Nelson Mandela Biography in Hindi
नेल्सन मंडेला की जीवनी
“नेल्सन मंडेला का जीवन परिचय” |
|
---|---|
नेल्सन मंडेला
की जन्मतिथि |
18 जुलाई 1918 |
नेल्सन मंडेला का
जन्मस्थान |
Mvezo, Cape Province,
Union of South Africa (now Eastern Cape) |
नेल्सन मंडेला का
उपनाम |
|
व्यक्तिगत जीवन |
|
नेल्सन मंडेला कितने
अवार्ड से सम्मानित है |
250 + |
मृत्यु की तारीख | 5 दिसंबर 2013 |
मृत्यु के समय उनकी उम्र | 95 वर्ष |
भारतीय रत्न से सम्मानित | 1990 में |
Nishan-e-Pakistan
से सम्मानित |
1992 में |
नेल्सन मंडेला का नाम |
रोलिहलाहला मंडेला
|
नेल्सन मंडेला की मृत्यु | 5 December 2013 (aged 95) Johannesburg, Gauteng,Republic of South Africa |
नेल्सन मंडेला का
Resting place |
Mandela Graveyard Qunu, Eastern Cape, South Africa |
नेल्सन मंडेला की
राजनितिक पार्टी |
अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस |
नेल्सन मंडेला के
अन्य राजनीतिक |
दक्षिण अफ्रीकी कम्युनिस्ट |
नेल्सन मंडेला की
पत्निया |
|
नेल्सन मंडेला के
बच्चे |
7, including Makgatho, Makaziwe, Zenani,
Zindziswa, and Josina (step-daughter) |
नेल्सन मंडेला के
माता पिता |
माता – नोसेकेनी फैनी |
Alma mater |
|
नेल्सन मंडेला का व्यवसाय
/ काम |
|
नेल्सन मंडेला
जाने जाते है |
रंगभेद का आंतरिक
प्रतिरोध के लिए |
नेल्सन मंडेला के
पुरूस्कार व सम्मान |
|
लेखन करियर |
|
नेल्सन मंडेला के
उल्लेखनीय कार्य |
आज़ादी की लंबी यात्रा |
नेल्सन मंडेला के कुछ रोचक तथ्य, जानकारियाँ, आदेश, सजावट, स्मारक, और पुरस्कार
Main article: List of awards and honours bestowed upon Nelson Mandela
- मंडेला ने अपने जीवन के दौरान अपनी राजनीतिक उपलब्धियों की सराहना करते हुए लगभग 250 सम्मान, सम्मान, पुरस्कार, मानद डिग्री और नागरिकता प्राप्त की।
- नोबेल शांति पुरस्कार उनके कई सम्मानों में से एक था।
- संयुक्त राज्य अमेरिका की स्वतंत्रता का राष्ट्रपति पदक
- सोवियत संघ का लेनिन शांति पुरस्कार
- लीबिया अल-गद्दाफ़ी अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार पुरस्कार
- 1990 में, भारत ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया।
- पाकिस्तान ने उन्हें 1992 में निशान-ए-पाकिस्तान दिया था।
- उसी वर्ष, तुर्की ने उन्हें अतातुर्क शांति पदक प्रदान किया; उन्होंने शुरू में इस पुरस्कार को अस्वीकार कर दिया, उस समय तुर्की द्वारा किए गए मानवाधिकारों के अत्याचारों का आरोप लगाया, लेकिन अंततः 1999 में इसे स्वीकार कर लिया।
- उन्हें इसाबेला कैथोलिक ऑर्डर का सदस्य बनाया गया था।
- वह कनाडा के मानद नागरिक नामित होने वाले पहले जीवित व्यक्ति थे और उन्हें ऑर्डर ऑफ कनाडा से सम्मानित किया गया था।
- उन्हें महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा ऑर्डर ऑफ सेंट जॉन का बेलीफ ग्रैंड क्रॉस और ऑर्डर ऑफ मेरिट का सदस्य बनाया गया था।
- मंडेला को 2004 में जोहान्सबर्ग शहर की स्वतंत्रता से सम्मानित किया गया था।
- 2008 में, नेल्सन मंडेला की एक प्रतिमा का अनावरण जेल से उनकी मुक्ति के स्थल पर किया गया था।
- 2013 में सुलह के दिन प्रिटोरिया की यूनियन बिल्डिंग में नेल्सन मंडेला की कांस्य प्रतिमा स्थापित की गई थी।
- रंगभेद विरोधी अभियान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का सम्मान करते हुए नवंबर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मंडेला के जन्मदिन, 18 जुलाई को “मंडेला दिवस” घोषित किया गया था। इसने लोगों को आंदोलन के सदस्य के रूप में मंडेला के 67 वर्षों के सम्मान में दूसरों के लिए कुछ करने के लिए 67 मिनट समर्पित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
