जीवन में सही अर्थ कैसे पाए | Jivan me Sahi Arth Kaise Paye

जीवन में सही अर्थ कैसे पाए | Jivan Me Sahi Arth Kaise Paye

जीवन में सही अर्थ कैसे पाए | Jivan me Sahi Arth Kaise Paye in Hindi

1940 में होलोकॉस्ट के समय विक्टर फ्रैंकल ने कई साल कंसंट्रेशन सप्तम में कई साल एक कैदी की तरह कांटे और उनके मां बाप भाई और पत्नी को जान से मार दिया गया था उन्हें बाकी यहूदी कैदियों ( jews prisioners ) के साथ काफी गंदी हालत में रखा जाता था उन्हें ज्यादा कुछ खाने के लिए भी नहीं मिलता था और उनके आसपास हर समय मौत मंडरा रही होती थी कभी लोग खाने की कमी से मर जाते थे और कई बार जहरीली गैस की वजह से और जहां ज्यादातर कह दी कुछ दिनों के बाद ही हिम्मत हार कर अपनी लाइफ में आशा और मीनिंग ( जीवन का अर्थ ) खो देते थे वही विक्टर फ्रैंकल के लिए तो हर मूवमेंट की मीनिंग से भरा था यह इसलिए क्योंकि वह एक न्यूरोलॉजिस्ट और साइकेट्रिस्ट है जिसकी वजह से उनके लिए हर नया दिन काफी इंटरेस्टिंग होता था क्योंकि उन्हें हर तरह के लोगों का बिहेवियर देखने को मिलता था विक्टर ने बुक में बताया है कि उनकी तरह ही जो लोग इतनी पीड़ा झेलने में भी आशा  और मीनिंग नहीं खो रहे थे उनका लाइफ को देखने का नजरिया कुछ ऐसा था कि वह उस सिचुएशन ( हालात ) को एक चैलेंज की तरह देख रहे थे जिसे उन्हें नियंत्रित करना था | कंसंट्रेशन कैंप में हर परिस्थितियों कैदियों से हार मनवाने के लिए काफी थी हर इंसान से उसके सारे सपने और हिम्मत छीन ली जाती थी और जो चीज उनके पास बची थी वह है हर इंसान की चुन ने की ताकत – की कि वह इस सिचुएशन(  हालत ) पर कैसे रिएक्ट करता है| osp

जीवन में सही अर्थ कैसे पाए | Jivan Me Sahi Arth Kaise Paye
जीवन में सही अर्थ कैसे पाए | Jivan Me Sahi Arth Kaise Paye

इस फ्रीडम की बात ancient philosophers twigs और modern extensions philosophers ने भी करी है और existentialism लिए उनका तो सेंट्रल थीम भी यही बोलता है कि जीने का मतलब है सफर ( भुगतना ) करना और सफरिंग में डटे रहने का मतलब है अपनी सफरिंग में मीनिंग ढूंढना | अगर लाइफ में कोई परपस है तो हमारे मरने और सफर करने में भी कोई परपस जरूर होगा पर कोई भी एक इंसान दूसरे इंसान को यह नहीं बता सकता कि यह परपस ( उद्देश्य ) क्या है क्योंकि हर इंसान की लाइफ का परपस ( उद्देश्य ) अलग होता है उसका काम है इस परपस ( उद्देश्य ) को ढूंढना और इससे जुड़ी रिस्पांसिबिलिटी ( जिम्मेदारियों ) को उठाना – बुक में बताया गया है की –

यह मैटर नहीं करता कि हम लाइफ से क्या एक्सपेक्ट करते हैं बल्कि असली सवाल तो यह है कि लाइफ हमारे से क्या एक्सपेक्ट करती है

अपने आप से लाइफ का मीनिंग पूछने के बजाय अपनी सिचुएशन को ऐसे देखो की-

लाइफ हर मिनट और हर घंटे आपसे पूछ रही है कि आप दुनिया में क्या कॉन्ट्रिब्यूशन देना चाहते हो

विक्टर फ्रैंकल के हिसाब से जीने का असली मतलब है जिंदगी की प्रॉब्लम्स के सही जवाब ढूंढने की रिस्पांसिबिलिटी लेना और इन जवाबों को ढूंढने के रास्ते में रखी गई रुकावट को पार करना यानी अपनी लाइफ में एक लोड उठाना या फिर किसी चीज के लिए जिम्मेदार बनना बहुत जरूरी है|

