Ramanujan Biography In Hindi श्रीनिवास रामानुजन् की जीवनी

Ramanujan Biography In Hindi

श्रीनिवास रामानुजन् की जीवनी

Ramanujan-Biography-In-Hindi
Ramanujan-Biography-In-Hindi
श्रीनिवास रामानुजन् का पूरा नाम श्री निवास अयंगर रामानुजन
श्रीनिवास रामानुजन् का जन्म 22 दिसंबर, 1887, इरोड गांव, मद्रास
श्रीनिवास रामानुजन् के पिता श्रीनिवास अय्यंगर
श्रीनिवास रामानुजन् की माता कोमलताम्मल
श्रीनिवास रामानुजन् की पत्नी जानकी
Ramanujan-Biography-In-Hindi
Ramanujan-Biography-In-Hindi
क्र. म. बिंदु जानकारी
1. उनपर आधारीत तमिल फ़िल्म ‘रामानुजन का जीवन’
2. हार्डी-रामानुजन नंबर 1729
3. श्रीनिवास रामानुजन् की जन्मतिथि 22 दिसंबर 1887
4. श्रीनिवास रामानुजन् का जन्मस्थान कोयंबतूर शहर
5. श्रीनिवास रामानुजन् का

व्यवसाय / काम / पेशा

गणितज्ञ
6. श्रीनिवास रामानुजन् का धर्म हिन्दू
7. श्रीनिवास रामानुजन् की मृत्यु 26 अप्रैल 1920
7. श्रीनिवास रामानुजन् की

मृत्यु का करण

क्षय रोग
Ramanujan-Biography-In-Hindi
Ramanujan-Biography-In-Hindi

श्रीनिवास रामानुजन के कुछ महत्वपूर्ण जानकारी व तथ्य

  • रामानुजन गरीब परीवार से सम्बन्ध रखते थे और अपने गणितों का परीणाम देखने के लिए वे पेपर की जगह कलमपट्टी का इस्तेमाल करते थे। शुद्ध गणित में उन्हें किसी प्रकार का प्रशिक्षण नही दिया गया था।
  • श्रीनिवास रामानुजन स्कूल में हमेशा ही अकेले रहते थे। उनके सहयोगी उन्हें कभी समझ नही पाए थे।
  • गणित में अपने लगाव के कारण अन्य दूसरे विषयो में वे फेल हो गए थे और गवर्नमेंट आर्ट कॉलेज में पढ़ने के लिए उन्हें अपनी शिष्यवृत्ति खोनी पड़ी थी|
  • रामानुजन ने कभी कोई कॉलेज डिग्री प्राप्त नही की। फिर भी उन्होंने गणित के काफी प्रचलित प्रमेयों को लिखा। लेकिन उनमे से कुछ को वे सिद्ध नही कर पाये।
  • इंग्लैंड में हुए एक विवाद में ( जातिवाद ) के रामानुजन गवाह बने थे।
  • 1729 नंबर हार्डी-रामानुजन नंबर के नाम से जाना जाता है। उनकी उपलब्धियों को देखते हुए ऐसा किया गया |
  • रामानुजन के जीवन पर 2014 में उनपर आधारीत तमिल फ़िल्म ‘रामानुजन का जीवन’ बनाई गई थी।
  • रामानुजन की 125 वीं एनिवर्सरी पर गूगल ने डूगल बनाकार उन्हें सम्मान अर्जित किया था।
  • उन्होंने गणित में बहुत से  तथ्यों को खोल कर रख दिया था और श्रीनिवास रामानुजन को गणित में दिए गए उनके महत्वपूर्ण योगदानों के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा।
Ramanujan-Biography-In-Hindi
Ramanujan-Biography-In-Hindi

