Boxer Muhammad Ali Biography in Hindi – बॉक्सर मोहम्मद अली

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सवार हो जाए अगर सर पर कि कुछ पाना है

तो फिर क्या रह जाएगा इस दुनिया में जो हाथ नहीं आना है

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दोस्तों आज मैं बात करने जा रहा हूं बॉक्सिंग रिंग में दहशत के दूसरे नाम इस दुनिया के सबसे महानतम बॉक्सर द ग्रेटेस्ट एवर मोहम्मद अली की – Boxer Muhammad Ali Biography in Hindi – जिसके केवल नाम मात्र से विरोधियों के पसीने छूट जाते थे दोस्तों आप उनकी महानता का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि उन्होंने अपने लाइफ में प्रोफेशनल तौर पर कुल 61 सफाई टेलरिंग जिनमें से 56 मुकाबलों में उन्होंने शानदार जीत हासिल की और महज पांच बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा|

एक क्रांतिकारी समाज सेवक

लेकिन दोस्तों अली को सिर्फ बॉक्सिंग का बादशाह का ना उनके सम्मान को कम करने जैसा होगा क्योंकि बॉक्सिंग रिंग के बाहर करिश्मे ने अली को दुनिया की महानतम हस्तियों में शुमार किया है और पूरे विश्व में उन्हें एक अलग पहचान दी है अली बॉक्सिंग रिंग के बादशाह होने के साथ ही साथ एक क्रांतिकारी समाज सेवक भी थे जिन्होंने अमेरिका के अश्वेत लोगों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ जमकर आवाज उठाई थी तो चलिए दोस्तों बिना आपका समय खराब किए हम द ग्रेटेस्ट मोहम्मद अली को जरा करीब से जानते हैं और उनकी अद्भुत जीवन से कुछ प्रेरणादायक बातों को सीखने की कोशिश करते हैं|

मोहम्मद अली का जीवन परिचय

Boxer Muhammad Ali Biography in Hindi

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मोहम्मद अली का जन्म 17 जनवरी 1942 को अमेरिका के कैंटकि राज्य में लुइसविले नाम की जगह पर हुआ था | बचपन में उनका नाम कैसियस मार्सियस क्ले था लेकिन बाद में उन्होंने इस्लाम धर्म को अपनाते हुए अपना नाम बदलकर मोहम्मद अली रख लिया | जिसके बारे में मैं आपको इसी पोस्ट में आगे डिटेल में बताऊंगा |

नस्लीय भेदभाव का शिकार

दोस्तों अली को अपने  रंग की वजह से बचपन से नस्लीय भेदभाव का शिकार होना पड़ा था क्योंकि जब वह पैदा हुए थे उस समय नस्लभेद चरम पर था और सभी सुविधाओं का बंटवारा लोगों के काले या गोरे रंग के हिसाब से किया जाता था एक बार बचपन में एक दुकानदार ने अली को केवल उनकी रंग की वजह से पानी पीने से मना कर दिया था और यह बात उनके दिल को चोट कर गई उसी समय अली ने इस भेदभाव को खत्म करने का ठान लिया |

अली की बॉक्सिंग की शुरुआत

दोस्तों अली की बॉक्सिंग की शुरुआत भी एक बहुत ही इंटरेस्टिंग घटना से हुई हुआ कुछ यूं कि अली जब 12 साल के थे तब उनके पिता ने उन्हें एक साइकिल गिफ्ट की थी अली उसको बहुत पसंद करते थे और उसकी जी जान से देखभाल करते थे लेकिन दुर्भाग्य से उनकी उस साइकिल को किसी ने चुरा लिया जिस बात से उन्हें बहुत दुख हुआ लेकिन अली ने ठान लिया कि वह बिना किसी के सहायता से खुद ही चोर को पकड़ेंगे और उसको सजा देंगे इसी बात को मन में लिए अपने एक जान पहचान के पुलिस अंकल के पास गए और फिर साइकिल चोरी की बात बताते हुए चोर को पकड़ने का तरीका पूछा | इस बात का जवाब देते हुए अंकल ने कहा बेटा चोर को ऐसे ही थोड़ी ना पकड़ा जाता है चोर को पकड़ने और सजा देने के लिए तो बॉक्सिंग आनी बहुत जरूरी है इस बात को अली ने सीरियसली ले ली और तुरंत ही बॉक्सिंग सीखना शुरू कर दिया|

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बॉक्सिंग का जुनून

लेकिन समय बीतने के साथ ही साथ उनकी अंदर बॉक्सिंग का जैसे जुनून सा हो गया फिर क्या था 6 साल बाद 1960 रोम में ओलंपिक में दुनिया ने अली का असली रूप देखा जब उनका मुक्का गोल्ड पर जा लगा | उस समय अली की उम्र केवल 18 साल थी 1960 में रोम ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के साथ में वे अमेरिका के लोगों में बहुत ही पसंद किए जाने लगे लेकिन बॉक्सिंग में अली की असली चुनौती तो उनके 22 साल की उम्र में सामने आई जब विरोधियों पर बेदर्दी से हमला करने के लिए मशहूर बॉक्सर सनी लिस्ट से उनका मुकाबला होने को आया दोस्तों उस समय लिस्टन के सामने टिकने की कोई हिम्मत नहीं करता था लेकिन मोहम्मद अली ने लिस्टन  को हराकर वह मुकाबला अपने नाम कर लिया और उनकी इस जीत में बॉक्सिंग जगत में हाहाकार मचा दी थी हालांकि अभी कुछ लोग इसे केवल इत्तेफाक मान रहे थे लेकिन अली ने अगले साल एक बार फिर से सनी लिस्टन को रिंग  में पीटकर लोगों की बोलती बंद कर दी और अपने बादशाहत की तरफ एक और कदम बढ़ाया|