विक्टर फ्रैंकल ने जर्मन फिलोसोफर फ्राइड्रिक नीचा को कोट करते हुए बोला है कि

He who has a why to Live, can Bear with almost anyhow

यानी जिस इंसान की लाइफ में कोई मीनिंग और रिस्पांसिबिलिटी है वह जिंदगी की हर मुश्किल को झेल सकता है यहाँ तक कि वह अपने साइकाइट्रिक वर्क के दौरान भी  फ्रैंकल ने अपने कई मरीजो में देखा कि उनकी लाइफ में मीनिंग कितना जरूरी था उन्होंने ध्यान दिया और पाया कि जिन पेशेंट के पास कोई मीनिंग नहीं था उन्हें आसानी से चीजों की लत लग जाती थी उन्हें गुस्से की प्रॉब्लम थी और उन में डिप्रेशन की ज्यादा था इसके साथ ही फ्रैंकल ने यह भी बताया है कि

मीनिंग एक आरामदायक लाइफ सक्सेस और पैसे से रिलेटेड नहीं है क्योंकि जब हमारी लाइफ थोड़ी आसान हो जाती है और हम लगातार जिंदा रहने के लिए लड़ नहीं रहे होते तब हमारे दिमाग में सवाल आता है कि हम जिंदा रहे किस लिए  आज के समय पर ज्यादातर लोगों की यही कहानी है उनके पास जिंदा रहने के साधन तो हैं पर उनके पास कोई वजह  नहीं है जिसके लिए वह जिंदा रहे लाइफ के इस खालीपन को विक्टर फ्रैंकल ने नाम दिया है|

जीवन में सही अर्थ कैसे पाए | Jivan Me Sahi Arth Kaise Paye
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( existential Vacuum )

एक्जिस्टेंशल वेक्यूम ( अस्तित्वगत निर्वात )

और जो लोग इस खालीपन के शिकार बनते हैं उनमें तीन तरह के लक्षण देखने को मिलते हे हैं

  1. डिप्रेशन
  2. गुस्सा
  3. और एडिक्शन

लोगों की इस ऑब्जरवेशन के बेसिस पर ट्राई कर ले एक नई तरह की थेरेपी को जन्म दिया जिसे उन्होंने नाम दिया लोगों थेरेपी जिसका लेटरल मतलब है मीनिंग थेरेपी  यह थैरेपी एक गाइड की तरह लोगों को उनका परपस और मीनिंग ढूंढना सिखाती है फ्रैंकल के मुताबिक हम अपनी लाइफ में तीन अलग तरीकों से मीनिंग को ढूंढ सकते हैं-

1 ) पहला तरीका है कुछ काम करना या फिर एक गोल को प्राप्त करना –

क्योंकि जिस इंसान की लाइफ में एक वैल्यूड गोल नहीं होता वह अपनी पूरी लाइफ को बिना किसी लक्ष्य के भटकते हुए वेस्ट कर देता है हर इंसान के अंदर इस दुनिया में कुछ ना कुछ यूनिक कंट्रीब्यूट करने की क्षमता होती है जो सिर्फ तभी बाहर आती है जब वह टारगेट सेट करता है और किसी ऐसी अनोखी चीज को जन्म देता है जो सिर्फ उसकी यूनिक एक्सपीरियंस नॉलेज और अंडरस्टैंडिंग से बनी होती है इस तरह से किसी काम को पूरा करना मीनिंग फुल होता है क्योंकि हम इंसान अपनी कम्युनिटी में यूज़फुल महसूस करने के लिए इकठ्ठा हुए हैं अगर हम हर समय कुछ ना कुछ काम करके प्रोडक्ट नहीं बन रहे होते तो हम डिप्रेस्ड और नाकारा महसूस करने लग जाते हैं

यही वजह है कि क्यों हम दूसरे लोगों को उनके काम से जानते हैं और उनके काम से ही उन्हें याद रखते हैं इसलिए फ्रेंड कल का बोलना है कि जिस किसी भी चीज के लिए आप पैशनेट हो उसे अपनी लाइफ का मिशन बना लो और अगर आपका कोई पैशन इंटरेस्ट या कोई मन पसंद काम नहीं है या फिर आपको यह नहीं पता कि आपको किस काम को अपनी लाइफ का गोल बनाना चाहिए तो सिंपल बाहर निकलो और नए-नए एक्सपीरियंस लो अपनी नॉलेज बढ़ाओ और थोड़ी सी स्किल्स डेवलप करो उसके बाद नई-नई अपॉर्चुनिटी को ढूंढो जो आपके एक्सपीरियंस नॉलेज और कार्य कौशल का फायदा उठा सकें और जब आपको लगे कि आप अपनी पूरी लाइफ अपने आप को उस काम को पूरा करने के लिए प्रिपेयर कर रहे हो जिसके लिए आप पैदा हुए थे तब आपको अपनी लाइफ मीनिंग फुल लगेगी

2 ) दूसरा तरीका है अच्छे रिलेशनशिप बनाना

पर फ्रान्कल  के लिए प्यार और रिलेशनशिप की डेफिनेशन दूसरों से थोड़ी अलग है उनकी हिसाब से प्यार का मतलब बस प्यार करने वालों की फीलिंग नहीं होती बल्कि असली प्यार है दूसरों की पोटेंशियल को सही से समझना और उन्हें उनकी उनको उचाईयो ( क्षमता से बहार ) तक पहुंचने में मदद करना |