Ramanujan Biography In Hindi

श्रीनिवास रामानुजन् की जीवनी

बेहतरीन मैथमेटिशियंस

आज हम बात करने जा रहे हैं उस मैथमेटिशियन के बारे में जिन्होंने खुद कभी यूनिवर्सिटी की शिक्षा पूरी नहीं की मगर उनके द्वारा दिए गए फार्मूले आज दुनिया भर की यूनिवर्सिटी में पढ़ाए जाते हैं यह जीवन परिचय श्रीनिवास रामानुजन जी के बारे में जिनके ज्ञान का लोहा उस समय के दुनिया के बेहतरीन मैथमेटिशियंस भी मानते थे इतना ही नहीं रॉयल सोसाइटी की फेलोशिप लेने वाले सबसे कम उम्र के साइंटिस्ट है तो चलिए दोस्तों इन के बारे में शुरू से जानते हैं|

मद्रास प्रेसिडेंसी

Ramanujan-Biography-In-Hindi
Ramanujan-Biography-In-Hindi

रामानुजन जी का जन्म 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के इरोड गांव में हुआ था जो उस समय मद्रास प्रेसिडेंसी का हिस्सा था उनके पिता के श्रीनिवास अयंगर साड़ी की दुकान में काम करते थे वैसे तो वह सभी सब्जेक्ट में अच्छे थे मगर मैथमेटिक्स में उनकी रुचि कितनी थी इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि सिर्फ 13 साल की उम्र में उन्होंने S.L. LONEY की एडवांस ट्रिग्नोमेट्री की बुक खुद से ही पूरी लगा ली थी और उसमें उन्होंने खुद के बनाए कई फॉर्मूले का इस्तेमाल किया था|

एग्जाम

उसके बाद उन्हें कई सारे एकेडमी के अवार्ड भी मिलने लगे वह अपने मैथमेटिक्स का एग्जाम आधे समय में ही खत्म कर लेते थे | सिर्फ 15 साल की उम्र से ही वह यूनिवर्सिटी में पढ़ाई जाने वाली मैथमेटिक्स की किताबें सॉल्व करते थे उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप भी मिली मगर वह मैथमेटिक्स में ही इतना ज्यादा ध्यान देते थे कि वह बाकी के सब्जेक्ट पढ़ते ही नहीं थे|

Ramanujan-Biography-In-Hindi
Ramanujan-Biography-In-Hindi

ऑपरेशन

इसके कारण फेलो ऑफ आर्ट्स के एग्जाम में फेल हो गए मगर मैथमेटिक्स में उनकी जबरदस्त पकड़ के कारण इंडिया के बड़े मैथमेटिशियंस के बीच उनकी पहचान बनने लगी शादी के बाद उन्हें एक बीमारी हुई जिसके लिए ऑपरेशन बहुत जरूरी था मगर उनके परिवार के पास पैसे नहीं थे एक डॉक्टर ने फ्री में उनका ऑपरेशन करने की पेशकश की जिसके बाद वह स्वस्थ हो गए|

Ramanujan-Biography-In-Hindi
Ramanujan-Biography-In-Hindi

रिवेन्यू डिपार्टमेंट

पैसों की कमी इतनी थी कि वह मद्रास में क्लर्क की नौकरी पाने के लिए बहुत हटके वह कॉलेज में पढ़ने वाले लड़कों को मैथमेटिक्स की ट्यूशन भी देते थे 1913 में उन्हें मद्रास यूनिवर्सिटी में नौकरी मिल गई इंडियन मैथमेटिकल सोसायटी के फाउंडर रामास्वामी अय्यर जो कि डिप्टी कलेक्टर भी थे उनसे एक बार वह रिवेन्यू डिपार्टमेंट में नौकरी पाने के लिए मिले अय्यर जी ने बाद में बताया था कि अपनी नोटबुक में उन्होंने मैथ्स में जो रिजल्ट्स निकाले थे उन्हें देखकर मैं दंग रह गया मैं नहीं चाहता था कि इतना बुद्धिमान लड़का रेवेन्यू डिपार्टमेंट में लो रंग की नौकरी करें|

