Kailash Satyarthi Biography in Hindi
कैलाश सत्यार्थी की जीवनी
कैलाश सत्यार्थी का पूरा नाम | कैलाश सत्यार्थी |
कैलाश सत्यार्थी का जन्म | 11 जनवरी, 1954,
विदिशा, मध्यप्रदेश में |
कैलाश सत्यार्थी की शिक्षा | इंजीनियरिंग |
कैलाश सत्यार्थी का काम / पेशा | सामाजिक कार्यकर्ता |
कैलाश सत्यार्थी को पुरस्कार
( मुख्य पुरूस्कार ) |
नोबेल शांति पुरस्कार
(2014 में ) |
कैलाश सत्यार्थी की उपलब्धियां व पुरस्कार
कैलाश सत्यार्थी को बच्चों की दुनिया को बेहतर बनाने के लिए किए गए कामों के लिए पूरी दुनिया में कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए हैं. दुनिया के कई देशों के प्रतिष्ठित पुरस्कार से उन्हें नवाजा जा चुका है जिसमें हाल ही में मिला नोबेल तक शामिल है. उनमें से प्रमुख हैं-
क्र.म. | पुरस्कार / अवार्ड | वर्ष | देश |
1. | ह्युमेनीटेरियन पुरस्कार | 2015 | हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा |
2. | नॉबेल शांति पुरस्कार | 2014 | भारत |
3. | लोकतंत्र के रक्षक पुरस्कार (डिफेंडर्स ऑफ़ डेमोक्रेसी अवार्ड) | 2009 | संयुक्त राज्य अमेरिका |
4. | अलफोंसो कोमिन अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार | 2008 | स्पेन |
5. | इटेलियन सीनेट का स्वर्ण पदक | 2007 | इटली |
6. | आधुनिक दासता को समाप्त करने के लिए कार्यरत नायक पुरस्कार | 2007 | अमेरिका |
7. | फ्रीडम पुरस्कार | 2006 | यूनाइटेड स्टेट्स |
8. | बाल श्रम के खिलाफ आवाज उठाने के लिए वेलनबर्ग मेडल | 2002 | यूनिवर्सिटी आॅफ मिशीगन द्वारा |
9. | फ्रेडरिक ईबर्ट स्टिफटंग अवार्ड | 1999 | जर्मनी |
10. | ला हॉस्पिटल अवार्ड | 1999 | स्पेन |
11. | दी गोल्डन फ्लैग अवार्ड | 1998 | नीदरलैण्ड |
12. | रॉबर्ट एफ. कैनेडी मानवाधिकार पुरस्कार | 1995 | संयुक्त राज्य अमेरिका |
13. | द ट्रम्पेटर अवार्ड | 1995 | संयुक्त राज्य अमेरिका |
14. | द आचनेर अन्तर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार | 1994 | जर्मनी |
15. | निर्वाचित अशोका फ़ेलो | 1993 | यूनाइटेड स्टेट्स |
कैलाश सत्यार्थी के कुछ अनमोल वचन
- कैलाश सत्यार्थी द्वारा कहे गए शब्द – भारत में सैकड़ों समस्यायें और लाखों समाधान हैं|
- कैलाश सत्यार्थी द्वारा कहे गए शब्द – बहुत से काम अभी भी बने हुए हैं, लेकिन मैं अपने जीवनकाल में बाल मजदूरी का अंत देखूँगा|
- कैलाश सत्यार्थी द्वारा कहे गए शब्द – मेरी जिन्दगी का केवल एक उद्देश्य है कि हर बच्चा – एक बच्चा होने के लिए स्वतंत्र हो, बढने और विकसित होने के लिए स्वतंत्र हो, खाने सोने दिन का प्रकाश के लिए स्वतंत्र हो, हँसने और रोने के लिए स्वतंत्र हो, खेलने के लिए स्वतन्त्र हो, सीखने के लिए, स्कूल जाने के लिए और सबसे जरूरी सपने देखने के लिए स्वतंत्र हों|
- कैलाश सत्यार्थी द्वारा कहे गए शब्द – मैं यह स्वीकार करने से इंकार करता हूँ कि स्वतंत्रता की तलाश से गुलामी का बंधन कभी भी मजबूत हो सकता है|
- कैलाश सत्यार्थी द्वारा कहे गए शब्द – हमारे बच्चों के सपनों को इंकार करने की तुलना में कोई बड़ी हिंसा नहीं है|
- कैलाश सत्यार्थी द्वारा कहे गए शब्द – हम वयस्क हैं हमारी नीतियाँ और हमारे शासन का तरीका गरीबी के लिए जिम्मेदार है न कि बच्चे|
- कैलाश सत्यार्थी द्वारा कहे गए शब्द – अभी नहीं तो कभी नहीं? आगर आप नहीं तो कौन? अगर हम इन बुनियादी सवालों के जवाब देने में सक्षम हैं, तो शायद हम मानव दासता के दाग को मिटा सकते हैं|