जैसे अपने बच्चे के लिए अपॉर्चुनिटी बनाना अपने छोटे भाई बहन को लाइफ के बारे में समझाना | अपने दोस्तों को बुरे समय में सपोर्ट करना या फिर अपनी टीम में अपने से जूनियर मेंबर्स को मेंटर करना ताकि वह इस दुनिया में अच्छे से जीने के लिए हिम्मत जुटा पाए यह है प्यार अगर आप एक दूसरे के लेवल को ऊपर नहीं उठा रहे तो शायद वह प्यार नहीं बस एक काम है पर अच्छे और असली रिलेशनशिप हमारी लाइफ की क्वालिटी और इवन हमारी प्रोडक्टिविटी बढ़ाते हैं यह ऐसा अकेला रास्ता है जो हमें दूसरे इंसानों के सबसे गहरे हिस्सों को समझने का मौका देता है कोई भी इंसान दूसरे इंसान के नेचर के बारे में पूरी तरह से अवगत नहीं हो सकता जब तक वो उससे प्यार करता है और आपके सारे रिलेशनशिप्स का गोल यही होना चाहिए यानि अगर आपकी लाइफ में कोई मीनिंग नहीं है तो किसी ऐसे इंसान को ढूंढो जिसकी लाइफ आप कुछ हद तक बेहतर बना सकते हो

3) लाइफ में मीनिंग ढूंढने का तीसरा तरीका है अपनी पीड़ा को बहादुरी के साथ सामना करना और उसकी जिम्मेदारी लेना

फ्रेंकल ने अपना एग्जांपल देते हुए बताया है कि किस तरह से इतनी पीड़ा के दौरान भी उन्होंने अपने आपको वहां से निकलने पर कंसंट्रेशन कैंप को साइकोलॉजि पर लेक्चर देते हुए इमेजिन करा जिसकी वजह से उनका सारा दर्द और दुख मीनिंग से भर गया उनका हर मूवमेंट वो काफी चौकन्ने होकर और एक साइंटिफिक लेंस के साथ महसूस करते हुए काट रहे थे इस तरह से वह लोगों की साइकोलॉजी समझने के साथ-साथ अपनी सफरिंग को हरा रहे थे इसी वजह से उन्होंने हमें एक काफी समझदारी वाली सलहा देते हुए बोला है कि-

जब भी आप किसी मुश्किल में फंसे हो या बुरा फील कर रहे हो तब उस मुश्किल का एक इस्तेमाल ढूंढो और अपने आपसे पूछो कि मैं किस तरह से अपनी इस सफरिंग को वैल्युएबल बना सकता हूं यहाँ तक की हर मूवी में भी एक ट्रांसफॉरमेशनल सिंबल की तरह दिखाया जाता है यानी कहानी के 1 पॉइंट पर कैरेक्टर थोड़ा पीड़ा सेहत है  और रास्ते में आने वाली रुकावट को पार करता है जिससे हमें पता चलता है कि उस करैक्टर की हैसियत क्या है और वह किन वैल्यू को फॉलो करता है वो पीड़ा हे होती है जो हमें डीप और मेंटली स्ट्रांग बनाती है|

फ्रेंकल ने तो यह भी बोला है कि हम अपनी डिसएप्वाइंटमेंट्स यह प्रॉब्लम, उसके दर्द को कभी भी अवॉइड नहीं कर सकते हैं लेकिन सफरिंग एक चॉइस है जो इस चीज पर डिपेंडेंट है कि आप अपनी एक्जिस्टेंस और पेन को अपने से ज्यादा खुशकिस्मत इंसान से कंपेयर करके अपनी किस्मत को कोसते हो या फिर आप उन लोगों की लाइफ को देखते हो जिनके एक्सपीरियंस इस आपसे बेकार हैं और खुद की लाइफ के लिए खुशकिस्मत फील करते हो दुनिया के हर कोने में रहने वाला इंसान किस्मत की इस दुविधा का समाना करता है तो चाहे वह कंसंट्रेशन कैंप हो या आपकी नॉर्मल लाइफ, सफरिंग में भी मीनिंग ढूंढा जा सकता है बस शर्त यह है कि आप हार माने या शिकायत करने के बजाए अपने अंदर के उस उजाले को ढूंढो जो इस अंधेरे को हरा सकता है|

तो इस पोस्ट में हमने आपको बता दिया है की जीवन में सही अर्थ कैसे पाए | Jivan me Sahi Arth Kaise Paye – अगर आपके मन में कोई भी सवाल हो तो जरूर पूछना | धन्यवाद

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