बारे में प्रचलित दूसरी गलतफहमियों को भी उजागर कर दिया है। आमतौर पर माना जाता है कि मुसलमान अपने बच्चों को सिर्फ मदरसों में भेजना चाहते हैं। आँकड़ों से पता चलता है कि केवल 4 प्रतिशत मुसलमान बच्चे मदरसों में जाते हैं। मुसलमानों के 66 प्रतिशत बच्चे सरकारी और 30 प्रतिशत बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं।

कबीर

(Kabir)

  • कबीर पंद्रहवीं सदी के कवि थे। पेशे से बुनकर (Weaver) कबीर भक्तिपरंपरा से जुड़े थे। कबीर की कविता परमसत्ता के प्रति उनके प्रेम पर केंद्रित थी। उनका यह प्रेम रस्मों और पंडे- पुजारियों के चंगुल से आजाद था। उनकी कविताओं में ताकतवर लोगों की तीखी आलोचना दिखाई देती है। कबीर ने ऐसे लोगों पर बार-बार प्रहार किया जो अपनी धार्मिक और जातीय पहचानों के लिए लोगों को साँचे में कैद कर देते हैं।
  • उनकी राय में हर व्यक्ति के पास आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त करने की क्षमता होती है और वे अपने अनुभवों के जरिये भीतर के गहरे ज्ञान को हासिल कर सकते हैं। उनके पद सभी मनुष्यों की समानता और श्रम की महत्ता के शक्तिशाली विचारों को सामने लाते हैं।
  • वे एक साधारण कुम्हार बुनकर और घड़े में पानी लाती औरत, सबके श्रम का सम्मान करते हैं। उनके पदों में श्रम ही समूचे ब्रह्मांड को समझने का आधार है। उनकी प्रत्यक्ष, साहस भरी चुनौती आज भी लोगों को प्रेरित करती है।
  • उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, बंगाल, बिहार और गुजरात में दलित, हाशियाई समूह और सामाजिक ऊँच – नीच से घृणा कर वाले लोग आज भी कबीर के पदों को गाते हैं।

पानी की आपूर्ति (Water Supplies)

  • ग्रामीण इलाकों में मनुष्यों और मवेशियों (Cattle), दोनों के लिए पानी की जरूरत पड़ती है। यहाँ कुआँ, हैंडपंप, तालाब और कभी-कभार छत पर स्थित टंकियों से पानी मिलता है। इनमें से ज्यादातर निजी स्वामित्व में हैं। शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में सार्वजनिक जलापूर्ति का और भी ज्यादा अभाव है।
  • शहरी इलाकों में प्रति व्यक्ति लगभग 135 लीटर पानी प्रतिदिन मिलना चाहिए | पानी की यह मात्रा लगभग 7 बाल्टी के बराबर है। शहरी जल आयोग ने यह मात्रा तय की है। लेकिन झुग्गी बस्तियों में लोगों को रोजाना प्रति व्यक्ति 20 लीटर पानी (एक बाल्टी) भी नहीं मिलता। दूसरी तरफ आलीशान होटलों में रहने वाले लोगों को रोजाना प्रति व्यक्ति 1600 लीटर (80 बाल्टी) तक पानी मिलता है।
  • पानी की कमी के कारण बालीविया आदि देशों में तो दंगे भी फ़ैल गए जिसके दबाव में सरकार को जलपूर्ति  व्यवस्था निजी हाथों से छीन कर दोबारा अपने हाथों में लेनी पड़ी।
  • पानी के टैंकरों की दर सरकारी जलापूर्ति विभाग ही तय करता है और वह उन्हें करने की इजाजत देता है। इसलिए इन टैंकरों को ‘अनुबंधित’ कहा जाता है।
  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 में दलितों और अन्य समुदायों की मांगों के जवाब में अधिनियमित किया गया था।
  • 1993 में, सरकार ने मैला ढोने वालों की रोकथाम और शुष्क शौचालयों का निर्माण (निषेध) अधिनियम, 1993 पारित किया। यह कानून मैनुअल मैला ढोने वालों के नियोजन और शुष्क शौचालयों के निर्माण पर रोक लगाता है। मैला ढोने वालों के नियोजन का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम 6 दिसंबर 2013 को लागू हुआ।
  • प्रतिदिन 1600 से अधिक भारतीय पानी से संबंधित बीमारियों के कारण मरते हैं। इनमें से ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के बच्चे हैं।
  • भारतीय संविधान 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को शिक्षा के अधिकार की गारंटी देता है। इस अधिकार का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि स्कूली शिक्षा तक सभी बच्चों की समान पहुंच है। लेकिन शिक्षा का अध्ययन करने वाले कार्यकर्ताओं और शोधकर्ताओं के निष्कर्षों ने इस तथ्य को उजागर किया है कि भारत में स्कूली शिक्षा में हमेशा से बहुत अधिक असमानता रही है।
  • बजट में सरकार को यह भी घोषणा करनी होती है कि अगले साल की योजनाओं के लिए पैसे की व्यवस्था कहां से की जाएगी। जनता से प्राप्त कर सरकार की आय का मुख्य स्रोत है।

 

न्यूनतम मेहनताना कानून

(Minimum wage law)

  • इसमें यह निर्णय लिया गया है कि किसी का भी वेतन एक निर्दिष्ट न्यूनतम राशि से कम नहीं होना चाहिए। शोषण से मुक्त होने के अधिकार का अर्थ है कि किसी को भी कम वेतन पर काम करने या बंधुआ मजदूर के रूप में काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।
  • संविधान में यह भी कहा गया है कि 14 वर्ष से कम आयु के किसी भी बच्चे को किसी कारखाने या खान या किसी अन्य खतरनाक व्यवसाय में नियोजित नहीं किया जाएगा।
  • 40 लाख से अधिक बच्चे विभिन्न व्यवसायों में काम करते हैं। इनमें से कई बच्चे खतरनाक व्यवसायों में हैं। 2016 में, संसद ने सभी व्यवसायों और किशोरों (14-18 वर्ष) में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के रोजगार की अनुमति देने के लिए बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 में संशोधन किया।
  • खतरनाक व्यवसायों और प्रक्रियाओं में रोजगार प्रतिबंधित है। बच्चों या किशोरों के रोजगार को अब एक संज्ञेय अपराध बना दिया गया है। 2017 में, एक ऑनलाइन पोर्टल, Platform. प्रभावी के लिए
  • नो चाइल्ड लेबर (पेंसिल) के लिए प्रवर्तन शुरू हो गया है। यह पोर्टल शिकायतें दर्ज करने, बाल ट्रैकिंग और राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) के कार्यान्वयन और निगरानी के लिए है।
    1978 में अभ्रक उत्पादन कारखाने की स्थापना सुरक्षा मानकों के विरुद्ध थी, इसलिए सरकार ने कहा कि राज्य को भोपाल संयंत्र में निरंतर निवेश की आवश्यकता है ताकि रोजगार जारी रह सके।

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