मोहम्मद अली के निजी जीवन में काफी उथल-पुथल मची रही

दोस्तों  6 फीट 3 इंच लंबे मोहम्मद अली जब मुकाबले के लिए रिंग में उतरते थे तो अपोजिशन के मुक्केबाजों की रूह कांप उठती थी लेकिन दोस्तों अश्वेत लोगों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने की वजह से मोहम्मद अली के निजी जीवन में काफी उथल-पुथल मची रही और फिर इन्हीं सभी समस्याओं से परेशान होकर अली ने इस्लाम धर्म अपना लिया और अपना नाम कैसियस मार्सियस क्ले से बदलकर मोहम्मद अली रख लिया अली अपने पुराने नाम को गुलामी की पहचान कहते थे लेकिन यहां से उनकी परेशानी कम नहीं हुई बल्कि और भी बढ़ गई |

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बॉक्सिंग लाइसेंस और पासपोर्ट को जप्त कर उन पर बैन लगा दिया गया और 5 साल की जेल की सजा सुनाई गई

वियतनाम युद्ध के समय अली ने अमेरिकी सेना के साथ जाने से मना कर दिया जिसकी वजह से उनकी सभी मेडल्स उनसे छीन लिए गए इसके अलावा बॉक्सिंग लाइसेंस और पासपोर्ट को भी जप्त कर उन पर बैन लगा दिया गया और 5 साल की जेल की सजा सुनाई गई लेकिन मोहम्मद अली का हौसला अभी भी पस्त नहीं हुआ उन्होंने अमेरिकी सरकार की कार्रवाई के खिलाफ लड़ाई लड़ी और आखिरकार कोर्ट ने उन पर लगे हुए आरोपों को सही नहीं मानते हुए फैसले को बदल दिया और उन पर लगाए गए सभी प्रतिबंधों को हटा दिया |

मोहम्मद अली ने 1971 में करीब 3 साल बाद फिर से रिंग में वापसी की लेकिन वह वापसी के बाद का पहला मुकाबला हार गए और इसी के साथ उनका कभी ना हारने का रिकॉर्ड टूट गया लेकिन अगली ही फाइट से अली फिर से जीत की राह पर लौटे और उसके बाद से कभी भी पीछे ना देखते हुए बॉक्सिंग में अपनी बादशाहत कायम की |

दुनिया का सबसे बड़ा हैवीवेट मुक्केबाज और पार्किंसन नाम की बीमारी

दोस्तों मोहम्मद अली को इतिहास में दुनिया का सबसे बड़ा हैवीवेट मुक्केबाज कहा जाता है उन्होंने तीन बार हैवीवेट चैंपियनशिप अपने नाम की है आखिरकार बॉक्सिंग के सभी रिकॉर्ड को तोड़ते हुए उन्होंने 1981 में अपने कैरियर की अंतिम फाइट लेडी और फिर 1984 में उन्हें पार्किंसन नाम की बीमारी हो गई जिस बीमारी की वजह से उनकी हाथ पैर के साथ ही साथ जुबान भी थरथर आने लगी लेकिन अली का संघर्ष आखिरी दिनों तक चलता रहा और वह दुनिया भर में शांति और दोस्ती की तरफ कदम बढ़ाते रहें|

2005 में उन्हें अमेरिका के सबसे बड़े अवॉर्ड प्रेसीडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम से सम्मानित किया गया

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पर्सनल लाइफ

दोस्तों अगर अली के पर्सनल लाइफ की बात की जाए तो उन्होंने चार शादियां की जिससे उनको कुल 9 बच्चे साथ बेटे और दो बेटियां हुई उन बच्चों में उनकी सबसे छोटी बेटी लैला अली भी बेहतरीन बॉक्सर रही है मोहम्मद अली ने अपने किसी भी फ्रेंड को ऑटोग्राफ देने से मना नहीं किया क्योंकि जब वह छोटे थे तो उन्होंने उस समय की फेमस बॉक्सर शुगर रे रॉबिंसन से ऑटोग्राफ मांगा था लेकिन रॉबिंसन ने उन्हें ऑटोग्राफ नहीं दिया था और टाइम ना होने का बहाना बनाते हुए आगे निकल गए रॉबिंसन के उस बात का अली को बहुत दुख हुआ था और वह नहीं चाहते थे कि उनके मना करने से उनके किसी फ्रेंड का दिल टूटे|

दुनिया को अलविदा कह दिया

आखिरकार शांति और दोस्ती की तरफ कदम बढ़ाते हुए हैवीवेट बॉक्सिंग के इस बादशाह ने 3 जून 2016 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया लेकिन दोस्तों बॉक्सिंग करने वाले आएंगे और चले जाएंगे लेकिन द  ग्रेटेस्ट एवर हमेशा एक ही रहेगा

दोस्तों मनुष्य अपने विचारों से बना होता है वह जैसा सोचता है

वैसा ही बन जाता है अपनी सोच हमेशा पॉजिटिव रखिए क्योंकि दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं

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जीत की खातिर बस जुनून चाहिए

जिसमे उबाल हो ऐसा खून चाहिए

यह आसमां भी आ जाएगा जमीन पर दोस्तों

बस हमारे इरादों में जीत की गूंज चाहिए

 

आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद| ( OSP )

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