- नेल्सन मंडेला की स्मृति का सम्मान करने के लिए, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2015 में कैदियों के उपचार के लिए संशोधित मानक न्यूनतम नियमों का नाम बदलकर “मंडेला नियम” कर दिया।
Nelson Mandela Biography in Hindi
नेल्सन मंडेला की जीवनी
“हम सब मिलकर अपने आप से एक कसम खाते हैं
कि हम अपने सभी लोगों को गरीबी अभाव कष्ट
और किसी भी तरह के भेदभाव के बंधन से आजाद करेंगे”
ब्लैक
दोस्तों अपने और अपने परिवार की खुशी के लिए तो सभी जीते हैं मगर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके लिए समाज की भलाई ही उनकी जिंदगी का मकसद बन जाती है इस पोस्ट में आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जिन्होंने अफ्रीका के उन लोगों के लिए अपना पूरा जीवन अर्पित कर दिया जिन्हें ब्लैक कह कर बुलाया जाता था और समाज में कभी भी बराबर का दर्जा नहीं दिया जाता था|
27 साल जेल में
हालांकि इसके लिए उन्होंने कोई छोटी कीमत नहीं चुकाई अपनी जिंदगी का 27 साल का समय उन्होंने जेल में बिता दिया इसलिए नहीं कि उन्होंने कोई जुर्म किया था बल्कि इसलिए क्योंकि उनकी रिहाई के लिए जो शर्त सरकार ने रखी थी वह उन्हें मंजूर नहीं थी इसलिए|
संपन्न परिवार
क्योंकि वह जानते थे कि अगर वह ऐसा करते तो देश के बहुत से लोगों को दबाने का मौका सरकार को फिर से मिल जाता वह चाहते तो बड़े आराम की जिंदगी जी सकते थे क्योंकि वह खुद बहुत संपन्न परिवार से थे मगर उन्होंने समाज के हितों के लिए निस्वार्थ रूप से लड़ाई लड़ी यह कहानी है|
ब्लैक राष्ट्रपति
नेलसन मंडेला के संघर्षों की जो 76 साल की उम्र में साउथ अफ्रीका के पहले ब्लैक राष्ट्रपति बने थे अफ्रीका भी इंडिया की ही तरह गुलाम देश था जिसके गांधी थे नेल्सन मंडेला दोस्तों नेल्सन मंडेला का पूरा नाम था नेलसन रोलिहलहला मंडेला 18 जुलाई 1918 को साउथ अफ्रीका के केप प्रोविंस के एक राज परिवार में हुआ था|
लॉ की पढ़ाई
उनको नेल्सन नाम उनके टीचर ने दिया था जब वह सिर्फ 9 साल के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई बचपन में उन्हें लगता था कि यह जो शासक अफ्रीका पर रूल कर रहे हैं वह अफ्रिका की भलाई के लिए ही हैं 1939 में उन्होंने University of Fort Hare में बीए की डिग्री लेने के लिए एडमिशन लिया | जिसके बाद उन्होंने लॉ की पढ़ाई के लिए University of the Witwatersrand में एडमिशन लिया जहां वह सिर्फ एक ही ब्लैक अफ्रीकन स्टूडेंट थे|
भेदभाव
वहां पर पहली बार उनका सामना नस्लभेद से हुआ | मंडेला को यह एहसास होने लगा था कि आप अफ्रिकंस को यह लोग बहुत नीचा समझते हैं और सरकार इनसे हर जगह भेदभाव करती हैं उन्होंने एनसी यानी अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ज्वाइन कर लिया उन्हें लग रहा था कि आजादी की लड़ाई के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए युवा लोगों को साथ में लेना बहुत जरूरी है वह कुछ लोगों के साथ मिलकर ANC के प्रेसिडेंट से मिले और अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग यानी एनसीएल का गठन हुआ |
राजनीति
लेबरडे उसके प्रेसिडेंट बने वहां पर आम चुनाव में सिर्फ गौरव को ही वोट डालने की इजाजत थी वेलसन मंडेला ने बहिष्कार और हड़ताल करके गोरो के खिलाफ डायरेक्ट एक्शन लेने की बात कही इसकी प्रेरणा उन्हें अफ्रीका में मौजूद भारतीय लोगों से मिली थी क्योंकि वह लोग वहां पर पहले से ही यह सब कर रहे थे | पूरा समय राजनीति में देने के कारण मंडेला लॉ की पढ़ाई में 3 साल फेल हो गए और 1949 में यूनिवर्सिटी ने उन्हें निकाल दिया|