9 पेज का पेपर

Ramanujan-Biography-In-Hindi
Ramanujan-Biography-In-Hindi

उन्होंने रामानुजन को अपने मैथमेटिशियन दोस्तों के पास भेजा धीरे-धीरे वह आगे बढ़ते गए और उन्होंने कई सारे रिसर्च पेपर लिखें उन्होंने अपने पेपर कई बड़ी यूनिवर्सिटीज को भी भेजें उसी समय के मैथमेटिशियन जीएच हार्डी ने उनके 9 पेज का पेपर देखकर कहा कि इन थ्योरम ने मुझे पूरी तरह हरा दिया  मैंने अपनी जिंदगी में ऐसा कुछ पहले नहीं देखा था|

समुद्र

उन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में रिसर्च करने के लिए बुलाया जाने लगा मगर उस समय की प्रथा थी कि अगर कोई भी हिंदू समुद्र पार करेगा तो वह अपनी जाति खो देगा इसलिए रामानुजन के परिवार के लोगों ने विदेश नहीं भेजना चाहते थे उन्हें यह भी डर था कि कहीं उनसे धर्म परिवर्तन के लिए ना कहा जाए शुरू में तो रामानुजन ने भी इनकार किया और जब उन्हें तसल्ली हो गई कि उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए नहीं कहा जाएगा और वह वहां शाकाहारी भोजन कर सकते हैं तो वह इंग्लैंड चले गए|

कैंब्रिज

Ramanujan-Biography-In-Hindi
Ramanujan-Biography-In-Hindi

रामानुजन ने अपने जीवन के लगभग 5 साल कैंब्रिज में बिताए 1917 में उन्हें लंदन मैथमेटिकल सोसायटी का मेंबर चुना गया 1918 में उन्हें फेलो ऑफ़ सोसाइटी के लिए भी चुन लिया गया 1918 में एक प्रतिस्पर्धा में चुने जाने वाले वह पहले भारतीय थे|

मांसाहारी भोजन

वह अक्सर बीमार रहा करते थे वह प्योर वेजीटेरियन थे जब वह इंग्लैंड गए तो उन्हें शाकाहारी खाना खाने में बहुत दिक्कत होती थी वह अलग बर्तन में ही खाना बनाना पसंद करते थे क्योंकि वह उस बर्तन में बना खाना नहीं खाना चाहते थे जिसमें कभी मांसाहारी भोजन बना हो इंग्लैंड में उन्हीं ट्यूबरक्लोसिस और विटामिंस की कमी की शिकायत हो गई|

मृत्यु

Ramanujan-Biography-In-Hindi
Ramanujan-Biography-In-Hindi

1919 में वह तमिलनाडु वापस आए और 1920 में सिर्फ 32 वर्ष की एज में उनकी मृत्यु हो गई गुलाम भारत में उन्हें उनकी सफलता का उचित सम्मान भी ना मिल सका और उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी को जीवन यापन के लिए सिलाई का काम करना पड़ा 1950 में उन्होंने एक लड़के को गोद लिया जो पढ़ लिखकर एसबीआई में ऑफिसर बने और घर चलाएं हालांकि बाद में उनकी पत्नी को पेंशन की भी सुविधा मिली|

ख्याति

Ramanujan-Biography-In-Hindi
Ramanujan-Biography-In-Hindi

जिस साइंटिस्ट को दुनिया में इज्जत मिली उन्हें हमारे देश में ही उतनी ख्याति ना मिल सकी जो मिलनी चाहिए थी यह हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है मैथमेटिक्स में उनके योगदान के लिए दुनिया उन्हें हमेशा याद रखेगी|

दोस्तों आपको यह पोस्ट कैसी लगी कमेंट करके हमें बताएं, धन्यवाद ( OSP )

NEXT

Kailash Satyarthi Biography in Hindi कैलाश सत्यार्थी की जीवनी

Leave a Comment

Share via
Copy link
Powered by Social Snap