- कैलाश सत्यार्थी द्वारा कहे गए शब्द – शिक्षा के निजीकरण के कारण इक्विटी से समझौता किया गया है.शिक्षा एक वस्तु बन गई है. जो लोग इसे खरीदने के लिए खरीद सकते हैं, इसे खरीदते हैं, और जो इसे बेच सकते हैं, उसमे से पैसा कमाते हैं|
- कैलाश सत्यार्थी द्वारा कहे गए शब्द – बाल श्रम गरीबी, बेरोजगारी, निरक्षरता, जनसंख्या वृद्धि और अन्य सामाजिक समस्याओं को सशक्त बनाते हैं|
- कैलाश सत्यार्थी द्वारा कहे गए शब्द – पिछले कुछ वर्षों के दौरान उत्तर पूर्व भारत बाल तस्करी के लिए सबसे बड़े स्थलों में से एक के रूप में उभरा है|
- कैलाश सत्यार्थी द्वारा कहे गए शब्द – मैं वास्तव में सम्मानित हूँ, लेकिन अगर पुरस्कार मेरे सामने महात्मा गाँधी के पास गया होता तो मैं अधिक सम्मानित होता|
- कैलाश सत्यार्थी द्वारा कहे गए शब्द – मैं इसे सभी के रूप में परिक्षण के बारे में सोचता हूँ. यह एक नैतिक परीक्षा है, जिसे किसी को ऐसे सामाजिक बुराइयों के खिलाफ खड़े होने के लिए पारित करना होगा|
Kailash Satyarthi Biography in Hindi
कैलाश सत्यार्थी की जीवनी
“मेरी जीवन का सिर्फ एक ही लक्ष्य है कि
हर बच्चा बच्चा रहने के लिए आजाद हो
बड़ा और विकसित होने के लिए आजाद हो
खाने के लिए
सोने के लिए
दिन के उजाले देखने के लिए
हंसने और रोने के लिए
खेलने और सीखने के लिए
स्कूल जाने के लिए
और खास तौर पर सपने देखने के लिए आजाद हो”
आज हम बात करने जा रहे हैं नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाले दूसरे भारतीय कैलाश सत्यार्थी जी के बारे में इससे पहले मदर टेरेसा जी को भी नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है|
बाल मजदूरी के खिलाफ
कैलाश सत्यार्थी जी का जीवन हम सभी के लिए एक मिसाल है क्योंकि उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर हजारों मासूमों की आंखों को सपने देखने की आजादी दिलाने को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया उन्होंने मुख्य रूप से बाल मजदूरी के खिलाफ संघर्ष किया है और साथ ही साथ बच्चों को बेच देने जैसे कई अपराध के खिलाफ आवाज भी उठाई है
जिसे चाइल्ड ट्रैफिकिंग या बाल तस्करी भी कहा जाता है
वैसे तो हम मीडिया में अक्सर नेगेटिव खबरें सुनते हैं मगर हमें ऐसे लोगों के बारे में भी जरूर जाना चाहिए और बात करनी चाहिए जिससे कि हमारे देश के युवाओं और बच्चों को सही रोल मॉडल मिले जिनके बारे में जानकर उनके जैसा बनने की कोशिश करें और अच्छे काम करने वालों का उत्साह बढ़ाया जा सके तो चलिए दोस्तों के बारे में शुरू से जानते हैं|
आंदोलन
दोस्तों कैलाश सत्यार्थी जी का असली नाम कैलाश शर्मा है उनका जन्म मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में हुआ उनके शहर में जाति व्यवस्था का विरोध करने के लिए एक आंदोलन हुआ था और बहुत सारे अपर कास्ट के लोगों ने उन लोगों के हाथ का बनाया खाना खाया था जिन्हें लोग अछूत मानते थे खाना खाने वालों में यह भी शामिल थे|
चरण धोकर पानी पीने को कहा
हालांकि वह आंदोलन बहुत सफल नहीं हो पाया था और जब वह घर वापस आए तो उन्हें कुछ लोगों ने धमकी दी कि अगर वह गंगा नहा कर अपने आप को शुद्ध नहीं करेंगे तो उन्हें बिरादरी से बाहर कर दिया जाएगा उनसे 101 पंडितों को खाना खिला कर उनके चरण धोकर पानी पीने को कहा गया जिससे उन्होंने साफ इनकार कर दिया उनके खाने के बर्तन अलग कर दिए गए और उन्हें अपनों के ही बीच में पराए की जिंदगी जीने पर मजबूर होना पड़ा|
सरनेम