सरकार के खिलाफ
1950 में उन्हें एमसीवाईएल का प्रेसिडेंट चुना गया 1952 में उन्होंने भारतीय ग्रुप और कम्युनिस्ट के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ डिफेंस कैंपेन यानी उनकी कोई भी आज्ञा ना मानने और उनका कोई भी काम ना करने का आंदोलन छेड़ा इसे पूरी तरह से अहिंसा का पालन करते हुए महात्मा गांधी के तरीकों पर किया जाने का प्लान बना उन्होंने 10000 लोगों की भीड़ को इसके लिए प्रेरित किया इसका असर इतना हुआ कि एनसी की सदस्यता 20,000 से बढ़कर एक लाख तक पहुंच गई|
आंदोलन
नेलसन मंडेला को गिरफ्तार कर लिया गया सरकार ने ऐसे आंदोलन को रोकने के लिए पब्लिक सेफ्टी बिल पास किया ताकि मार्शल लॉ लगाकर कभी भी कोई भी कदम उठाया जा सके मंडेला की गिरफ्तारी से शुरू हुए और भी विद्रोह होते सरकार को लगने लगा था कि अब नेलसन मंडेला को हल्के में नहीं लिया जा सकता | मंडेला को कुछ समय के बाद रिहा कर दिया गया मगर 6 महीने तक उन्हें किसी भी मीटिंग में जाने की एक से ज्यादा लोगों से एक बार में मिलने की इजाजत नहीं थी उसके बाद उन्होंने वकालत शुरु कर दी जिसका मूल लक्ष्य था गोरो के द्वारा प्रताड़ित अफ्रिकंस की मदद करना|
विद्रोह
1955 में, 10 वर्ग में एक जगह से सभी ब्लैक लोगों को जबरदस्ती जगह छोड़कर कहीं और जाकर रहने पर मजबूर कर दिया गया इसके लिए किया गया सारा विद्रोह विफल रहा तब मंडेला को लगा कि सरकार के खिलाफ सिर्फ अहिंसात्मक विद्रोह से काम नहीं चलेगा और अब कड़ा कदम उठाना जरूरी है नेलसन मंडेला की सारी मीटिंग पर प्रतिबंध लगा दिया जाता था और फिर 1956 में ANC के कई बड़े नेताओं को देशद्रोह के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया|
मुकदमे
1962 में उन्हें फिर से रेस्ट कर लिया गया नेलसन मंडेला ने अपने ऊपर चल रहे मुकदमे में कोई गवाह पेश नहीं किया और हर सत्र में राजनीतिक विचारों के बारे में बात करने लगे वह चाहते थे कि इस केस के माध्यम से एनसी की विचारधारा सभी लोगों तक पहुंचे ठीक उसी तरह जैसे भगत सिंह ने किया था इसके बाद उन्हें लगभग 27 साल जेल में रहना पड़ा जेल में उन्हें सबसे निम्न दर्जे का कैदी बनाया गया था दीवारों से घिरे हुए उनके पास सोने के लिए एक चटाई के अलावा कुछ भी नहीं था|
आंखों की रोशनी
दिन में वह अन्य कैदियों के साथ चूने की खदान में काम करते थे मगर अन्य कैदियों की तरह उन्हें चश्मा नहीं दिया गया था | काम करते-करते उनकी आंखों की रोशनी बहुत ज्यादा कमजोर हो गई कई बार उन्हें सरकार ने अपनी शर्तों पर रिहा करने का ऑफर दिया मगर मंडेला ने हर बार मना कर दिया 1994 में नेल्सन मंडेला का सपना पूरा हुआ और कई दशक के विद्रोह के बाद मूल अफ्रिकंस को भी वोट देने का अधिकार मिला|
नोबेल शांति पुरस्कार
नेल्सन मंडेला अफ्रीका के पहले ब्लॉक प्रेसिडेंट बने उसके बाद उन्होंने साउथ अफ्रीका को एक बेहतर देश बनाने के लिए बहुत से काम किए 1999 में उन्होंने राजनीति छोड़ दी और लगभग 5 साल तक सामाजिक कामों में लगे रहे 5 दिसंबर 2013 को 95 साल की उम्र में लंबे समय तक सांस की बीमारी से जूझने के बाद उनकी मृत्यु हो गई साउथ अफ्रीका में उनके कामों के लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया लोगों ने वहां पर फादर ऑफ द नेशन भी मानते हैं आपको यह पोस्ट कैसी लगी कमेंट करके हमें बताएं|
धन्यवाद | ( OSP )