वे इस जाति व्यवस्था के बिलकुल खिलाफ है क्योंकि लोगों के सरनेम से उनकी जाति का पता चलता है उन्होंने अपना सरनेम बदलकर सत्यार्थी रख लिया जिसका अर्थ है सत्य की खोज करने वाला उनके बचपन की एक और घटना उनके जीवन के लिए महत्वपूर्ण रही है|
एक लड़का अपने पिता के साथ मोची का काम कर रहा था
जब वह स्कूल में थे उस समय स्कूल के ठीक बाहर उन्हीं की उम्र का एक लड़का अपने पिता के साथ मोची का काम कर रहा था जब उन्होंने अपने हेड मास्टर से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि मोची बहुत गरीब है इसलिए उनका लड़का स्कूल में पढ़ाई नहीं कर सकता हेड मास्टर के भी जवाब से जब वह संतुष्ट नहीं हुए तो वह मोची के पास जाकर पूछे कि उनका लड़का पढ़ाई छोड़कर मोची का काम क्यों कर रहा है तब मोची ने कहा कि कुछ बच्चे काम करने के लिए ही पैदा होते हैं तब सत्यार्थी जी को लगा कि आखिर ऐसा क्यों होता है कि कुछ बच्चों को अपनी आजादी अपना बचपन और अपने सपने छोड़ कर काम करना पड़ता है सिर्फ इसलिए क्योंकि वह गरीब घर में पैदा हुए|
लेक्चरर
सत्यार्थी जी ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ साल तक भोपाल के कॉलेज में लेक्चरर का काम किया 90 में 26 साल की उम्र में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और हर बच्चे के सपनों को पूरा करने की कोशिश को ही अपना सपना बना लिया उन्होंने|
नया जीवन
उसी साल बचपन बचाओ आंदोलन का गठन किया इस आंदोलन के जरिए ऐसे बच्चों का पता लगाया जाता है जो बहुत बुरी हालत में है और उन्हें आजाद करके उन्हें नया जीवन देने की कोशिश की जाती है इस कोशिश के कारण अब तक रितिक से ज्यादा बाल मजदूरी और बाल तस्करी के शिकार बच्चों को बचा कर उन्हें बेहतर जीवन दिया गया है वो कई सारे ग्लोबल समाजसेवी संस्थाओं के मेंबर हैं|
बाल मजदूरी
1998 में उन्होंने बाल मजदूरी के खिलाफ विश्व स्तरीय यात्रा निकाली थी जिसमें 103 देशों में कुल मिलाकर 80000 किलोमीटर की यात्रा की गई थी उनकी मांग थी कई प्रकार के बाल मजदूरी के खिलाफ नियम बनाने की उनकी सभी मांगों को इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन यानी अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन के द्वारा स्वीकार कर लिया गया उन्होंने 11 सितंबर 2017 को कन्याकुमारी से भारत यात्रा शुरू की जो 35 दिन तक 4 राज्यों से होते हुए 12000 किलोमीटर चली इस यात्रा में 10 लाख लोगों ने हिस्सा लिया|
परिवार को धमकाया
इस यात्रा का लक्ष्य भारत में बच्चों से जुड़ी दो बड़ी समस्याओं के खिलाफ जागरूकता फैलाना था पहला बच्चों का यौन शोषण और दूसरा बच्चों की तस्करी उनका यह रास्ता बिल्कुल भी आसान नहीं रहा और कई बार उन्हें और उनके परिवार को धमकाया भी गया यहां तक कि एक बार उन्हें और उनके बेटे दोनों को घायल अवस्था में छोड़ दिया गया था और उनकी बेटी को धमकियां दी जा रही थी मगर वह बिना डरे अपना काम करते रहे|
प्रतिज्ञा: सामाजिक बदलाव का
उन्होंने एक इंटरव्यू में बोला कि अगर एक बच्ची की जिंदगी को बचाने के बदले उनकी जान भी चली जाए तो उन्हें कोई परवाह नहीं है उनकी इन्हीं प्रयासों के लिए उन्हें दुनिया भर में जाना जाता है और कई देशों ने उन्हें पुरस्कारों से सम्मानित भी किया है एक इंसान यदि दृढ़ प्रतिज्ञा कर ले तो कितना बड़ा सामाजिक बदलाव ला सकता है इस बात का सजीव उदाहरण है कैलाश सत्यार्थी जी जिनकी वजह से आज लाखों बच्चे बेहतर जिंदगी जी रहे हैं|
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